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24 February 2025 1:15 am

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नए साल की जरूरी नसीहत

49 पाठकों ने अब तक पढा

मोहन द्विवेदी 

यदि आप नए साल की छुट्टियों का लुत्फ उठाने विदेश जाने की तैयारी में हैं या सर्दी के मौसम में पहाड़ पर हिमपात का आनंद लेने जा रहे हैं अथवा पार्टियों के आयोजन तय कर लिए हैं, तो तुरंत उन्हें रद्द कर दें। हम आपको बेवजह भयभीत नहीं करना चाहते, लेकिन कोरोना वायरस के संभावित प्रसार के मद्देनजर हम आपको नसीहत दे रहे हैं। यदि कुछ आर्थिक नुकसान भी हो रहा है, तो वह व्यापक हित में नगण्य है। फिलहाल हालात ऐसे नहीं हैं कि ऐसे कार्यक्रम खारिज कर देने से होटलों और आतिथ्य उद्योग की अर्थव्यवस्था गोता खा जाएगी, लेकिन तूफान से पहले ही बंदोबस्त किए जाने हितकारी होते हैं। 

देश में एक बार फिर जिस तरह कोविड या कोरोना संक्रमण फैलने की आशंका व्यक्त की जा रही है उसे देखते हुए सभी नागरिकों को सचेत जरूर हो जाना चाहिए और सावधानीपूर्वक अपनी दिनचर्या का पालन करना चाहिए। मगर इसका मतलब कतई नहीं है कि देशवासी सकते या दहशत में आ जायें और अनावश्यक घबराहट में हाय-तौबा करने लगें जिसका असर आर्थिक गतिविधियों पर भी पड़ने लगे।  बेशक चीन में कोरोना का प्रकोप तीव्र गति में है और वहां की जनता कोविड नियमों के तहत जीने को मजबूर है। चिकित्सा विशेषज्ञों की राय में इसका कारण यह माना जा रहा है कि चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने दो वर्ष पहले कोरोना फैलने के समय से ही इस संक्रमण के विरुद्ध लाकडाउन व अलगाव की नीति अपना रखी है जिसकी वजह से यह सामूहिक रूप से कम से कम साठ प्रतिशत जनता को प्रभावित नहीं कर सका और चीन ने इसकी रोकथाम के लिए अपनी ही वैक्सीन विकसित की है जिसकी प्रतिरोधक क्षमता विश्व की अन्य वैक्सीनों के मुकाबले बहुत क्षीण मानी जाती है।

बेशक भारत अब भी अपेक्षाकृत सुरक्षित है और किसी नई लहर की न तो आशंका है और न ही संभावना है। कुछ ही दिनों में यह भी तय हो जाएगा कि कोरोना की नई नस्लें कितनी संक्रामक अथवा मारक हैं। चूंकि भारत सरकार ने शुरुआती परामर्श दिए हैं कि भीड़-भाड़ वाली जगहों पर मास्क पहनें, सामाजिक दूरी बनाकर रखें, कोरोना लक्षण महसूस हों तो टेस्ट कराएं और अनावश्यक यात्राओं से परहेज करें, लिहाजा उनका पालन करना भी देशहित है। प्रधानमंत्री मोदी समेत सांसदों ने अभी से मास्क धारण करना शुरू कर दिया है। राहुल गांधी समेत कांग्रेसियों के देशहित परिभाषित नहीं हैं। दिल्ली एम्स और राम मनोहर लोहिया सरीखे केंद्रीय अस्पतालों में मास्क अनिवार्य कर दिया गया है। हालांकि दिशा-निर्देशों में फिलहाल यह अनिवार्यता नहीं है। मास्क पहन कर और परहेज कर हमने कोरोना महामारी की दो भयावह और घातक लहरों को पराजित किया था। दरअसल दुनिया में 5.87 लाख संक्रमित मामले औसतन दर्ज किए गए हैं। एक ही दिन में 1400 से ज्यादा मौतें भी हुई हैं। यह आंकड़ा भी सीमित करके पेश किया गया हो सकता है। अलबत्ता चीन में ही मौतों की संख्या बेहद डरावनी लगती है। अमरीका, फ्रांस, जापान, दक्षिण कोरिया, यूनान, इटली, ब्राजील आदि देशों में कोरोना संक्रमण के लाखों मामले लगातार सामने आ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चीन से संक्रमण के असली आंकड़े मांगे हैं। महामारी के दौर में ऐसा डाटा छिपाना चिंताजनक और मानवता-विरोधी है। चीन से लोग भागकर लाओस, वियतनाम, म्यांमार आदि देशों को जा रहे हैं। भारत-चीन में भी काफी आवाजाही है। फिलहाल भारत सरकार ने न तो अपनी वायु-सीमाएं बंद की हैं और न ही हवाई यात्राओं पर आंशिक पाबंदी थोपी है, लिहाजा वायरस कहां से कहां संक्रमित करने लगे, यह कुछ भी तय नहीं है।

यदि हम छुट्टियां मनाने विदेश जाते हैं और वहां संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं, तो लौट कर हम अपने परिजनों और अन्य लोगों को संक्रमित कर सकते हैं। ओमिक्रॉन के वेरिएंट बीएफ.7 के संक्रमण का प्रसार इतना अधिक है कि एक संक्रमित व्यक्ति औसतन 18.6 व्यक्तियों को संक्रमित कर सकता है। हालांकि भारत के संदर्भ में ओमिक्रॉन की मारक क्षमता लगभग बेअसर रही है, लेकिन हमें यह भूलना नहीं चाहिए कि देश में संक्रमण के करीब 4.50 करोड़ मामले दर्ज किए जा चुके हैं। मौतों का आंकड़ा भी 5.31 लाख से अधिक है, लेकिन करीब 4.50 करोड़ लोग स्वस्थ भी हुए हैं। हम आपको इन पुराने आंकड़ों से भयभीत नहीं कर रहे, लेकिन विशेषज्ञों के आकलन हैं कि आगामी 90 दिनों में चीन में संक्रमण के 130 नए वेरिएंट मौजूद हो सकते हैं। नतीजतन संक्रमण और उसके प्रभावों का अंदाजा लगाया जा सकता है। चीन का एक और यथार्थ यह भी बताया जा रहा है कि टीकों की 346 करोड़ खुराकें देने के बावजूद लोगों के शरीर में अपेक्षित इम्युनिटी नहीं है, जबकि भारत में 220 करोड़ से ज्यादा खुराकें दी गई हैं और करीब 98 फीसदी लोगों में पर्याप्त इम्युनिटी है। इसकी एक वजह यह भी है कि हमारी काफी आबादी ने संक्रमण झेला है, लिहाजा उनमें प्रतिरोधक क्षमता पर्याप्त है। 

कोरोना निर्देश नियम जारी होने का मतलब यह होगा कि देश का प्रत्येक नागरिक को उसका पालन करना अनिवार्य होगा। इसका कारण भी यही लगता है कि अभी तक पूरे देश में केवल चार मामले ही कोरोना के नये उपस्वरूप संक्रमण के प्रकाश में आये हैं जिनमें से तीन गुजरात के और एक ओडिशा का है। इनमें से तीन समुचित उपचार से ठीक भी हो गये हैं। अतः कोरोना का यह उपस्वरूप जल्दी ही नियन्त्रण में आने वाला भी लगता है और इससे अधिक लोगों के संक्रमित होने का खतरा भी विशेषज्ञ कम बता रहे हैं। लेकिन कोरोना के खिलाफ भारत ने लड़ाई जिस तरह से लड़ी है और इसे रोकने के लिए जो चिकित्सा व जांच ढांचा खड़ा किया है उसी का परिणाम है कि भारत के 140 करोड़ लोगों में से चार मामले पकड़ में आ गये हैं। इसका श्रेय निश्चित रूप से भारतीय चिकित्सा तन्त्र को जाता है। यदि यह मजबूत तन्त्र पिछले लगभग दो सालों में विकसित न किया गया होता तो इतनी जल्दी ये चार मामले पकड़ में न आ पाते। इसके साथ ही वर्तमान मौसम सर्दी का चल रहा है और उत्तर भारत में शीत लहर चल रही है जिसकी वजह से मौसमी सर्दी–जुकाम व बुखार आदि भी आता है।  स्वास्थ्य मन्त्री मनसुख मांडविया ने विगत बुधवार को अपने मन्त्रालय के उच्चाधिकारियों की बैठक करने के बाद स्पष्ट किया कि कोरोना अभी समाप्त नहीं हुआ है और हमें सावधान रहने की जरूरत है। उनका आंकलन पूरी तरह उचित है क्योंकि कोरोना जिस तरह कुछ- कुछ अन्तराल के बाद भेष बदल कर नये उपस्वरूपों में उभर आता है, उसे देखते हुए गफलत में रहने की जरूरत नहीं है। क्योंकि हम जानते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर ने भारत में ही किस कदर कोहराम मचाया था। लेकिन हमें इसके साथ यह भी ध्यान रखना होगा कि कोरोना की लहरों के थपेड़ों से परेशान रही हमारे देश की अर्थव्यवस्था अभी तक उस पटरी पर नहीं चढ़ पाई है जिस पर यह चल रही थी। बामुश्किल नागरिकों के काम-धंधे पुनः चालू हुए हैं और स्थिति सामान्य हुई है। देश में वैक्सीन अभियान चलाकर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के प्रयास हुए हैं। या प्रयास अब भी इस तरह जारी रखने होंगे जिससे कोरोना का खतरा भी दूर रहे। वैसे स्वास्थ्य राज्यों का विषय है और राज्य सरकारें अपने क्षेत्र की स्थितियों को देख कर आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर सकती हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने आज संसद में कोविड के बारे में वक्तव्य देकर भी इसी बात की पुष्टि की कि जहां विश्व के दूसरे देशों में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं वहीं भारत में यह कम हो रहे हैं। इसके बावजूद हमें सा​वधानी बतरने की आवश्यकता है। इसके साथ ही उन्होंने नए साल के समारोह और अन्य समारोहों पर भी रोक लगाने का सुझाव दिया है।

भारत में औसतन 153 संक्रमित मामले रोजाना मिल रहे हैं। हमारी 140 करोड़ से ज्यादा की आबादी की तुलना में यह आंकड़ा नगण्य है। बहरहाल हमें सचेत रहना है और दिशा-निर्देशों का पालन करना है, घबराने की जरूरत नहीं है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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