Explore

Search
Close this search box.

Search

November 22, 2024 4:07 am

लेटेस्ट न्यूज़

इस महिला बस ड्राइवर की हकीकत पढकर आप जरूर कहेंगे, औरत चाहे तो क्या नही कर सकती…

12 पाठकों ने अब तक पढा

ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट

बुलंदशहर। कौशांबी से बदायूं रोड पर अक्सर लोग यूपी रोडवेज में वेद कुमारी को बस की स्टेरिंग संभाले देखते हैं तो दांतों तले उंगली दबा लेते हैं। इसी बस में उनके पति मुकेश प्रजापति कंडक्टर है और लोगों का टिकट बनाते हैं।

वेद कुमारी पुलिस में जाना चाहती थी लेकिन परिस्थितियों ने उन्हें बस ड्राइवर बना दिया। 

कौन है वेद कुमारी

वेद कुमारी का जन्म बुलंदशहर के डिग्गी में हुआ था। उनके पिता टीचर थे पिता की दो शादियां हुई पहली पत्नी से कोई संतान नहीं हुई तो दूसरी शादी हुई जिससे तीन बेटे और चार बेटियां हुईं। वेद कुमारी ने बताया कि जब वह बहुत छोटी थी तभी उनके पिता की डेथ हो गई थी और दोनों माओं ने मिलकर बच्चों की परवरिश किया। क्लास 10th में वेद कुमारी की शादी हो गई। ससुराल वाले सपोर्टिव थे इसलिए उनकी पढ़ाई जारी रही और उन्होंने संस्कृत में ग्रेजुएशन कर लिया। वेद कुमारी का एक बेटा और एक बेटी है बेटा दसवीं में है और बेटी केजी में पढ़ती है।

कैसे बनी बस ड्राइवर

वेद कुमारी ने बताया कि यूपी रोडवेज में सारथी की वैकेंसी निकली थी । मैंने अप्लाई किया। इत्तेफाक से 2021 में यूपी रोडवेज में मेरा सिलेक्शन भी हो गया और फिर कौशल विकास मिशन के तहत उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के सहयोग से वेद कुमारी ने मॉडल ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट कानपुर में दाखिला ले लिया और 7 महीने की ट्रेनिंग किया। ट्रेनिंग के दौरान वेद कुमारी बस चलाने में एक्सपर्ट हो गई।

पति है बस कंडक्टर

वेद कुमारी ने बताया कि साल 2006 से उनके पति अप रोडवेज में नौकरी कर रहे हैं जब वेद कुमारी बस ड्राइवर बनी तो उन्हें लोनी डिपो दिया गया था लेकिन वेद कुमारी ने रिक्वेस्ट किया कि उनको और उनके पति को एक ही बस में ड्यूटी दी जाए ताकि आने-जाने में सुविधा हो। विभाग ने उनकी रिक्वेस्ट को एक्सेप्ट किया और आज वेद कुमारी जी बस में ड्राइविंग का काम करती हैं उसी बस में उनके पति टिकट काटते हैं।

रात में बस में सोती हैं सुबह बच्चों को स्कूल भेजती हैं

वेद कुमारी ने बताया कि अक्सर बस में ही सोना पड़ता है बदायूं से लौटी हूं तो ज्यादा रात हो जाती है। घर जाने के लिए कोई वहां नहीं मिलता है इसलिए सूरज निकलने तक बस में ही सोती हूं फिर सुबह घर पहुंचती हूं बच्चों का खाना तैयार करती हूं उन्हें स्कूल भेजती हूं कुछ देर आराम करती हूं और फिर डिपो में चली जाती हूं।

संविदा पर है वेद कुमारी

वेद कुमारी कहती हैं मैं संविदा पर हूं इसलिए मुझे ₹6000 तनख्वाह मिलती है। उनके पति भी संविदा पर है। मेहनत ज्यादा है पैसा कम है खर्चा भी ज्यादा है बच्चों को स्कूल भेजना घर का राशन लाना कोई बीमार हुआ तो उसकी दवा लाना यह सब कुछ बड़ी मुश्किल से होता है। फिलहाल यही चाहती हूं कि सरकार मुझे परमानेंट कर दे और सैलरी बढ़ा दे।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

लेटेस्ट न्यूज़