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26 March 2025 7:42 am

बाप ने चार महीने की मासूम को जमीन पर पटक कर मार डाला और सुबह जंगल में जला दिया, वजह सन्न कर देगी

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ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट

मुरादाबाद। थाना ठाकुरद्वारा निवासी एक मां ने चार साल की बीमार बेटी की दवाई दिलाने के लिए रुपये मांगे तो पिता हैवान बन गया। सौतेली बेटी को चारपाई से उठाकर पटक दिया। मां ने घर से भागकर अपनी जान बचाई। बेटी की मौत होने पर सुबह को आरोपित जंगल में शव ले जाकर उसे जला दिया।

अक्सर शराब पीकर मारता-पीटता था

घर में मौजूद चार माह के मासूम को अगले दिन ताऊ उठाकर ले गया, जिसकी वजह से उसकी जान बच गई। पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर मंगलवार को गांव में पहुंचकर जांच की। जंगल से अधजली हड्डियां व राख फारेंसिक जांच के लिए भेजी हैं। रामसरन उर्फ टीटू ने तीन वर्ष पूर्व सुनीता से विवाह किया था। तलाकशुदा सुनीता की पहले से चार वर्ष की बेटी नैना थी। चार महीने पहले ही उसने बेटे को जन्म दिया। सुनीता का आरोप है कि टीटू अक्सर शराब पीकर मारता-पीटता था।

30 दिसंबर की है घटना

30 दिसंबर की शाम टीटू जब घर आया तो उसने खांसी-जुकाम से पीड़ित बेटी नैना की दवाई के लिए पैसे मांगे। टीटू किसी से पैसे लेकर आने की बात कहकर चला गया। थोड़ी देर बाद लौटा तो नशे में लड़खड़ा रहा था। बेटी की दवाई लाने की बात कहने पर वह आगबबूला हो गया।

चारपाई पर सो रही नैना को उठाकर फर्श पर पटक दिया। इसके बाद वह सुनीता को पीटने लगा। बचाव के लिए काफी शोर मचाया, लेकिन पड़ोसी भी बचाने नहीं आए तो बेटी और चार माह के बच्चे को वहीं छोड़कर घर से बाहर भाग निकली। टीटू के भाई लाल सिंह का कहना है कि सुबह होने पर वह घर पहुंचा तो कमरे में चार माह का बेटा अकेला था, भाई एवं भाभी घर पर नहीं थे।

अधजली हड्डियां बरामद कर जांच के लिए भेजी

इधर, सुनीता देवी ने कोतवाली जाकर पुलिस को सूचना दी तो कोतवाल विजेंद्र सिंह और सीओ राजेश तिवारी को ग्रामीणों ने दबी जुबान में बच्ची की हत्या कर ढेला नदी किनारे जंगल में जलाने की जानकारी दी। इसके बाद पुलिस ने फारेंसिक टीम को बुलाकर घटनास्थल से राख और अधजली हड्डियां बरामद कर जांच के लिए भेजी हैं।

आरोपी सौतेले पिता के विरुद्ध मुकदमा दर्ज

मासूम मृतका की मां की तहरीर पर कोतवाली पुलिस ने आरोपी सौतेले पिता के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर आरोपी पिता की तलाश शुरू कर दी है।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."