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November 24, 2024 6:48 pm

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हार दिखी तो पीछे हटी, अब घमंड बीच में आ गया….; अखिलेश यादव ने भाजपा पर कसा तंज

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अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में पिछले कुछ दिनों से चल रहे छात्रों के जोरदार विरोध प्रदर्शन के बाद उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) ने अपना विवादित निर्णय वापस ले लिया है। छात्रों के आक्रोश और दबाव के चलते यूपीपीएससी ने यह घोषणा की कि आगामी पीसीएस (प्रांतीय सिविल सेवा) प्रीलिम्स की परीक्षा अब पहले की तरह ही एक दिन में आयोजित की जाएगी, जबकि पहले इसे दो दिन में आयोजित करने का निर्णय लिया गया था। इस निर्णय के पीछे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों का हवाला देते हुए यूपीपीएससी ने कहा कि छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए यह बदलाव किया गया है।

अखिलेश यादव का भाजपा सरकार पर निशाना

यूपीपीएससी के इस निर्णय के बाद समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला। अखिलेश ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा, “भाजपा सरकार को चुनावी गणित समझ आते ही जब अपनी हार सामने दिखाई दी तो वह पीछे हट गई, लेकिन उसका अहंकार अब भी बरकरार है। यही वजह है कि उसने छात्रों की केवल आधी मांगें ही मानी हैं। आज के युवा समझदार हैं, उन्हें भाजपा सरकार झुनझुना नहीं पकड़ा सकती। अभ्यर्थियों की जीत होगी।”

अखिलेश ने भाजपा की नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर एक परीक्षा एक दिन में आयोजित हो सकती है, तो दूसरी क्यों नहीं? उन्होंने कहा कि भाजपा को चुनावी हार ही सही सबक सिखाएगी और जब भाजपा सत्ता से जाएगी, तब नौकरियों के अवसर आएंगे।

छात्रों के समर्थन में सपा मुखिया की रणनीति

इससे पहले अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार को छात्रों के समर्थन में चुनावी गणित समझाने की कोशिश की थी। उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा था, “अगर भाजपा सिर्फ चुनावी गणित समझती है, तो वह यह जान ले कि पीसीएस, आरओ/एआरओ, लोअर सबऑर्डिनेट जैसी अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों और उनके परिवारों को मिला दिया जाए, तो यह संख्या लगभग 1 करोड़ हो जाती है। अगर इस ‘महासंख्या’ को 400 विधानसभा सीटों पर विभाजित किया जाए, तो भाजपा के लगभग 25,000 वोट हर विधानसभा क्षेत्र में घट सकते हैं। इसका मतलब है कि भाजपा दहाई के आंकड़े में सिमट सकती है।”

अखिलेश ने आगे कहा, “उम्मीद है कि भाजपा सरकार इस गणना को समझकर ही आज छात्रों के प्रति अपना अत्याचार बंद करेगी और उनकी लोकतांत्रिक मांगों को मानेगी। लेकिन भाजपा की आदत है कि जब तक जनाक्रोश से डरकर कोई बात मानने पर मजबूर न हो जाए, तब तक वह अपनी जिद पर अड़ी रहती है।”

छात्रों की मांगों के प्रति सरकार का रुख

यहां गौरतलब है कि यूपीपीएससी के दो दिन की परीक्षा आयोजित करने के फैसले के खिलाफ छात्रों ने बड़े पैमाने पर विरोध किया था। छात्रों का कहना था कि इस बदलाव से उनकी तैयारियों पर असर पड़ेगा और यह उनके लिए अनुचित होगा। इस विरोध के बाद यूपीपीएससी ने अंततः अपना निर्णय वापस लेते हुए परीक्षा को एक दिन में ही आयोजित करने की घोषणा की।

अखिलेश यादव ने छात्रों की इस जीत को लोकतंत्र की जीत बताया और कहा कि भाजपा का घमंड एक न एक दिन टूटेगा। उन्होंने कहा कि भाजपा हमेशा जनाक्रोश से डरकर ही फैसले बदलती है और इसी कारण अब वह चुनावी हार की ओर बढ़ रही है।

चुनावी प्रभाव की आशंका

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, क्योंकि छात्रों और उनके परिवारों का समर्थन किसी भी राजनीतिक दल के लिए महत्वपूर्ण होता है। अखिलेश यादव के बयान ने इस मुद्दे को और भी गरमा दिया है और यह संकेत दिया है कि आगामी चुनावों में भाजपा को छात्रों की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है।

इस घटनाक्रम से स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में छात्र समुदाय की भूमिका निर्णायक हो सकती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा इस चुनौती का सामना कैसे करती है और आगामी चुनावों में इसका क्या असर पड़ता है।

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