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चांद से आ रही खुशखबरी के बीच सूरज की ओर भारत का “आदित्य -एल1”

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अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट 

भारत के पहले सूर्य मिशन की तैयारी पूरी हो चुकी है। इसरो की ओर से सूर्य के अध्ययन के लिए तैयार आदित्य-एल1 को 2 सितंबर को दिन में 11:50 पर श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा। इस अंतरिक्ष यान को सौर कोरोना (सूर्य की सबसे बाहरी परतों) और एल1 पॉइंट पर सौर वायु की स्थिति का जायजा लेने के लिए तैयार किया गया है। एल1 पॉइंट पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर है। इसरो ने बताया कि सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित भारतीय वेधशाला को पीएसएलवी-सी57 रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित किया जाएगा। आदित्य एल-1 सूर्य के अध्ययन के लिए पहली भारतीय अंतरिक्ष आधारित ऑब्जर्वेटरी (वेधशाला) होगी। इसका काम सूरज पर 24 घंटे नजर रखना होगा। यह वहां होने वाली प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी जुटाएगा। यह इसरो का अब तक का सबसे जटिल मिशन होने वाला है। ऐसे में यह जानना भी जरूरी है कि सूर्य का अध्ययन करने की आवश्यकता क्यों?

भारत को क्यों है इस मिशन की जरूरत

सूर्य निकटतम तारा है और इसलिए अन्य तारों की तुलना में इसका अधिक विस्तार से अध्ययन किया जा सकता है। सूर्य को जैसे हम देखते हैं उससे कहीं अधिक यह फैला हुआ है। सूर्य में होने वाली विस्फोटक प्रक्रियाएं पृथ्वी के नजदीकी के स्पेस एरिया में दिक्कत पैदा कर सकती हैं। बहुत से स्पेसक्राफ्ट, संचार उपग्रहों को इससे नुकसान हो सकता है। सूर्य की ऐसी प्रक्रियाओं का पता पहले चल जाए तो बचाव के कदम उठा सकते हैं।

सूर्य पर होने वाली तमाम ऐसी मैग्नेटिक और थर्मल प्रक्रियाएं है जो असामान्य स्तर की हैं। इन्हें लैब बनाकर अध्ययन नहीं किया जा सकता। इन्हें समझने के लिए सूर्य को प्राकृतिक लैब की तरह यूज किया जा सकता है। आदित्य-एल 1 मिशन का उद्देश्य L1 के चारों तरफ की कक्षा से सूर्य का अध्ययन करना है। सूरज और धरती के बाच यह पॉइंट स्थित होता है।

-सबसे पहले PSLV 57 रॉकेट आदित्य एल-1 को पृथ्वी की निचली कक्षा में पहुंचाएगा।

-निचली कक्षा से L1 पॉइंट की ओर भेजा जाएगा।

-पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बाहर होने के बाद क्रूज फेज शुरू होगा। और एल 1 के पास हैलो ऑर्बिट में प्लेस किया जाएगा।

-इस पूरी प्रक्रिया में करीब 120 दिन यानी 4 महीने लगेंगे।

L पॉइंट क्या है, धरती और सूरज के बीच की क्या है कहानी

धरती और सूरज के सिस्टम के बीच पांच Lagrangian point हैं। सूर्ययान Lagrangian point 1 (L1) के चारों ओर एक हेलो ऑर्बिट में तैनात रहेगा। Lagrangian point अंतरिक्ष के पार्किंग स्पेस हैं जहां उपग्रह तैनात किए जा सकते हैं। आदित्य सूर्य पर नहीं जा रहा। उससे काफी पहले एक पॉइंट L1 के चारों ओर रहकर अध्ययन करेगा। एल 1 पॉइंट इसलिए चुना गया है क्योंकि यहां से सूर्य पर सातों दिन चौबीसों घंटे नजर रखी जा सकती है, ग्रहण के दौरान भी। आदित्य सात पेलोड लेकर जा रहा है जो सूर्य की अलग-अलग सतहों पर नजर रखेंगे।

किसी ग्रह की कक्षा के चारों ओर 5 स्थान होते हैं जहां गुरुत्वाकर्षण बल और अंतरिक्ष यान, सूर्य और ग्रह की कक्षीय गति एक स्थिर स्थान बनाने के लिए परस्पर क्रिया करती है। इन बिंदुओं को लैग्रेंजियन या ‘एल’ पॉइंट के रूप में जाना जाता है, जिनका नाम 18वीं सदी के इतालवी खगोलशास्त्री और गणितज्ञ जोसेफ-लुई लैग्रेंज के नाम पर रखा गया है। लैग्रेंज बिंदुओं को L1, L2, L3, L4 और L5 के रूप में दर्शाया गया है। पृथ्वी से L1 की दूरी (1.5 मिलियन किमी) पृथ्वी-सूर्य की दूरी (151 मिलियन किमी) का लगभग 1% है।

– तमाम स्पेस मिशनों को चलाने के लिए स्पेस के मौसम को समझना जरूरी है। इस मिशन से स्पेस के मौसम को भी समझने में मदद मिल सकती है।

– यह सूर्य के कोरोना की स्टडी करेगा। आदित्य एल 1 के पेलोड में लगा वैज्ञानिक कैमरा सूरज की हाई रेजोल्यूशन तस्वीरें लेगा। सौर हवाओं का जायजा भी लिया जाएगा।

– पराबैगनी किरणों के धरती, खासकर ओजोन परत पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन किया जा सकेगा।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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