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November 2, 2024 8:55 pm

इत्र नगरी कन्नौज, बिकरु सहित अन्य 59सीटों पर तीसरे चरण का मतदान शुरू

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जीशान मेंहदी की रिपोर्ट

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में तीसरे चरण का मतदान शुरू हो गया है। राज्य में 16 जिलों की 59 सीटों पर सुबह 7 से शाम 6 बजे तक वोट डाले जाएंगे। 59 सीटों पर 627 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें 4 योगी के और एक केंद्रीय मंत्री हैं। 2.15 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे।

सबसे ज्यादा चर्चा है करहल विधानसभा सीट की, जहां से सपा मुखिया अखिलेश मैदान में हैं। वे पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। इसके अलावा बिकरू कांड वाले कानपुर और छापों से चर्चा में आए इत्र व्यापारी वाले कन्नौज में भी वोटिंग होगी। इसके अलावा अखिलेश के चाचा शिवपाल, पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद, पूर्व आईपीएस असीम अरुण भी चर्चा वाले चेहरे हैं। उत्तर प्रदेश में 10 और 14 फरवरी को 113 विधानसभा सीटों पर वोटिंग हो चुकी है।

जहां वोटिंग, वो सपा का गढ़… पर 2017 में भाजपा के हाथ लगी थी बाजी

रविवार को जिन 59 सीटों पर वोटिंग है, वो 16 जिलों में आती हैं।

पश्चमी यूपी के फिरोजाबाद, हाथरस, मैनपुरी, एटा व कासगंज की 19 विधानसभा सीटों पर चुनाव है।

बुंदेलखंड में पांच जिलों झांसी, जालौन, ललितपुर, हमीरपुर और महोबा जिले की 13 विधानसभा सीटों पर वोटिंग हैं।

अवध क्षेत्र के कानपुर, कानपुर देहात, औरैया, फर्रुखाबाद, कन्नौज और इटावा की 27 विधानसभा सीटों पर वोटिंग है।

16 जिलों में 30 सीटें यादव और मुस्लिम बाहुल्य हैं। ऐसे में इसको सपा का मजबूत गढ़ कहा जाता है।

2017 में मोदी लहर में भाजपा ने यहां जबरदस्त प्रदर्शन किया था। इन 59 में से 49 सीटों पर जीत दर्ज की थी। तब सपा के खाते में 8 और बसपा और कांग्रेस ने एक-एक सीट गई थी।

2017 में 59 में से 35 सीटें ऐसी थी, जहां सपा दूसरे नंबर पर रही थी। अब थोड़ा पीछे यानी 2012 के चुनाव की बात की जाए तो सपा ने इन 59 सीटों में 37 सीटें जीतकर सत्ता में पहुंची थी।

वैसे तो यूपी का पूरा चुनाव जिन्ना, आतंकवाद, तमंचावाद, गुंडागर्दी, पुलिस एनकाउंटर, ब्राह्मण उत्पीड़न, गर्मी जैसे मुद्दों के इर्द-गिर्द ही रहा है। शनिवार को भी सीएम योगी ने अहमदाबाद ब्लास्ट के एक दोषी के पिता का सपा से कनेक्शन होने का बयान दिया था। सपा और कांग्रेस बेरोजगारी, पुलिस उत्पीड़न, महिला अपराध पर सरकार को घेरे हुए है।

तीसरे चरण में हाथरस में भी वोटिंग है। यहां दलित युवती की बलात्कार के बाद हत्या और फिर जबरदस्ती अंधेरे में उसका अंतिम संस्कार कराने का मुद्दा है। सपा-कांग्रेस लगातार इस मुद्दे को लेकर योगी सरकार को घेरा है।

कानपुर का बिकरू कांड भी इस बार मुद्दा है। विकास दुबे पुलिस एनकाउंटर और उसके एक सहयोगी अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे को जेल भेजा जाना यहां मुद्दा बना है। विपक्ष इसे ब्राह्मणों के साथ अन्याय बता रही है। बसपा और सपा ने इसको लेकर योगी सरकार को खूब घेरा है।

जिन सीटों पर चुनाव है वहां ज्यादातर में यादव परिवार का हस्तक्षेप है। एसे में भाजपा ने सपा के खिलाफ जातिवाद और परिवारवाद के मुद्दे को धार दी। पीएम मोदी, अमित शाह और योगी ने लगातार परिवारवाद के मुद्दे पर सपा को घेरा है।

16 जिलों की यह बेल्ट खेती-किसानी की बेल्ट है। ऐसे में अखिलेश ने आवारा पशुओं से किसानों की फसल की बर्बादी को भी बड़ा मुद्दा बनाया है।

तीसरे चरण की 5 सबसे चर्चित विधानसभा सीटों में से 4 सपा का गढ़ हैं। एक सीट भाजपा के कब्जे वाली भी है। मोदी से लेकर मुलायम तक सभी बड़े नेता इन विधानसभा सीटों पर बड़ी-बड़ी रैलियां कर चुके हैं।

  1. करहल में अखिलेश VS एसपी बघेल

ये उत्तर प्रदेश चुनाव की सबसे हॉट सीट हैं। यहां से समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव चुनावी मैदान में हैं। अखिलेश को कड़ी टक्कर देने के लिए यहां से बीजेपी ने आगरा के सांसद और कैबिनेट मंत्री एसप. सिंह बघेल को मैदान में उतारा है। 1993 से लेकर अब तक सिर्फ यादव ही चुनाव जीतते आए हैं, पार्टी चाहे कोई भी रही हो। कहा जा रहा है, इस सीट पर गुरु के बेटे और शिष्य के बीच की लड़ाई है। दरअसल, एसपी सिंह बघेल मुलायम के राजनीतिक शिष्य हैं और अखिलेश बेटे।

  1. जसवंतनगर में शिवपाल VS विनय शाक्य

पिछले 5 विधानसभा चुनावों से इस सीट पर केवल समाजवादी पार्टी का कब्जा है। मुलायम सिंह यादव भी पहली बार इसी सीट को जीत कर विधायक बने थे। इस बार फिर अखिलेश के चाचा और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के मुखिया शिवपाल यादव चुनावी मैदान में हैं। भाजपा ने यहां से युवा नेता विनय शाक्य को मैदान में उतारा है। 32 साल के विनय जसवंतनगर क्षेत्र के चर्चित चेहते हैं। इनके पिता मनोज शाक्य भी जाने-माने समाजसेवी हैं।

  1. कन्नौज में असीम अरुण VS अनिल दोहरे

दुनियाभर में इत्र नगरी के नाम से जानी जाने वाली कन्नौज वो सीट है, जहां से अखिलेश और डिंपल यादव ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। इत्र व्यापारी के घर छापे के बाद से ये शहर लगातार चर्चा का विषय बना हुआ है। इस सीट में सपा और भाजपा में कड़ी टक्कर देखने को मिलेगी। यहां सपा के तीन बार विधायक रहे अनिल दोहरे चौथी बार चुनावी मैदान में हैं। वहीं भाजपा ने कानपुर के पूर्व पुलिस कमिश्नर असीम अरुण को मैदान में उतरा है। पिछले चुनाव में भाजपा प्रत्याशी बनवारी लाल केवल 2454 वोट से हार गए थे।

  1. हाथरस में रामवीर VS गुड्डू चौधरी

बीजेपी और आरएलडी के बीच कड़ी टक्कर है। इस सीट पर 15 जनवरी को बसपा छोड़ भाजपा में आए रामवीर उपाध्याय चुनावी मैदान में हैं। उनको सपा के समर्थन वाले आरएलडी के प्रदीप चौधरी गुड्डू कड़ी टक्कर देते नजर आ रहे हैं। जहां एक ओर रामवीर बसपा के बड़े नेता और सरकार में पूर्व मंत्री रहे हैं। हाथरस जिले में 3 विधानसभा सीटें हैं, सभी सीटों से विधायक बन चुके हैं। वहीं गुड्डू भी यहां से जिला पंचायत सदस्य और चर्चित नाम हैं। उनको सीट की सबसे बड़ी जाट आबादी का समर्थन प्राप्त है।

  1. कानपुर में विश्नोई VS हाजी इरफान

सपा का मजबूत किला मानी जाती है। मोदी लहर में भी भाजपा इस सीट पर कब्ज़ा नहीं कर पाई। बीजेपी पिछले 20 साल से इस सीट में जीत का इंतजार कर रही है। सपा के टिकट पर 2012 से लगातार विधायक बन रहे हाजी इरफान सोलंकी फिर चुनावी मैदान में हैं। वहीं भाजपा ने प्रदेश उपाध्यक्ष और एमएलसी सलिल विश्नोई को मैदान में उतारा है। सलिल विश्नोई आर्यनगर और जनरलगंज से 3 बार के विधायक हैं।

करोड़पति कैंडिडेट्स के मामले में सपा आगे

तीसरे चरण में सपा पार्टी के 52 उम्मीदवारों की संपत्ति 1 करोड़ रुपये से अधिक है, जबकि भाजपा 48 उम्मीदवार ऐसे हैं। एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार बसपा ने ऐसे 46 उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि कांग्रेस ने 29 और आम आदमी पार्टी ने 18 करोड़पति को मैदान में उतारा है। 20 फरवरी को चुनाव लड़ने वाले 627 उम्मीदवारों में से 245 (39%) उम्मीदवार करोड़पति हैं।

मैदान में सबसे अमीर उम्मीदवार सपा के यशपाल सिंह यादव हैं, जिनकी संपत्ति 70 करोड़ रुपए से अधिक है। वह झांसी की बबीना सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। दूसरे कानपुर के किदवाई नगर सीट से चुनाव लड़ रहे कांग्रेस प्रत्याशी अजय कपूर के पास 69 करोड़ की संपत्ति है।

इन 59 विधानसभा सीटों पर मतदान

हाथरस, सादाबाद, सिकंदरा राऊ, टूंडला, जसराना, फिरोजाबाद, शिकोहाबाद, सिरसागंज, कासगंज, अमांपुर, पटियाली, अलीगंज, एटा, मारहरा, जलेसर, मैनपुरी, भोगांव, किशनी, करहल, कायमगंज, अमृतपुर, फर्रुखाबाद, भोजपुर, छिबरामऊ, तिर्वा, कन्नौज, जसवंतनगर, इटावा, भरथना, बिधूना, दिबियापुर, औरैया, रसूलाबाद, अकबरपुर-रनिया, सिकंदरा, भोगनीपुर, बिल्हौर, बिठूर, कल्याणपुर, गोविंदनगर, सीसामऊ, आर्यनगर, किदवई नगर, कानपुर कैंटोनमेंट, महराजपुर, घाटमपुर, माधौगढ़, कालपी, उरई, बबीना, झांसी नगर, मऊरानीपुर, गरौठा, ललितपुर, महरौनी, हमीरपुर, राठ, महोबा, चरखारी।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."