ठाकुर धर्म सिंह ब्रजवासी की रिपोर्ट
वृंदावन । बाँके बिहारी मंदिर में भीड़ का दबाव देखने को मिला। बाँके बिहारी मंदिर को जाने वाले सभी मार्ग भीड़ के चलते बंद हो गए। वहीं ठाकुर के दर्शन करने आईं दो महिलाओं की इलाज के दौरान मौत हो गई। महिलाओं की मौत से जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया। वहीं प्रशासन की व्यवस्थाओं पर सवालिया निशान खड़े हो गए।
प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल
रविवार को वृंदावन में भीड़ का दबाव देखने को मिला। हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु ठाकुर बाँके बिहारी के दर्शन को पहुँचे। मंदिर की ओर जाने वाले मार्गों पर भीड़ का जनसैलाब देखने को मिला। भारी भीड़ के दबाव के चलते दो महिला श्रद्धालुओं की दर्दनाक मौत हो गई। महिला श्रद्धालुओं की मौत की खबर जैसे ही अधिकारियों को लगी तो हड़कंप मच गया।
आनन फानन में अधिकारी घटना स्थल पर पहुंचे। वहीं लाइन में लगी हुई महिलाएं बेहोश हालत में अस्पताल लाई गईं। डॉक्टर ने उन्हें अमृत घोषित कर दिया। दोनों महिलाओं की मौत की खबर सन परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल हो गया। परिजनों का कहना है भगवान बांके बिहारी के दर्शन करने के लिए वृंदावन आए थे। भीड़ बहुत होने के चलते बेहोश होकर वह गिर गईं।
परिजनों का कहना है कि बीमार होने के कारण उनकी तबीयत बिगड़ गई थी। बता दें कि वीकेंड होने के कारण देश विदेश के श्रद्धालु इन दोनों वृंदावन मथुरा में अपना डेरा डाले हुए हैं।
नव वर्ष की मौके पर हर कोई चाहता है कि उनका नया साल भगवान की शरण में शुरू हो।
प्रशासन की लापरवाही लोगों के लिए भारी
बता दें कि रविवार को वृंदावन में भारी भीड़ का दबाव रहा। प्रशासन के द्वारा किए गए इंतजाम भी धराशाई नजर आए। जगह-जगह श्रद्धालुओं को जाम के जाम से जूझना पड़ा। वहीं दूसरी तरफ घंटे की इंतजार के बाद सड़कों पर वहां रुक-रुक कर चल रहे थे। वृंदावन में बाहर से आने वाले सभी वाहनों का प्रवेश वर्जित कर दिया गया। प्रशासन के अधिकारियों की लापरवाही लोगों के लिए सिर दर्द बनी रही।
कई किलोमीटर लोगों को चलना पड़ा पैदल
भगवान बांके बिहारी दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को मुसीबत का सामना करना पड़ा। वृंदावन में वाहनों का प्रवेश वर्जित होने के कारण श्रद्धालुओं को कई कई किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ा। वृंदावन की ओर जाने वाले सभी मार्गों पर पुलिस ने बैरिकेडिंग कर रखी थी। श्रद्धालु प्रशासन के अधिकारियों को खोजने नजर आए।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."