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इंदौर
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लिंग परिवर्तन ; “अलका” से “अस्तित्व” बने इस ट्रांसमैन के अस्तित्व बदलने की रोमांचक कहानी जो आपको झकझोर देगी

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सुहानी राय की रिपोर्ट

‘मैंने पढ़ा और सुना था कि इस सर्जरी में परेशानी आती हैं, दर्द होता है, पर सच कहूं… मैं इंतजार ही करता रह गया दर्द का। सर्जरी के बाद चौथे दिन मैंने डॉक्टर से कहा भी कि मुझे जरा भी तकलीफ नहीं हो रही। शायद ये यहीं तक मिलना थी। या शायद खुशी इतनी ज्यादा थी कि दर्द महसूस ही नहीं हुआ। ऐसा लगा जैसे किसी दैवीय शक्ति ने मेरे सिर पर हाथ रखा और सब कुछ क्षण भर में हो गया। मेरा सालों पुराना सपना पूरा हुआ है…और मैं खुशियों के आसमान में उड़ रहा हूं। खुश हूं कि अब मैडम, दीदी जैसे संबोधनों से मुक्ति मिली।

हॉर्मोन रिप्लेसमेंट के बाद बदल जाती है आवाज

सर्जरी के चार महीने पहले हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थैरेपी दी जाती है। टेस्टोस्टोरॉन के इंजेक्शन लगते हैं और उससे आवाज बदलने लगती है। मेरी आवाज बदल चुकी है। मैंने अपना पूरा वॉइस डॉक्यूमेंट भी रखा है। यानी ऐसे वीडियो बनाए हैं, जिनमें हफ्ते दर हफ्ते आवाज में कैसे बदलाव आते गए। अब मेरी आवाज भारी हो गई है। हॉर्मोन डालने से मूड स्विंग भी होते हैं। गुस्सा ज्यादा और जल्दी आता है। हालांकि, मेरे साथ ऐसा नहीं हुआ, क्योंकि मैं सालों से इस बदलाव का इंतजार कर रहा था और बहुत खुश था।

युवती अलका

तीन सर्जरी होती हैं

जेंडर चेंज कराने से पहले दो साइकोलॉजिस्ट उस व्यक्ति का लिखित और मौखिक टेस्ट लेते हैं। ऐसे सवाल पूछे जाते हैं, जिनसे यह स्पष्ट हो जाता है कि व्यक्ति को जेंडर डायस्पोरा है। इसके बाद एंडोक्राइनोलॉजिस्ट कुछ टेस्ट करता है। इन दोनों जगहों से अप्रूवल के बाद ही सर्जरी कर सकते हैं। शुरुआत होती है हॉर्मोन थैरेपी से। इससे आवाज में बदलाव आने लगते हैं। इसके बाद होती है सर्जरी। महिला से पुरुष बनने की प्रक्रिया के तीन हिस्से हैं। मैस्टेक्टॉमी जिसमें स्तन हटाए जाते हैं। हिस्टेरेक्टॉमी यानी यूटेरस व ओवरीज रिमूवल और फिर फैलोप्लास्टी यानी पुरुष जननांगों का निर्माण। तीनों चरणों में कोई लाइफ रिस्क नहीं है। सर्जरी के बाद कुछ सावधानियां रखना पड़ती हैं। जैसे चेस्ट पर बाइंडर पहनाना होता है ताकि स्तन हटाने के लिए जो टांके लगाए गए हैं वो सुरक्षित रहें। हालांकि सर्जरी के बाद वहां फ्लूड भर जाता है, जो बहुत आम है। मेरे साथ भी यह हुआ। मैं मुंबई गया और महज कुछ मिनट में डॉक्टर ने परेशानी दूर कर दी।

अभी तो इसकी दाढ़ी-मूंछ भी नहीं आई है…

मेरे जीवन में ऐसे कई वाकये हुए हैं जब लोग मेरे पहनावे और रहन-सहन के कारण समझ नहीं पाए कि मुझे क्या कहकर संबोधित करें। मेरे साथ किस तरह व्यवहार करें। जैसे वर्ष 2007 में एक बार किसी ने मेरा परिचय कराते हुए कहा कि इनका कंस्ट्रक्शन और कमोडिटी में बहुत बड़ा कामकाज है। वह शख्स बोले- अभी तो इसकी तो दाढ़ी-मूंछ भी नहीं आई हैं। इतना बड़ा काम कैसे हो सकता है। तब मेरी उम्र 32 साल थी। पर अब हॉर्मोन रिप्लेसमेंट के बाद चेहरे पर रोए आने लगे हैं। मैं इंतजार कर रहा हूं उस दिन का जब हम मूछों को ताव देते हुए चल सकूंगा।’

अलका से अस्तित्व में आया “अस्तित्व”

किसी और की संतुष्टि मायने नहीं रखती

कई लोगों ने मुझसे परिवार शुरू से ही जानता था कि बर्ताव आदमियों जैसा है। मुझे सर्जरी कराना है। इसलिए उन्हें मनाने में परेशानी नहीं हुई। परिवार में माता-पिता हैं। जो साथ रहते हैं। दो बड़ी और एक छोटी बहन हैं। सभी की शादी हो चुकी है।

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samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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