इरफान अली लारी की रिपोर्ट
खेल मंत्रालय ने रविवार, 24 दिसंबर को नवनिर्वाचित भारतीय कुश्ती संघ (WFI) पर बड़ा एक्शन लिया। मंत्रालय ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) सांसद और पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण के करीबी संजय सिंह की अगुआई वाली फेडरेशन को अगले आदेश तक निलंबित कर दिया। उसने कहा कि अंडर-15 और अंडर-20 राष्ट्रीय चैंपियनशिप के आयोजन की घोषणा जल्दबाजी में हुई। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि नवनिर्वाचित संघ पर पूर्व पदाधिकारियों का नियंत्रण है।
खेल मंत्रालय के इस फैसले के बाद बृजभूषण तुरंत एक्शन में दिखे। उन्होंने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। उनका बयान भी सामने आया। उन्होंने कहा कि उनका कुश्ती संघ से कोई नाता नहीं है। वह कुश्ती से संन्यास ले चुके हैं। वह लोकसभा चुनाव पर फोकस करेंगे। आगे क्या करना है इसका फैसला फेडरेशन के चुने गए लोग लेंगे?
बृजभूषण ने लोकसभा चुनाव पर फोकस की बात कही
बृजभूषण का बयान काफी आम लगता है, लेकिन उन्होंने लोकसभा चुनाव पर फोकस करने की बात कही है। उनपर महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न करने का आरोप है।
साल की शुरुआत में बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट समेत अन्य रैसलर्स ने उनके खिलाफ आंनदोलन किया था। इसके बाद भी वह बगैर किसी परेशानी के पार्टी के कार्यक्रम में हिस्सा लेते रहे। संसद भी आते रहे। विवाद के दौरान उन्होंने कहा भी था कि वह अगले साल चुनाव लड़ेंगे।
बृजभूषण को नजरअंदाज करना आसान नहीं
यह बताता है बृजभूषण को नजरअंदाज करना आसान नहीं है। अवध में कुछ सीटों पर उनका काफी प्रभाव है। बृजभूषण का बहराइच, गोंडा, बलरामपुर, अयोध्या और श्रावस्ती में इंजीनियरिंग, फार्मेसी, शिक्षा, कानून और समेत 50 से अधिक शैक्षणिक संस्थानों से सक्रिय रूप से जुड़ाव है। ऐसे में अगर उनका टिकट काटने का भाजपा सोच रही है तो यह उसके लिए बड़ा चैलेंज साबित होगा।
छह बार के सांसद की यूपी में ठाकुर बिरादरी में अच्छी पैठ
गोंडा से अयोध्या तक उसे परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इस क्षेत्र में उनकी काफी मजबूत पकड़ है। टिकट काटने से भाजपा को नुकसान हो सकता है। छह बार के सांसद की यूपी में ठाकुर बिरादरी में अच्छी पैठ है। वह अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) में भी अच्छी पकड़ रखते हैं।
पूर्वांचल के साथ-साथ पूरे प्रदेश में इसका असर देखने को मिल सकता है। यह कैसे असर डालेगा राजा भैया के उदाहरण से इसे समझा जा सकता है। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने जब रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को जेल में डालने का फैसला किया था तब ठाकुर समुदाय ने बसपा से दूरी बना ली थी।
गोंडा, बलरामपुर और केसगंज से 6 बार सांसद
57 साल के बृजभूषण शरण सिंह का अवध क्षेत्र में बर्चस्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह गोंडा, बलरामपुर और केसगंज से 6 बार सांसद चुने गए हैं। वह राम मंदिर आंनदोलन से राजनीति में आए। उनका बेटा प्रतीक भूषण सिंह गोंडा सदर से विधायक है। उनकी पत्नी भी सांसद रह चुकी हैं। बृजभूषण के लिए इन इलाको में 50 हजार लोगों को जमा करना काफी मामूली बात है।
अखिलेश यादव की चुप्पी
बृजभूषण 2009 में पार्टी से बगावत भी कर चुके हैं। उन्होंने समाजवादी पार्टी से हाथ मिला लिया था। सपा में रहते हुए ही वह पहली बार रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया का पहली बार अध्यक्ष बने थे।
कहा जाता है कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने इसमें अहम भूमिका निभाई थी। रेसलर्स को लेकर विवाद के दौरान सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक बार भी भाजपा सांसद के खिलाफ एक बार भी बयान नहीं दिया।
Author: samachar
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