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27 December 2024 4:53 am

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झीलों के आईने में बसा शहर, मन मोह लेता है और शब्दों में अचानक खनक सी आ जाती है….

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 अनिल अनूप

दृष्टि जब भोपाल की ओर मुड़ती है, तो उसे इतिहास, प्रकृति और संस्कृति की अनूठी संगमभूमि दिखाई देती है। झीलों के प्रतिबिंब में चमकता यह शहर, मानो समय के गहनों से सजा कोई अमूल्य रत्न हो।

भोपाल की सुबहें शांत झीलों की गोद में उगते सूर्य के स्पर्श से जीवन पाती हैं। बड़ी झील और छोटी झील के जल पर नृत्य करती किरणें मानो कवि की कलम से छिटकी हुई स्वर्णिम पंक्तियाँ हों। मृदुल लहरों में नावों की धीमी गति और पक्षियों की कलरव यह एहसास दिलाते हैं कि जीवन यहाँ ठहर कर सांस लेता है।

शहर का सौंदर्य और प्रकृति

प्राकृतिक सुषमा से सजी भोपाल की धरती का हर कोना एक कविता है। वन विहार की हरियाली, श्यामला हिल्स का ऊँचा उठता श्रृंगार, और कमला पार्क की झील किनारे फैली गुलमोहर की कतारें—सब मिलकर एक ऐसा आलंबन रचते हैं, जिसमें शांति, स्फूर्ति और सजीवता के भाव गुँथे हुए हैं। यहाँ की शामें जब झील के किनारे, चाय की चुस्कियों और बतकही में ढलती हैं, तब ऐसा लगता है मानो जीवन एक मधुर गीत गा रहा हो।

शहर के लोग और समाज

भोपाल के बाशिंदे सरलता और आत्मीयता की मिसाल हैं। यहाँ की गंगा-जमुनी तहज़ीब शहर के हर हिस्से में झलकती है। पुराने शहर की तंग गलियों में महकती बिरयानी, पान की दुकान पर बैठे बतियाते बुजुर्ग, और मस्जिदों- मंदिरों की सटीक परछाईयों में गुजरता समय — यह सब मिलकर भोपाल की आत्मा को जीवंत करते हैं।

यहाँ के समाज में हर रंग का स्पर्श है। नवाबी रुतबा और ज़मीनी सादगी का यह संगम अनोखा है। ताज-उल-मस्जिद के गुम्बद जितने विशाल, उतनी ही भोपाल की सोच भी व्यापक है। साहित्यकार को यहाँ जीवन के विविध आयाम दिखाई देते हैं—पुराने वक़्त की रवायतें, नई पीढ़ी के सपने, और मध्यवर्गीय संघर्षों की हलचलें।

खानपान और जायका

भोपाल का खाना—एक स्वादिष्ट कथा। शहर की गलियों में बसी सुगंधित बिरयानी और कबाबों की दुकानों से उठती खुशबू, भुट्टे की कीस और पोहा-जलेबी की महक जैसे शब्दों को स्वाद का जामा पहना देती है। पुराने शहर के इमामी दरवाज़े पर गर्मागर्म चाय की प्याली में हर मुलाकात की गर्माहट घुली रहती है।

रहन-सहन और संस्कृति

भोपाल की इमारतें इतिहास का दस्तावेज़ हैं। शौकत महल और गौहर महल जैसे धरोहरें नवाबी शान की गवाही देती हैं, तो आधुनिकता की ओर बढ़ते मॉल और कॉफी शॉप्स बदलते समय की धुन सुनाते हैं। लेकिन फिर भी, भोपाल की रूह हमेशा झीलों के शांत पानी की तरह गहरी और शांत बनी रहती है।

भोपाल न केवल झीलों का शहर है, यह सपनों का दर्पण भी है। यहाँ की माटी में इतिहास की गूँज और भविष्य की आहट समाई हुई है। यह शहर सिर्फ़ एक स्थान नहीं, बल्कि एक अनुभव है — जिसमें जीवन अपनी हर धार में बहता है, जहाँ सौंदर्य और संघर्ष साथ-साथ चलते हैं, और जहाँ हर दिन एक नई कविता रची जाती है।

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