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November 22, 2024 8:03 pm

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8 साल में 13000 करोड़ खर्च के बाद भी गंगा रह गई मैली…

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

केंद्र सरकार (Union government) ने 2014 से गंगा की सफाई पर 13,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए हैं। इसमें उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) को सबसे अधिक धनराशि आवंटित हुई है। स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन (NMCG) ने शुक्रवार को राष्ट्रीय गंगा परिषद को इसके संबंध में सूचना दी।

PM Modi ने बैठक की अध्यक्षता की

तीन साल बाद हुई परिषद की बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए की। पीएम मोदी बैठक के लिए कोलकाता जाने वाले थे, लेकिन अपनी मां के निधन के कारण इसे वर्चुअली संबोधित किया। NMCG, जो सरकार के महत्वाकांक्षी नमामि गंगे कार्यक्रम (Namami Gange programme) के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार है, उसने परिषद की बैठक के लिए तैयार किए गए एजेंडा नोट में एक विस्तृत वित्तीय प्रगति रिपोर्ट प्रदान की।

उपलब्ध विवरण के अनुसार केंद्र ने वित्तीय वर्ष 2014-15 से 31 अक्टूबर, 2022 तक NMCG को कुल 13,709.72 करोड़ रुपये जारी किए हैं। उस राशि का अधिकांश 13,046.81 करोड़ रुपये NMCG द्वारा खर्च किया गया। इसमें से 4,205.41 करोड़ रुपये उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) को जारी किए गए, जो राज्यों में सबसे अधिक है। गंगा की 2,525 किलोमीटर लंबाई का लगभग 1,100 किलोमीटर उत्तर प्रदेश में पड़ता है। केंद्र सरकार ने जून 2014 में 20,000 करोड़ रुपये के कुल बजटीय परिव्यय के साथ नमामि गंगे कार्यक्रम शुरू किया था।

उत्तर प्रदेश के बाद बिहार (3,516.63 करोड़ रुपये), पश्चिम बंगाल (1,320.39 करोड़ रुपये), दिल्ली (1,253.86 करोड़ रुपये) और उत्तराखंड (1,117.34 करोड़ रुपये) का नंबर आता है। नमामि गंगे कार्यक्रम (Namami Gange programme) के तहत धन प्राप्त करने वाले अन्य राज्यों में झारखंड (250 करोड़ रुपये), हरियाणा (89.61 करोड़ रुपये), राजस्थान (71.25 करोड़ रुपये), हिमाचल प्रदेश (3.75 करोड़ रुपये) और मध्य प्रदेश (9.89 करोड़ रुपये) शामिल है।

सरकार (government) ने गंगा (Ganga) और उसकी सहायक नदियों का कायाकल्प करने के लिए 31 मार्च 2021 तक की अवधि के लिए 2014-15 में नमामि गंगे (Namami Gange) की शुरुआत की थी। कार्यक्रम को बाद में 31 मार्च 2026 तक और 5 वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया था।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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