चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
मध्य प्रदेश पुलिस ने डिजिटल ठगी के एक बड़े मामले में सफलता हासिल की है, जिसमें 46 लाख रुपये की ठगी का पर्दाफाश हुआ है। इस मामले में जांच के दौरान पुलिस के तार उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले से जुड़े। ठगी का यह मामला इतना पेचीदा निकला कि इसकी जड़ें मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और चीन तक फैली हुई पाई गईं। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए कन्नौज जिले में एक मदरसा संचालक और उसके बेटे को गिरफ्तार किया है।
मामले का खुलासा
सितंबर महीने में इंदौर की एक महिला को डिजिटल ठगों ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ कर लिया था। ठगों ने महिला को भ्रमित कर उससे 46 लाख रुपये अपने बताए गए खातों में ट्रांसफर करवा लिए।
इस घटना की शिकायत मिलने के बाद इंदौर पुलिस ने मामले की तफ्तीश के लिए एक विशेष टीम गठित की। जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि इस ठगी में उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले के सतौरा गांव के निवासी अली अहमद और उसके बेटे असद अहमद का हाथ है।
अली और असद की गिरफ्तारी
पुलिस की जांच में सामने आया कि अली अहमद तिर्वा के एक इंटर कॉलेज में शिक्षक था और 9 साल पहले सेवानिवृत्त हो चुका है। उसका बेटा असद अहमद कन्नौज में एक मदरसा संचालित करता है। इंदौर क्राइम ब्रांच ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया और उन्हें जालसाजी के आरोप में जेल भेज दिया।
42 बैंक अकाउंट फ्रीज
पुलिस ने इस मामले की छानबीन करते हुए अब तक कुल 42 संदिग्ध बैंक खातों को फ्रीज किया है। जानकारी के अनुसार, अली और असद के पास फलाह दारेन मदरसा के नाम से दो बैंक खाते थे, जिन्हें हाल ही में खोला गया था। इन्हीं खातों में ठगी की रकम ट्रांसफर की गई। पुलिस जांच में सामने आया कि इस गिरोह ने 50% कमीशन के लालच में अपने खातों का इस्तेमाल ठगी के लिए करवाया।
ठगी का अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क
साइबर सेल भोपाल के एडिशनल डीसीपी शैलेंद्र चौहान के अनुसार, यह गिरोह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम कर रहा है। इसका संचालन दुबई से भी हो रहा है। गिरोह के मुख्य आरोपियों पर इनाम घोषित कर दिया गया है। इंदौर के डीसीपी राजीव त्रिपाठी ने बताया कि इस मामले में बड़े स्तर पर लेन-देन का खुलासा हुआ है। गिरोह एक विशेष प्रकार के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करता था, जिसकी मदद से ठगी की रकम को चीन के शिकागो में स्थित खातों में भेजा जाता था।
जम्मू-कश्मीर से संबंध
पकड़े गए आरोपियों ने पुलिस पूछताछ में बताया कि उनकी मुलाकात फेसबुक के जरिए जम्मू-कश्मीर के एक व्यक्ति से हुई थी। इस व्यक्ति ने उन्हें बैंक अकाउंट किराए पर देने का ऑफर दिया। 50% कमीशन के लालच में अली और असद ने अपने खातों को किराए पर देना शुरू कर दिया।
मदरसे के खातों में करोड़ों का लेन-देन
जांच के दौरान पुलिस ने पाया कि मदरसे के नाम पर कुल 9 बैंक खाते थे, जिनमें करोड़ों रुपये का ट्रांजेक्शन हुआ था। ठगी की रकम को मदरसे के खातों के जरिए कई जगहों पर ट्रांसफर किया गया।
सरकारी प्रतिक्रिया
मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री विश्वास सारंग ने पुलिस की इस कार्रवाई की सराहना की और कहा, “यह पहला मामला है जब पुलिस ने इस तरह के डिजिटल अरेस्ट करने वाले आरोपियों को गिरफ्तार किया है। अगर किसी संस्था का गैर-कानूनी काम में हाथ है, तो सख्त कार्रवाई होगी।”
आगे की कार्रवाई
पुलिस का मानना है कि इस मामले में अभी कई और बड़े खुलासे हो सकते हैं। डिजिटल ठगी का यह गोरखधंधा एक संगठित गिरोह के रूप में काम कर रहा है, और पुलिस हर पहलू पर गहराई से जांच कर रही है।
यह घटना एक बार फिर यह साबित करती है कि डिजिटल युग में साइबर ठगी का खतरा बढ़ता जा रहा है और सावधानी बरतना अनिवार्य हो गया है।