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November 22, 2024 4:23 pm

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500 साल पहले राजपूतों ने पगड़ी नहीं पहनने की खाई थी कसम, अब रामलला की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा के साथ टूटेगा रिवाज

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आनंद शर्मा की रिपोर्ट

झुंझुनू। अयोध्या में 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भव्य राम मंदिर की नींव रखी। देश ही नहीं बल्कि दुनिया के तमाम आस्तिकों ने इसके लिए प्रार्थना की थी। कुछ ने प्रार्थना तो कुछ ने प्रतिज्ञा भी की थी, ऐसी अटूट प्रतिज्ञाएँ, जो वर्षो पुरानी थीं और 5 अगस्त को उनका तर्पण हुआ।

राम मंदिर निर्माण के बाद ही पगड़ी पहनेंगे

हम आज एक ऐसी ही प्रतिज्ञा की बात कर रहे है जो वर्षो पहले ली गयी थी। जी हाँ , हम बात कर रहे है सूर्यवंशी क्षत्रिय (राजपूत) परिवारों की। जो अयोध्या के पास पूरा बाज़ार और उसके आस-पास लगभग 115 गाँव मौजूद हैं। यहाँ के सूर्यवंशी राजपूतों परिवारों ने प्रतिज्ञा की थी कि वे लोग मंदिर निर्माण के बाद ही पगड़ी पहनेंगे। गाँव के सूर्यवंशी राजपूतों परिवारों ने संकल्प लिया था कि वह राम मंदिर निर्माण पूरा होने तक न तो पगड़ी धारण करेंगे और न ही चमड़े का जूता पहनेंगे।

राम मंदिर पर हमले के वक्त सूर्यवंशी राजपूतों ने ली थी शपथ …वह पगड़ी नहीं पहनेंगे

 

आपको बता दे , राम मंदिर पर हमले के वक्त सूर्यवंशी समाज के क्षत्रियों (राजपूतों) ने शपथ ली थी। कि जब तक मंदिर निर्माण नहीं होता, तब तक वह पगड़ी नहीं पहनेंगे, छाते से सिर नहीं ढकेंगे। इसके अलावा चमड़े का जूता भी नहीं पहनेंगे।

500 साल बाद सूर्यवंशी क्षत्रियों के 115 गांवों में पगड़ी धारण की जाएगी

 

500 साल बाद अब वो वक्त गया जब अयोध्या के आसपास बसे सूर्यवंशी क्षत्रियों के 115 गांवों में पगड़ी धारण की जाएगी। अब उनके सम्मान में पूरे देश से क्षत्रिय समाज की ओर से पगड़ियां भेजी जा रही है। वही इसी क्रम में सोमवार को खेतड़ी में कार्यक्रम हुआ। विधिवत पूजा-अर्चना के बाद यहां पगड़ी रवाना की गई।

बेटी की विवाह में नहीं लगाएंगे मंडप

वही , इस को लेकर क्षत्रिय समाज खेतड़ी के सुरेंद्र सिंह फौजी, उम्मेद सिंह निर्वाण, महिपाल सिंह गाडराटा व कैप्टन सुमेर सिंह ने बताया कि 500 साल पहले वहां के राजा ठाकुर गजराज सिंह ने सूर्य कुंड पर इन गांवों के लगभग 9 हजार राजपूत छत्रपों को एकत्र कर ये शपथ ली थी कि जब तक रामलाल के मंदिर को मुगलों से मुक्त नहीं करवाएंगे, तब तक राजपूती शान की पगड़ी धारण नहीं करेंगे, चमड़े के जूते नहीं पहनेंगे और छत्र भी धारण नहीं करेंगे। और बेटी की विवाह में मंडप भी नहीं लगाएंगे।

राजा ठाकुर गजराज सिंह ने मुगल सेना से किया था युद्ध

बता दे कि, राजा ठाकुर गजराज सिंह ने मुगल सेना से युद्ध भी किया। और इस युद्ध में कई सैनिक शहीद हो गए थे। तब से लेकर आज तक राजा गजराज सिंह की नवीं पीढ़ी भी उस शपथ को निभा रही है। अब अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर में मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा समारोह के पश्चात इन 115 गांवो के सूर्यवंशी क्षत्रिय (राजपूत) परिवार अपने पूर्वज गजराज सिंह द्वारा ली गई शपथ पूर्ण होने के पश्चात पगड़ी धारण करेंगे।

क्षत्रिय (राजपूत) समाज खेतड़ी के तत्वावधान में हरडिया हाउस में अयोध्या के सूर्यवंशी राजपूतों के लिए 22 जनवरी को राम जन्मभूमि मंदिर में मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा होने पर उनके पूर्वजों द्वारा 500 वर्ष पूर्व ली गई शपथ को तोड़ने के लिए राजस्थान की आन बान शान की प्रतीक राजपूती पगड़ी समारोह पूर्व भेजी गई। वही इस को लेकर पंडित गोपाल शर्मा ने विधिवत पगड़ी की पूजन करवाई।

राजपूत परिवारों ने 500 वर्ष तक निभाई प्रतिज्ञा

राजपूत करणी सेना के जिला संयोजक सुरेंद्र सिंह फौजी ने बताया कि वहां बसे राजपूत परिवारों ने 500 वर्ष तक यह प्रतिज्ञा निभाई है। अब वो वक्त आ गया है जब देश में ऐतिहासिक रूप से अयोध्या में बना रहे राम मंदिर का उद्घाटन किया जाएगा। अयोध्या में होने वाले भगवान श्री राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर घर-घर पीले चावल बांटकर लोगों को न्यौता दिया जा रहा है।

इसके अलावा 22 जनवरी को दीपावली के त्यौहार के रूप में मनाने के लिए प्रेरित भी किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश में राम मंदिर का निर्माण कार्य होना बहुत ही गर्व की बात है। यह देश के लोगों के लिए आस्था का सबसे बड़ा केंद्र बनने जा रहा है।

इसके साथ ही इस मौके पर राजपूत करणी सेना के झूंझुनूं डिस्ट्रिक्ट संयोजक सुरेंद्र सिंह फौजी, जिला परिषद सदस्य उम्मेद सिंह निर्वाण, महीपाल सिंह गाडराटा, कैप्टन सुमेर सिंह , अनिल सिंह राठौड़ , सुभाष सिंह, प्रवीण सिंह शेखावत, पवन सिंह, ओमपाल सिंह गाडराटा, ईश्वर सिंह नरूका, विशाल सिंह शेखावत, सूबेदार मदन सिं, सोनू सिंह बंधा की ढाणी, अभिमन्यु सिंह तोमर, राजेंद्र सिंह हरडिया, सरजीत सिंह बडाऊ ,बिरजू सिंह, टिंकू सिंह, वीर सिंह निर्वाण सहित अलग-अलग गांव से आए क्षत्रिय समाज के दर्जनों में लोग मौजूद थे।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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