google.com, pub-2721071185451024, DIRECT, f08c47fec0942fa0
आज का मुद्दा

बेवफ़ाई का दर्द, मर्द की चुप्पी और समाज की बेरुख़ी – कब बदलेगा ये नजरिया?

IMG-20250425-WA1620
IMG-20250425-WA1484(1)
IMG-20250425-WA0826
IMG-20250502-WA0000
Light Blue Modern Hospital Brochure_20250505_010416_0000
Green Modern Medical Facebook Post_20250505_080306_0000
IMG-20250513-WA1941
137 पाठकों ने अब तक पढा

“हर ब्रेकअप में लड़के को दोषी मानना एक सामाजिक पूर्वाग्रह है। इस लेख में पढ़िए कि कैसे पुरुषों की भावनाएं, वफ़ा और दर्द अक्सर अनदेखे रह जाते हैं।”

पारसमणि अग्रवाल

जब कोई रिश्ता टूटता है, तो सबसे पहले कटघरे में खड़ा किया जाता है लड़के को। बिना सुने, बिना समझे और बिना परखे, समाज का नजरिया सीधा होता है – लड़की रोई, वो मासूम है; लड़का चुप रहा, तो जरूर गुनहगार है। यह कैसा इंसाफ है? क्या रिश्तों की जिम्मेदारी सिर्फ पुरुष के हिस्से में ही आती है?

प्यार, एक शब्द जो सुनते ही दिल धड़क उठता है। यह विश्वास, समर्पण और दो आत्माओं का मेल है। लेकिन आज के सामाजिक परिवेश में यह पवित्र भावना एकतरफा कसौटी बन गई है, जिसमें कसौटियों पर सिर्फ लड़का ही कसा जाता है। यदि लड़की रिश्ता तोड़े, तो उसे स्वतंत्रता की प्रतीक कहा जाता है, और अगर लड़का ब्रेकअप करे, तो वो बेवफा करार दिया जाता है। आखिर क्यों?

क्या पुरुष की भावनाओं की कोई कीमत नहीं?

हर बार जब कोई रिश्ता समाप्त होता है, तो समाज का पहला सवाल होता है – “लड़के ने क्या किया?” पर क्या कभी किसी ने यह जानने की कोशिश की – “लड़की ने क्या किया?”

आज के समय में कई बार ऐसा होता है कि लड़की ही धोखा देती है, दोहरी ज़िंदगी जीती है, झूठ बोलती है। लेकिन फिर भी, समाज उसे मासूम समझता है, केवल इसलिए कि वह एक औरत है। क्या महिलाओं को गलतियाँ करने की छूट है सिर्फ इसलिए कि वो स्त्री हैं?

दरअसल, समाज ने एक ढांचा तैयार कर लिया है, जिसमें अगर कोई रिश्ता टूटे, तो दोष स्वतः पुरुष के सिर मढ़ दिया जाता है।

दर्द के उस पार – लड़का भी टूटता है

एक लड़का जब किसी लड़की से प्यार करता है, तो वह न केवल अपना समय, पैसा और भावनाएँ समर्पित करता है, बल्कि कई बार अपने सपनों और जिम्मेदारियों से समझौता करता है। मीटिंग्स छोड़कर मिलना, रातों की नींद त्यागना, उसकी ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए खुद की जरूरतें टालना—यह सब सिर्फ एक सच्चे रिश्ते की उम्मीद में करता है।

<img src="path-to-your-image.jpg" alt="ब्लैक एंड व्हाइट चित्र जिसमें एक युवक भावनात्मक रूप से टूटा हुआ नज़र आ रहा है, उसके चेहरे पर दर्द और चुप्पी झलकती है; पृष्ठभूमि में एक जोड़ा और एक बैठा हुआ व्यक्ति समाज की उदासीनता को दर्शाते हैं – मर्द के टूटे हुए दिल और बेवफाई पर खामोश समाज की प्रतीकात्मक प्रस्तुति।" width="100%" />

पर जब यही रिश्ता टूटता है, तो उसे बेवफा, मतलबी, और खिलवाड़ करने वाला बता दिया जाता है।

सिर्फ आँसू नहीं, सच्चाई भी ज़रूरी है

आजकल सोशल मीडिया पर ब्रेकअप्स की कहानियाँ वायरल होती हैं। लड़कियाँ चैट्स, फोटोज़ और पर्सनल डीटेल्स सार्वजनिक कर देती हैं। उन्हें सहानुभूति मिलती है, लड़के की छवि धूमिल हो जाती है।

पर क्या कोई पूछता है कि लड़का किन मानसिक हालातों से गुज़रा? कई बार ये तनाव आत्महत्या जैसी गंभीर घटनाओं तक भी ले जाता है, पर समाज की प्रतिक्रिया होती है – खामोशी।

दोहरा मापदंड – एक सामाजिक विडंबना

अगर लड़का दो लड़कियों से बात कर ले, तो उसे चरित्रहीन कह दिया जाता है। पर अगर लड़की दो लड़कों से एक साथ डेटिंग कर रही हो, तो कहा जाता है – “वो अपने ऑप्शन्स एक्सप्लोर कर रही है।”

यही है समाज का असली चेहरा। वही काम अगर लड़की करे तो “मॉडर्न”, और लड़का करे तो “गुनहगार”?

हर आँसू सच्चा नहीं होता

हर ब्रेकअप में लड़का गलत नहीं होता, और हर आँसू सच्चाई की मोहर नहीं होता। हर कहानी की दो तरफ होती हैं, लेकिन सुनाई सिर्फ एक ही जाती है – लड़की की।

समाज को यह समझना होगा कि वफ़ा किसी जेंडर की जागीर नहीं होती। यह भावनाओं की पराकाष्ठा होती है, जिसे महसूस करने वाला कोई भी हो सकता है – लड़का या लड़की।

अब ज़रूरत है एक नए दृष्टिकोण की

समाज को चाहिए कि वह आँखें खोले। लड़कों की चुप्पी को कमजोरी न समझें, उनके टूटने को बेवफाई न कहें।

आइए, हम इस एकतरफा सोच को तोड़ें। हर रिश्ता, हर ब्रेकअप, हर प्रेमकथा एक नई परत लिए होती है। और इन परतों को समझे बिना फैसला सुनाना – यह समाज की सबसे बड़ी नाइंसाफी है।

samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

[embedyt] https://www.youtube.com/embed?listType=playlist&list=UU7V4PbrEu9I94AdP4JOd2ug&layout=gallery[/embedyt]
Tags

samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close
Close