दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
कानपुर। श्री रामलला प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए वीआईपी-वीवीआईपी को निमंत्रण भेजे जा रहे हैं। कानपुर में एक ऐसा परिवार है, जिसने राम मंदिर के लिए काफी कुछ गंवाया।
एक भाई ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए और दूसरे भाई को जेल काटनी पड़ी। जांच एजेंसियों की प्रताड़ना झेलनी पड़ी। इस पीड़ित परिवार को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का न्योता नहीं मिला है। इसकी वजह से परिवार दुखी है, उनके आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। परिवार का कहना है कि हमारा तो सब कुछ छिन गया। मंदिर का निर्माण हो रहा, प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में सिर्फ वीआईपी लोगों को बुलाया जा रहा है।
किदवई नगर थाना क्षेत्र में रहने वाली आर्दश नागर (78) के परिवार ने राम मंदिर के लिए बलिदान दिया था। अयोध्या में 2 नवंबर 1990 के दिन को याद उनकी आंखे छलक पड़ीं। उन्होंने बताया कि 2 नवंबर 1990 को मेरा देवर अमित नागर कार सेवकों के साथ जा रहा था। इसी दौरान सुरक्षाबलों ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसानी शुरू कर दी। इसमें अमित को गोली लगी, और वो वहीं पर गिर पड़ा। पुलिसकर्मिर्यों ने उसके शव को गाड़ी डाला और सरयू नदी में फेंक दिया। परिवार उसका अंतिम संस्कार भी नहीं कर पाया था। आखिरी समय उसका चेहरा भी नहीं देख पाए थे।
कानपुर आते ही अरेस्ट किया था
उन्होंने बताया कि 6 दिसंबर 1992 को बाबरी विध्वंस हुआ था। मैं अपने पति डॉ. सतीश कुमार नागर के साथ कारसेवा में शामिल हुई थी। मैं और मेरे पति बाबरी मस्जिद ढ़ाहने में शामिल थे। हम लोग 8 दिसंबर 1992 को अयोध्या से कानपुर लौटे तो पुलिस ने मेरे पति को अरेस्ट कर प्रताड़ित किया, उन गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। उन्हें फतेहगढ़ जेल में रखा गया। इसके साथ ही पुलिस समय-समय पर जांच एजेसियों के सवालों का सामना करना पड़ता था।
खौफ में बीता बचपन
मृत कारसेवक अमित नागर के भतीजे सुघांशु नागर का कहना है कि मैंने अपना बचपन पुलिस के खौफ में बिताया है। उन्होंने बताया कि हमें प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का न्योता नहीं मिला है। किसी ने यह नहीं देखा कि मेरे पिता जांच एजेंसियों को झेल रहे थे, उस समय हम सभी बहुत छोटे थे। किसी भी बीजेपी के कार्यकर्ता या फिर नेता ने हमसे कभी संपर्क नहीं किया है। चाचा की अयोध्या में शहादत हो गई, पिता जेल में थे। मेरे घर में रोटी बन रही है या नहीं बन रही किसी ने नहीं देखा। देशभर में न्योता भेजा जा रहा है, लेकिन मेरे परिवार के पास निमंत्रण नहीं आया। इसकी वेदना को मेरी मां और पूरा परिवार ही समझ सकता है।
किसी वीआईपी के घर से नहीं हुई मौत
उन्होंने कहा कि आज जो वीआईपी और वीवीआईपी बने बैठे हैं। क्या उनके घर से अयोध्या में किसी की मृत्यु हुई है, उनके घर से किसी का खून बहा है। वीआईपी जा सकते हैं, लेकिन वो लोग वहां नहीं जा सकते हैं, जिन्होंने खून बहाया है। मेरे पिता और चाचा जिस पार्टी में थे, वही पार्टी अपने सदस्यों को भूल गई है। भगवान श्रीरामलला विराजमान हो रहे हैं, इससे ज्यादा खुशी की बात क्या हो सकती है। राम मंदिर बन रहा है, मेरे पिता और चाचा की आत्मा को शांति मिली होगी, जिसके लिए उन्होंने खून बहाया था। हम पहुंचे या ना पहुंचे लेकिन उनको असल शांति 22 जनवरी को मिलेगी। मेरी प्रधानमंत्री मोदी से अपील है कि जिन्होंने अपना लहु बहाया है, उन्हें बुलाना चाहिए।
आरएसएस ने भी की जांच
डॉ. सतीश नागर के घर पर एक पोस्टर चस्पा है। इसमें लिखा हुआ कि बाबरी विध्वंस के गुमनाम योद्धा डॉ. स्वर्गीय सतीश नागर और स्व. अमित नागर (बंधु) भाईयों को नमन। हालांकि इस मामले में कहा जाता है कि बाबरी मस्जिद विध्वंस में जिन अमित कुमार की मौत हुई थी, वो इस परिवार के गोद लिए हुए व्यक्ति थे। कुछ लोगो का मानना है कि जिन अमित की मृत्यु हुई थी वो इस परिवार के नौकर थे। मामला होने के बाद श्री रामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने पूर्व में ही इस मामले में जांच भी की थी। हालांकि उसमें आज भी कोई निर्णय आज तक नहीं हो पाया।
Author: samachar
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