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मस्तूरी

क्षेत्रीय दावेदारों की गुटबाजी ने पलटा मतदाताओं का मिजाज ; नए चेहरे की मांग

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रघु यादव मस्तूरी की रिपोर्ट 

मस्तूरी। रविवार को मस्तूरी विधानसभा के नगर पंचायत मल्हार के विश्राम गृह में कांग्रेस के क्षेत्रीय नेता एवं मस्तूरी विधानसभा के दावेदारी कर रहे कांग्रेसी नेताओं का विशेष बैठक आयोजित की गई।

बैठक में मस्तूरी विधानसभा के क्षेत्रीय नेता पूर्व विधायक दिलीप लहरिया, प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष डॉक्टर प्रेमचंद जायसी, अशोक राजवाल प्रदेश सचिव, महिला कांग्रेस उपाध्यक्ष श्रीमती सुकृता बादल खूंटे, जिला पंचायत सभापति राहुल सोनवानी, जिला पंचायत सभापति राजेश्वर भार्गव, युवा कांग्रेस उपाध्यक्ष देवेन्द्र कृष्णन, मनोहर कुरें पूर्व सभापति जनपद पंचायत मस्तूरी, उमेंद कुर्रे सेवादल प्रदेश पदाधिकारी, लक्ष्मी भार्गव ब्लॉक उपाध्यक्ष, श्रीमती प्रियंका महानंद, लक्ष्मण कांत पूर्व जयराम नगर मंडी अध्यक्ष, मनोज खरे, राजू सुर्यवंशी जिला युवा कांग्रेस उपाध्यक्ष, श्रीमती बिंद्राम जायसी, दामोदर कांत सभापति जनपद पंचायत मस्तूरी, रितुराज भार्गव, सुभाष टंडन , पूर्व टीआई जीएस जौहर, टिंकू घृतलहरे सहित कई प्रमुख दावेदार मस्तूरी विधानसभा से बड़ी संख्या में मल्हार विश्राम गृह में उपस्थित थे।

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बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लेते हुए मस्तूरी विधानसभा में बाहरी लोगों को विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं देने और अगर बाहरी लोगों को टिकट दिया जाता है तो उसका विरोध प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा एवं प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक बैज से शिकायत करने की चर्चा सामूहिक रूप से लिया लिया।

अपने-अपने समर्थकों एवं कार्यकर्ताओं से मस्तूरी में बाहरी उम्मीदवार बर्दाश्त नहीं, जाग मस्तूरिया अब तेरी पारी, का थीम बनाकर सोशल मीडिया में बेधड़क पोस्ट कराया जा रहा है। अब ऐसे में क्या शीर्ष नेतृत्व में बैठे प्रदेश कांग्रेस कमेटी के लोग क्या मस्तूरी विधानसभा पर उचित निर्णय लेंगे या फिर जिताऊ प्रत्याशी चाहे वह कोई भी विधानसभा का हो उसे टिकट देकर पार्टी को मजबूत करने का काम करेगा यह सामंजस की स्थिति बनी हुई है।

सन् 2000 में छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश शासन से अभिविभाजित होकर नए प्रदेश के रूप में तैयार हुआ तब से लेकर अभी तक मस्तूरी विधानसभा आनु.जाती.की रक्षित सीट है जिसमें क्षेत्रीय कांग्रेस नेता या फिर भाजपा नेता के गुटबाजी और आपसी मतभेद को देखते हुए शीर्ष नेतृत्व कर रहे नेताओं ने नऐ प्रदेश बनने के बाद भी मस्तूरी विधानसभा में चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस बाहरी लोगों को ही टिकट दिया है और बाहरी लोगों ने ही मस्तूरी विधानसभा में अपना जीत का परचम लहराते हुए अपना कब्जा जमाया है।

सन् 2000 से अगर मस्तूरी विधानसभा का पुराना रिकार्ड देखा जाए तो सन 1999 में भारतीय जनता पार्टी से जिला जांजगीर-चंपा के अमरताल निवासी मंदन सिंह डहरिया, और राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से जिला जांजगीर चंपा के ही मुलमुला निवासी बंसीलाल घृतलहरे को टिकट दिया गया था, जिसमें मदन सिंह डहरिया को हराकर बंसीलाल घृतलहरे अपना मस्तूरी विधानसभा में जीत हासिल किया था।

सन 2003 में छत्तीसगढ़ नए प्रदेश बनने के बाद भारतीय जनता पार्टी के मदन सिंह डहरिया तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी के कार्यों से प्रभावित होकर कांग्रेस ज्वाइन कर लिया था।

सन 2003 में मस्तूरी विधानसभा से पहले बीजेपी के नेता रहे जिला जांजगीर चांपा के ग्राम पंचायत अमरताल निवासी मदन सिंह डहरिया को कांग्रेस से टिकट दिया गया और भारतीय जनता पार्टी से बिलासपुर निवासी डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी को टिकट दिया गया था, जिसमें मस्तूरी विधानसभा से डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी को जीत हासिल हुआ था। उसके बाद सन् 2008 में फिर वही सिस्टम राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी में रिपीट किया गया और जिला जांजगीर चंपा निवासी ग्राम पंचायत अमरताल के मदन सिंह डहरिया को टिकट दिया गया। भारतीय जनता पार्टी से फिर से बिलासपुर निवासी डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी को टिकट दिया गया जिसमें पुनः डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी ने मस्तूरी विधानसभा से फिर से जीत हासिल कर विधायक बने।

2013 में भारतीय जनता पार्टी ने डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी को फिर टिकट दिया, और राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी ने मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र के लोकल प्रत्याशी दिलीप लहरिया को अपना प्रत्याशी बनाया जिसमें भारतीय जनता पार्टी के डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी को हराकर कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी दिलीप लहरिया ने अपना जीत हासिल कर मस्तूरी विधानसभा के विधायक बने।

2018 में राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी ने पुनः फिर से मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र के दिलीप लहरिया को अपना उम्मीदवार बनाया और भारतीय जनता पार्टी ने फिर से डॉक्टर कृष्णमूर्तिबंधी को अपना मस्तूरी विधानसभा से प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा जिसमें दिलीप लहरिया को हराकर डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी ने जीत हासिल कर मस्तूरी विधानसभा का विधायक बने और कांग्रेस के क्षेत्रीय प्रत्याशी दिलीप लहरिया तीसरे नम्बर पर जा पहुंचा।

छत्तीसगढ़ नया प्रदेश बनने के बाद मस्तूरी विधानसभा से कांग्रेस में दिलीप लहरिया के अलावा आज 23साल हो गया अभी तक किसी भी क्षेत्रीय प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया है, उसके बावजूद मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र की जनता ने उनको वोट दे कर अपना विधायक अपना नेता चुना है। वही हाल भारतीय जनता पार्टी में भी हुआ है। शीर्ष नेतृत्व ने जिसे भी अपना दावेदार बनाया है लोगों ने उन्हें अपना वोट देकर उन्हें अपना नेता व विधायक चुना है।

भाजपा हो या कांग्रेस मस्तूरी विधानसभा के मतदाताओं ने कभी भी बाहरी और लोकल प्रत्याशी का निर्णय नहीं लिया है। उन्होंने अभी तक सिर्फ पार्टी को देख कर अपना मतदान किया और क्षेत्र के लोगों ने उन्हें अपना विधायक बनाया है, क्योंकि मस्तूरी विधानसभा में अभी तक बाहरी लोगों को ही मौका देकर चुनाव लड़ाया गया है और यह इस लिए होता है क्योंकि मस्तूरी विधानसभा में भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही पार्टियों में गुटबाजी बहुत देखने को मिलता है।

आज कल मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र से बाहरी लोगों को टिकट ना मिले और मिलेगा तो काम नहीं करेंगे कह कर अपना छाती पीटने वाले राजनीतिक दल के नेता जरा पहले सन् 2000 से चले आ रही विधायक प्रत्याशियों के बारे में जान ले और अपनी अपनी पार्टी के ही लोगों से गुटबाजी करना बंद कर लें उसके बाद ही क्षेत्रीय विधायक प्रत्याशी की मांग करें। मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र के वोटर यह जान चुके हैं कि भाजपा हो या कांग्रेस वो शीर्ष नेतृत्व जिसे भी टिकट देता हो भाजपा वाले भाजपा प्रत्याशी को वोट करेंगे और कांग्रेस वाले कांग्रेस प्रत्याशी को वोट करेंगे।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मस्तूरी विधानसभा में दोनों ही पार्टियों में दावेदारों की आपसी मतभेद और गुटबाजी के वज़ह से ही हर बार की तरह इस बार भी दूसरे विधानसभा से नए चेहरा उतारने की तैयारी लगभग पूर्ण मानी जा रही है और मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र के वोटरों में इस बात की खुशी भी है कि नए चेहरा और नई सोच वाले के साथ क्षेत्र में विकास कार्य को तेजी और क्षेत्र में लोकल लीडरों की गुटबाजी को खत्म करेगा। 

इसका दूसरा पहलू भी है कि अगर बाहरी विधानसभा से चेहरा उतारा जाता है तो मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र से तैयारी कर रहे दावेदार शीर्ष नेतृत्व की इस निर्णय को अस्वीकार करते हुए पूर् जोर विरोध करने और आने वाले विधानसभा में काम नहीं करने या फिर अंदरुनी अपने ही प्रत्याशी को हाराने का भी कम कर सकते हैं अब देखना यह होगा कि इसमें शीर्ष नेतृत्व मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र में कैसे गुटबाजी को खत्म कर पाती है और बड़े ही आसानी से होने वाले विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी को जीत दिलवाती है।

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"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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