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November 23, 2024 6:07 pm

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किसानों की आत्महत्या, कर्जदारी और पलायन ; महज एक साल में 192 किसानों ने की आत्महत्या…

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संतोष कुमार सोनी की रिपोर्ट

बांदा – विद्याधाम समिति ने शनिवार को अपने कार्यालय में एक महत्वपूर्ण जनसंवाद कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें किसानों की आत्महत्या, कर्जदारी, और ग्रामीण पलायन जैसे गंभीर मुद्दों पर चर्चा की गई। इस कार्यक्रम में समिति के कार्यकर्ताओं प्रभा मिश्रा और अर्चना कुशवाहा ने अपनी सर्वे रिपोर्ट प्रस्तुत की। रिपोर्ट में बताया गया कि बीते एक साल में जनपद में 192 किसानों ने आत्महत्या की है, जिनमें से 75 महिलाएं थीं। इसके साथ ही, सर्वे में यह भी खुलासा हुआ कि 90 प्रतिशत किसान कर्ज में डूबे हुए हैं और लगभग 70 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों ने रोजगार की तलाश में महानगरों की ओर पलायन किया है।

प्राकृतिक आपदाओं और गिरते जल स्तर ने फसलों को किया प्रभावित

कार्यक्रम के दौरान यह जानकारी दी गई कि बांदा जिले में प्राकृतिक आपदाओं, बेमौसम बारिश और जल स्तर में लगातार गिरावट के चलते फसलों की स्थिति अत्यंत खराब हो चुकी है। इसके कारण किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। वहीं, मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के तहत आने वाले रोजगार के अवसर भी कम हो गए हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी बढ़ रही है। वरिष्ठ लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता भारत डोगरा ने इन आंकड़ों को बेहद चिंताजनक बताया। उन्होंने कहा कि यदि जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह स्थिति और अधिक गंभीर हो सकती है।

प्राकृतिक खेती से आत्मनिर्भरता का सुझाव

भारत डोगरा ने समाधान के रूप में प्राकृतिक खेती को अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जैविक खेती अपनाने से किसानों की खेती की लागत में कमी आ सकती है और वे आत्मनिर्भर बन सकते हैं। उन्होंने महाराष्ट्र के किसानों का उदाहरण देते हुए कहा कि जैविक खादों और किचन गार्डन की अवधारणा को अपनाकर किसान अपने जीवन स्तर में सुधार ला सकते हैं।

समिति के सर्वेक्षण और समाचार पत्रों पर आधारित आंकड़े

कार्यक्रम में उपस्थित विद्याधाम समिति के मंत्री राजाभइया ने बताया कि यह आंकड़े समिति की सर्वे रिपोर्ट और समाचार पत्रों पर आधारित हैं। रिपोर्ट से यह भी पता चला कि 2020 से आत्महत्याओं की संख्या में हर साल वृद्धि हो रही है। इसके अतिरिक्त, ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं में नशे की लत तेजी से बढ़ रही है। गुटखा, शराब और अन्य मादक पदार्थों की लत ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। उन्होंने नशे पर नियंत्रण के लिए सामुदायिक प्रयासों को तेज करने की आवश्यकता पर बल दिया।

सामूहिक प्रयासों से समाधान की उम्मीद

इस संवाद में संगीताचार्य लल्लूराम शुक्ल, समाजसेविका माया श्रीवास्तव, और पूर्व प्रधान विजय बहादुर सहित कई वक्ताओं ने किसानों को आत्महत्या जैसे कदम उठाने से रोकने के लिए सामूहिक प्रयासों और संगठनात्मक मजबूती पर जोर दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि किसान एक-दूसरे के सुख-दुख में भागीदार बनें और किसी भी कठिन परिस्थिति में आत्महत्या का रास्ता अपनाने से पहले परामर्श लें।

महिलाओं और ग्रामीण समुदायों की भागीदारी

कार्यक्रम का संचालन मुबीना खातून ने किया और ‘चिंगारी संगठन’ द्वारा समुदाय में किए जा रहे विभिन्न प्रयासों की जानकारी दी। इस जनसंवाद कार्यक्रम में कई गांवों से आए महिला-पुरुषों ने भाग लिया और अपने विचार साझा किए। संवाद का मुख्य उद्देश्य किसानों के बीच बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्ति को रोकना और उन्हें कर्ज, नशे और पलायन की समस्या से निजात दिलाने के लिए जागरूक करना था।

विद्याधाम समिति के इस कार्यक्रम ने बांदा जिले के किसानों की दुर्दशा पर एक बार फिर से रोशनी डाली। कृषि क्षेत्र में सुधार और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए सामूहिक प्रयासों की जरूरत है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन और समाज किस प्रकार से इन चिंताओं को दूर करने के लिए ठोस कदम उठाते हैं।

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