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गिरवां

जाएं तो जाएं कहाँ…साधनहीन लोगों की जान ले रही है सर्दी, अभी तक दो जान चली गई और कोई प्रशासनिक पहल नहीं 

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संतोष कुमार सोनी की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में ठंड का प्रकोप जानलेवा साबित हो रहा है। कड़ाके की सर्दी के बीच दो दर्दनाक मौतों की घटनाएं सामने आई हैं, जो समाज और प्रशासन के लिए गंभीर चिंता का विषय हैं। पहला मामला गिरवा थाना क्षेत्र के नसेनी गांव का है, जहां 47 वर्षीय शिवलली की मौत ठंड के कारण हुई। वहीं, दूसरी घटना पैलानी थाना क्षेत्र के खैरई गांव की है, जहां 18 वर्षीय पंकज ने सर्दी के प्रकोप में अपनी जान गंवा दी।

पहली घटना: ठंड ने छीनी शिवलली की जिंदगी

गिरवा थाना क्षेत्र के नसेनी गांव में शिवलली अपनी दिनचर्या के अनुसार सुबह नहाने गई थीं। ठंड का असर इतना तीव्र था कि नहाने के दौरान ही उनकी तबीयत बिगड़ गई। परिजन उन्हें जिला अस्पताल ले गए, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इस घटना ने ठंड के खतरे को उजागर किया है, खासकर उन ग्रामीण इलाकों में जहां लोग सर्दी से बचने के पर्याप्त साधन नहीं रखते।

दूसरी घटना: युवा पंकज की असामयिक मृत्यु

पैलानी थाना क्षेत्र के खैरई गांव में 18 वर्षीय पंकज खेतों में सिंचाई करने के बाद घर लौटे। थकावट और ठंड के कारण दुकान में बैठते ही वह बेहोश हो गए। परिजनों और ग्रामीणों ने उन्हें तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया, लेकिन वहां भी उनकी जान नहीं बच सकी। ठंड के इस कहर ने एक युवा की जान ले ली, जो अपने परिवार का सहारा था।

एआई सांकेतिक तस्वीर

ठंड से मौतें: प्रशासन और समाज के लिए सवाल

यह दोनों घटनाएं बताती हैं कि ठंड का प्रकोप किस तरह कमजोर वर्ग और ग्रामीण आबादी पर कहर बनकर टूट रहा है। सर्दी के मौसम में जहां शहरों में लोग हीटर और गर्म कपड़ों का सहारा लेते हैं, वहीं ग्रामीण इलाकों में सर्दी से बचने के उपाय बेहद सीमित हैं। ठंड से मौतें इस ओर इशारा करती हैं कि हमारी स्वास्थ्य और आपदा प्रबंधन व्यवस्था में बड़े सुधार की जरूरत है।

मामले की जांच और भविष्य की तैयारी

पुलिस ने दोनों शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है। हालांकि, प्रशासन को केवल जांच और पोस्टमॉर्टम तक सीमित नहीं रहना चाहिए। ठंड से बचाव के लिए समय रहते कदम उठाए जाने चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में ठंड से बचाव के लिए कंबल वितरण, सामुदायिक अलाव, और स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था प्राथमिकता होनी चाहिए।

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बांदा की इन घटनाओं ने ठंड के खतरे को एक बार फिर उजागर किया है। यह समय है कि हम ठंड से बचाव के लिए ठोस कदम उठाएं, ताकि कोई और शिवलली या पंकज सर्दी के कहर का शिकार न बने। प्रशासन, समाज और स्वयंसेवी संगठनों को मिलकर इस दिशा में कार्य करना होगा, ताकि मानव जीवन की इस तरह की त्रासदी से रक्षा की जा सके।

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samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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