चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
गोंडा। एक व्यक्ति को कोटा की दुकान दिलाने के लिए एक युवक मंत्री बन गया। उसने भाजपा विधायक को फोन करके कहा कि मैं परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह बोल रहा हूं। मैं बबलू अली को भेज रहा हूं। आप इन्हें एक सप्ताह के भीतर कोटा की दुकान दिला दें। यही बात उसने परिवहन मंत्री बनकर एसडीम तरबगंज को भी दुकान दिलाने के लिए दबाव बनाया। विधायक को इस बात की शंका हुई, तो उन्होंने मंत्री को फोन करके पूछा तो वह सन्न में रह गए।
गोंडा जिले के तरबगंज विधानसभा सीट से भाजपा विधायक प्रेम नारायण पांडे के पास बीते 15 दिसंबर को सुबह एक फोन आया। फोन करने वाले युवक ने अपना नाम दयाशंकर सिंह बताया जब विधायक ने पूछा कौन दयाशंकर तो उसने कहा मैं परिवहन मंत्री बोल रहा हूं। आगे उसने कहा कि आपके विधानसभा क्षेत्र काशीपुर में कोटा की दुकान रिक्त चल रही है। इस दुकान को आप किसी तरह एक सप्ताह के भीतर बबलू अली को दिला दें।
इसी तरह एसडीम तरबगंज को युवक ने परिवहन मंत्री बन करके फोन किया और कहा कि काशीपुर की दुकान बबलू अली को एक सप्ताह के भीतर दिला दे। इसके लिए उसने एसडीएम को कई बार फोन करके दबाव भी बनाया। उसने कहा कि मैं बबलू अली को भेज रहा हूं। उसी दिन दोपहर करीब 1 बजे बबलू अली ने भाजपा विधायक प्रेम नारायण पांडे को फोन किया। उसने कहा कि आपके पास दयाशंकर सिंह का फोन आया था। विधायक ने पूछा कौन दया शंकर सिंह तो उसने कहा कि परिवहन मंत्री हम आपसे मिलना चाहते हैं। इसी तरह बबलू अली ने एसडीएम से भी फोन करके बात किया। विधायक ने मंत्री जी को फोन करके पूछा कि आपने फोन किया था। तो उन्होंने कहा कि मैं कोई फोन नहीं किया था। कोई मेरे नाम का दुरुपयोग कर रहा है।
विधायक ने दर्ज कराया मुकदमा
तरबगंज विधानसभा सीट से भाजपा विधायक प्रेम नारायण पांडे ने तरबगंज पुलिस को दिए गए शिकायती पत्र में कहां कि बबलू अली और उनके साथियों ने जालसाजी करके अपने आप को परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह बताया। उसने नियम कानून से ऊपर उठकर बबलू अली को दुकान दिलाने का दबाव बनाया। पत्र में आगे कहा गया है कि इन लोगों ने संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के नाम का अनुचित तरीके से दुरुपयोग किया है। जो एक अपराध है।
फिलहाल विधायक की तहरीर पर तरबगंज पुलिस ने बबलू अली सहित अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ जलसाजी और दबाव बनाने की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."