आनंद शर्मा की रिपोर्ट
सीकर। भारत के अलग-अलग स्थानों पर होली पर्व बड़े ही निराले अंदाज में मनाया जाता है लेकिन राजस्थान के सीकर जिले के रींगस कस्बे में मनाई जाने वाली होली पर्व अपने आप में अनोखी परंपरा लिए हुए हैं यहां पर होली के दूसरे दिन कस्बे वासी इकट्ठे होकर एक साथ बारात व शव यात्रा निकालते हैं।
रियासत काल से चली आ रही परंपरा अनूठी धारणा लिए हुए हैं कस्बे वासियों की मान्यता है कि शव यात्रा के रूप में कस्बे की बुराई का अंत होता है वहीं बारात के रूप में कस्बे में खुशहाली का आगमन होता है। कस्बे की इस अनोखी होली को देखने दूरदराज से कई लोग इस पर्व में शामिल होते हैं। शोभायात्रा निकालने से पहले श्री सूर्य मंडल समाज सेवा समिति के तत्वावधान में भजन गायन का कार्यक्रम होता है वहीं पर कस्बे वासी इकट्ठे होकर एक दूसरे के रंग गुलाल लगाते हैं और होली पर्व की शुभकामनाएं देते हैं।
कस्बे वासियों के द्वारा घास के पुतले का मुर्दा बनाकर शव यात्रा के रूप में ले जाया जाता है धुलंडी खेलने वालों में से ही एक को दूल्हे के रूप में सजाकर ऊंट पर बैठाकर बारात निकाली जाती है। शव यात्रा गोपीनाथ राजा मंदिर से शुरू होकर दशहरा मैदान स्थित श्मशान घाट तक जाती है जहां पर मुर्दे का अंतिम संस्कार के बाद लोग खुशियां मनाते हैं। वहीं दूसरी ओर यह भी संदेश दिया जाता है कि मानव का अंत निश्चित है एक पीढ़ी का अंत होता है वहीं दूसरी का आगमन होता है। इस प्रकार रींगस कस्बे की होली अपने आप में एक अनूठी परंपरा लिए हुई है जिसको देखकर हर कोई हैरान रह जाता है।
Author: samachar
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