प्रताप सिंह पटियाल
‘मजहब जब दिलों से निकल कर दिमाग पर चढ़ जाता है तो जहर बन जाता है’ – यह तहरीर मशहूर लेखक ‘सआदत हसन मंटो’ की है। भारत दुनिया के सबसे बडे़ लोकतांत्रिक देशों में शुमार करता है, मगर विडंबना है कि मुल्क की रियासत ज्यादातर जाति व मजहब की सदारत ढूंढती है। हमारे देश के कई सियासी रहनुमा किसी भी घटना को मजहबी रंग देने में माहिर हैं। इसी कारण देश में घटित होने वाली ज्यादातर घटनाओं के पीछे मजहबी जुनून सवार होता है। जबकि राष्ट्र व राष्ट्रनीति राजनीति से ऊपर होने चाहिए। देश की समृद्धि, संपन्नता व मानवता के लिए नासूर बन चुके आतंकवाद जैसे संवेदनशील मसले पर राष्ट्रनीति स्पष्ट व सटीक होनी चाहिए। राष्ट्रवाद को समर्पित सैन्य बहुल राज्य हिमाचल प्रदेश के रणबांकुरों का सैन्य पराक्रम किसी तारूफ का मोहताज नहीं है। भारतीय सेना के शौर्य का हर 10वां वीरता पदक वीरभूमि के सपूतों के सीने पर सुशोभित है। अपने रणबांकुरों के शौर्य पराक्रम पर हर हिमाचली फक्र महसूस करता है। इसीलिए हिमाचल को वीरभूमि कहा जाता है।
मगर कुछ समय से राज्य की सादगी भरी तहजीब व शांतमयी माहौल को बिगाड़ने की कोशिश हो रही है। गत 8 मई 2022 की रात को धर्मशाला के तपोवन में राज्य की शीतकालीन विधानसभा के परिसर व मुख्य गेट पर कुछ असामाजिक तत्वों ने खालिस्तान के झंडे व बैनर लगा दिए थे। हालांकि सुरक्षा एजेंसियों ने मुस्तैदी दिखाते हुए इस कारकर्दर्गी में मुल्लविस कुछ लोगों को पड़ोसी राज्य पंजाब से हिरासत में लिया है। मगर विधानसभा जैसी लोकतंत्र की संस्थाओं का देश विरोधी तत्वों के निशाने पर आना चिंताजनक मसला है। देवभूमि हिमाचल में स्थित शक्तिपीठ व सिद्धपीठ तथा अन्य धार्मिक स्थल लाखों श्रद्धालुओं की आस्था के केन्द्र हैं। देश विदेश के लाखों सैलानी प्रतिवर्ष सुकून के पल बिताने के लिए राज्य के पहाड़ों का रुख करते हैं, मगर श्रद्धालु व टूरिस्ट के तौर पर राज्य का रुख करने वाले कई लोगों के निजी वाहनों पर विवादित झंडे व गैर कानूनी पोस्टर लगे होते हैं। देवभूमि में अराजकता व सांप्रदायिकता का माहौल पैदा करने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत है। प्रशासन व सुरक्षा एजेंसियों को ऐसे तत्वों की शिनाख्त करके राज्य में एंट्री बैन करनी होगी। दरअसल भारत के हमशाया मुल्क पाकिस्तान के वजूद में आते ही ब्रिटिश सैन्य अधिकारी ‘रॉबर्ट कोथ्रोन’ ने सन् 1948 में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ‘आईएसआई’ की स्थापना कर दी थी। तब से लेकर आज तक भारत आतंक से जूझ रहा है।
आतंकवाद अघोषित युद्ध का ही स्वरूप है। आईएसआई सात दशकों से दहशतर्दों की मदद से भारत को अस्थिर करने के प्रयास करती आई है। भारतीय सेना द्वारा चार युद्धों में शर्मनाक शिकस्त झेल चुका दहशतगर्दों की पनाहगाह पाकिस्तान आतंकवाद के कारण आलमी सतह पर बेनकाब होकर बेआबरू हो चुका है, मगर पाक सिपहसालारों ने अपने गुनाहों से कभी तौबा नहीं की। धरती पर जन्नत कही जाने वाली कश्मीर घाटी सन् 1990 के दशक से पाक परस्त आतंक का मरकज बन कर जहन्नुम में तब्दील हो चुकी है। हिमाचल के पांच जिले अंतरराज्यीय सीमाओं से सटे हैं। चंबा जिला की सीमा इसी जम्मू-कश्मीर राज्य से लगती है। हिमाचल का पड़ोसी राज्य पंजाब दो दशक तक पाक प्रायोजित आतंक की मार झेल चुका है। पंजाब के साथ हिमाचल चार सौ कि. मी. से लंबी सरहद साझा करता है जिसमें 40 कि. मी. का इलाका बिलासपुर जिला से सटा है। हिमाचल के पड़ोसी राज्यों में आतंकी मॉडयूल हथियारों के साथ पकडे़ जाते हैं। पाकिस्तान द्वारा सप्लाई की गई करोड़ों रुपए की ड्रग्स की खेप पंजाब सीमा पर हमारे सुरक्षा बलों द्वारा पकड़ी जाती है। हिमाचल के लाखों युवा रोजगार की तलाश में राज्य से पलायन कर रहे हैं। प्रदेश में प्रवासियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। राज्य में अवैध शराब की तिजारत, मर्डर, डकैती व बलात्कार जैसी वारदातों से क्राइम रेट का ग्राफ बढ़ रहा है। महानगरों में फैलने वाली नशे की महामारी देवभूमि के गांवों व शहरों में तेजी से फैल रही है। राज्य में खालिस्तान के विवादित झंडे लगाने का मामला हो या दीवारों पर आपत्तिजनक स्लोगन लिखना, ड्रग्स सप्लाई के बडे़ सरगना तथा परीक्षाओं के पेपर लीक जैसी संगीन वारदातों के तार ज्यादातर दूसरे राज्यों से जुडे़ हैं।
चंूकि हमारे देश में प्रशासन व सुरक्षा एजेंसियां अक्सर किसी बड़ी वारदात के बाद ही अलर्ट मूड में आती हैं, अतः हमारे हुक्मरानों को राज्य की दहलीज पर दस्तक दे रही हिंसात्मक गतिविधियों की आहट के खतरनाक संकेत गंभीरता से समझने होंगे तथा इन घटनाओं से निपटने की मुफीद तजवीज तैयार करनी होगी। लेकिन धार्मिक स्वभाव व अमन पसंद राज्य हिमाचल के खिलाफ नापाक साजिश के ख्वाब देखने वाले देश विरोधी तत्वों को समझना होगा कि विक्टोरिया क्रॉस, परमवीर चक्र, अशोक चक्र व महावीर चक्र जैसे शूरवीरता के आलातरीन सैन्य पदकों से सुसज्जित राज्य हिमाचल में वतनपरस्ती के जज्बात रखने वाले एक लाख से अधिक सेवानिवृत्त सैनिकों को दहशतगर्दी का फन कुचलने की महारत बखूबी हासिल है। प्रदेश के एक लाख से अधिक सैनिक सैन्य बलों का हिस्सा बनकर देश के विभिन्न मोर्चों पर मुस्तैद हैं। राज्य के हजारों सैनिक कश्मीर घाटी व पूर्वोत्तर राज्यों में आतंक को मुंहतोड़ जवाब देने में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। लिहाज़ा भारत से अदावत रखने वाली ताकतें हिंदोस्तान की सरजमीं के अंदर हों या बाहर, ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ जैसे घातक सैन्य आप्रेशन में माहिर हमारी सेना व सुरक्षा एजेंसियां इन्हें खामोश करने में पूरी तरह सक्षम हैं। देश के सियासी नेतृत्व को भारत को खंडित करने के मंसूबे पालने वालों को सख्त लहजे में पैगाम देना होगा। बहरहाल विदेशी धरती की पनाह में बैठकर सैन्य पृष्ठभूमि के गढ़ वीरभूमि हिमाचल के शीर्ष सियासी नेतृत्व व नागरिकों को गीदड़भभकी देने वाले आतंक के तथाकथित पैरोकार यदि अपनी औकात में ही रहें, तो बेहतर होगा। लेकिन नौजवानों के जहन में दहशतगर्दी को अंजाम देने वाली जेहादी मानसिकता का जहर घोलने वाली फिरकापरस्ती की सोच पर माकूल प्रहार पूरी शिद्दत से होना चाहिए। राष्ट्र विरोधी तत्वों पर राष्ट्रवाद का हंटर चलना जरूरी है।
(लेखक बिलासपुर से हैं)
Author: samachar
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