कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
लखनऊ के सरोजिनी नगर क्षेत्र के नगर पंचायत बंथरा में सरकारी उसर और बंजर भूमि पर अवैध कब्जे का मामला गंभीर रूप ले चुका है। करोड़ों की मूल्यवान सरकारी जमीन पर अवैध रूप से दुकानें और भूखंड बनाए जा रहे हैं। स्थानीय प्रशासन और राजस्व विभाग की निष्क्रियता ने इन अवैध गतिविधियों को बढ़ावा दिया है, जिससे भूमाफिया और रसूखदार लोगों के हौसले बुलंद हैं।
हाईवे पर कब्जा: गाटा संख्या 1593 का मामला
लखनऊ-कानपुर हाईवे पर स्थित सरकारी जमीन (गाटा संख्या 1593) पर अवैध कब्जा कर दुकानें और भूखंड तैयार किए गए हैं। इन दुकानों में नामी ब्रांड के सोने-चांदी के आभूषण और बर्तनों का कारोबार किया जा रहा है। स्थानीय नागरिकों और मीडिया की बार-बार की गई शिकायतों के बावजूद, राजस्व विभाग और लेखपाल कार्रवाई करने में असफल रहे हैं।
लेखपाल सत्येंद्र कुमार की संदिग्ध भूमिका
इस मामले में लेखपाल सत्येंद्र कुमार की भूमिका पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, उनसे संपर्क करने की कई कोशिशें नाकाम रहीं। 10 दिसंबर 2024 से उनके फोन कॉल्स काटे जा रहे हैं, जिससे उनकी संलिप्तता का संदेह बढ़ गया है।
विभागीय भ्रष्टाचार और मिलीभगत
स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता और भ्रष्टाचार ने अवैध कब्जाधारकों को संरक्षण दिया है। सरकारी रिकॉर्ड (खतौनी) में स्पष्ट होने के बावजूद, इन अवैध निर्माणों पर कार्रवाई नहीं हो रही है। सूत्रों का कहना है कि रसूखदार लोगों ने सरकारी जमीन पर कब्जा कर बड़े पैमाने पर व्यापार शुरू कर दिया है।
मुख्यमंत्री का हस्तक्षेप
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए सरोजिनी नगर के उपजिलाधिकारी से 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट मांगी है। साथ ही, सरकारी जमीन को मुक्त कराने के लिए विशेष अभियान शुरू करने की योजना बनाई जा रही है।
खसरवारा ग्रीन सिटी में तालाबों पर अवैध कब्जा
ग्राम पंचायत खसरवारा में भी सरकारी तालाबों (गाटा संख्या 144, 228 और 117) पर कब्जे के मामले सामने आए हैं। प्रॉपर्टी डीलर मोहम्मद नदीम अब्दुल हसन सिद्दीकी ने राजस्व विभाग और लेखपालों की मिलीभगत से इन जमीनों पर अवैध प्लॉटिंग कर करोड़ों का व्यापार शुरू कर दिया है। यहां एक प्लॉट की कीमत 15-20 लाख रुपए तक है।
भ्रष्टाचार का केंद्र बना बंथरा
सरोजिनी नगर क्षेत्र में हो रहे इस अवैध कारोबार में स्थानीय नेताओं और रसूखदार लोगों का समर्थन स्पष्ट दिखाई दे रहा है। सरकारी राजस्व को हो रहे करोड़ों के नुकसान के बावजूद, सक्षम अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। मुख्यमंत्री के निर्देशों की अनदेखी करते हुए भ्रष्टाचार जारी है।
जांच की मांग
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। यदि ईमानदार अधिकारियों द्वारा जांच कराई जाए, तो न केवल सच्चाई उजागर होगी, बल्कि सरकारी खजाने को हुए नुकसान की भरपाई भी संभव होगी। अवैध कब्जाधारकों और भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत है।
सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे और प्रशासनिक भ्रष्टाचार का यह मामला गंभीर चिंता का विषय है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा दिए गए निर्देशों के बाद उम्मीद की जा रही है कि इस मुद्दे पर सख्त कार्रवाई होगी और सरकारी संपत्तियों को बचाया जा सकेगा।
Author: samachar
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