पुनीत नौटियाल की रिपोर्ट
इंदौर । एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें एक महिला ने अनजाने में ही अपने भाई को ‘कफन’ दे दिया। इसका पता उसे चार दिन बाद लगा, जब वो भाई की गुमशुदगी दर्ज कराने थाने पहुंची। पुलिस ने जब चार दिन पहले मिले शव की पहचान कराई तो वह फूट-फूटकर रो पड़ी। शव उसके भाई का ही था। घटना अन्नपूर्णा थाना क्षेत्र की है।
रेलवे क्रॉसिंग के पास रहने वाली मनीषा पंवार के घर पुलिस ने शुक्रवार को आधी रात के बाद दस्तक दी थी। उनसे रेलवे ट्रैक पर पड़ी लाश को बांधने के लिए चादर मांगी। मनीषा ने पुलिस को एक चादर दी और वापस घर आकर सो गई। उसे लगा कि उसने किसी गैर के लिए पुलिस की मदद की है, लेकिन जब हकीकत पता चली तो कलेजा मुंह को आ गया।
एक दिन पहले पुलिस ने वापस भेज दिया था
गायत्री नगर के रहने वाले दिलीप राठौर (21) ने 25 मार्च की रात ट्रेन के सामने कूदकर खुदकुशी कर ली। वह घर से खाना खाकर टहलने के लिए निकला था। दूसरे दिन यानी 26 मार्च की शाम तक घर नहीं लौटा तो परिजनों और रिश्तेदारों ने उसकी तलाश की। उसके माता-पिता ने बहन मनीषा को भी खबर कर दी। जब कहीं पता नहीं चला तो रविवार रात को गुमशुदगी दर्ज कराने के लिए थाने पहुंचे। पुलिस ने उनसे सुबह आने का कहकर लौटा दिया था।
पुलिस अंतिम संस्कार की तैयारी कर रही थी
दिलीप के परिजन सोमवार को फिर थाने पहुंचे। उन्होंने पुलिस को दिलीप का फोटो बताया। पुलिस ने चार दिन पहले मिले शव से उसकी पहचान कराई तो परिजनों के लिए जमीन और आसमान हिल गए। यह मनीषा का भाई था। पुलिस ने शव परिवार के सुपुर्द कर दिया। हालांकि, तीन दिन तक उसकी शिनाख्त नहीं होने के कारण पुलिस कानूनी प्रक्रिया से अंतिम संस्कार की तैयारी कर रही थी। क्योंकि, पुलिस ने ट्रैक पर पड़े शव की तलाशी ली, लेकिन उसे ऐसा कुछ नहीं मिला था, जिससे पहचान हो सके।
खाना खाने के बाद टहलने निकला था
पुलिस ने बताया कि दिलीप रात में खाना खाने के बाद टहलने का कहकर निकला था। परिवार को लगा वह घर में आकर सो गया होगा। सुबह परिवार के लोग रिश्तेदार की गमी होने के चलते वहां चले गए थे। अगले दिन शाम तक परिवार को दिलीप की कोई जानकारी नहीं लगी। इसके बाद उसे ढूंढना शुरू किया। मनीषा के मुताबिक दिलीप चोइथराम मंडी में काम करता था। उसके पिता भी मजदूरी करते हैं। सोमवार शाम परिवार ने उसका अंतिम संस्कार किया।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."