अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
अयोध्या के राम मंदिर में जनवरी के महीने में संपन्न हुए प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान तिरुपति मंदिर से आए 300 किलो ‘प्रसाद’ का वितरण किया गया था। इस बात की पुष्टि राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने की। यह खुलासा उस समय हुआ जब तिरुपति मंदिर के लड्डुओं में इस्तेमाल किए गए घी में कथित रूप से जानवरों की चर्बी मिलाने का आरोप सामने आया। इस विवाद ने धार्मिक और राजनीतिक हलकों में खलबली मचा दी है।
समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा, “अगर ‘प्रसाद’ में जानवरों की चर्बी मिलाई गई है, तो यह अक्षम्य है और इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।” इस बयान के बाद मामला और भी तूल पकड़ गया।
इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने तिरुपति मंदिर के ‘प्रसाद’ की गुणवत्ता पर सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) सरकार के कार्यकाल में लड्डुओं के निर्माण के लिए घटिया घी का उपयोग किया गया था। नायडू ने कहा कि उस समय सरकार ने सस्ते दामों पर निम्न गुणवत्ता वाला घी खरीदा था, जिससे तिरुपति के लड्डुओं की पवित्रता पर सवाल उठे।
टीडीपी (तेलुगू देशम पार्टी) द्वारा कराए गए लैब परीक्षणों में नायडू के आरोपों की पुष्टि हुई, जिसमें यह पाया गया कि घी में जानवरों की चर्बी, विशेष रूप से बीफ टैलों, लार्ड और मछली के तेल के अंश पाए गए। इसके बाद तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम्स (टीटीडी) ने खुलासा किया कि घी सप्लाई करने वाले ठेकेदार ने इस मिलावट को अंजाम दिया था। इस ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है और उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है।
इस विवाद के चलते आंध्र प्रदेश की राजनीति में भूचाल आ गया। पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि ये राजनीतिक ध्यान भटकाने और उनकी सरकार की छवि खराब करने की कोशिश है। रेड्डी ने इन आरोपों को “मनगढ़ंत कहानी” बताया और कहा कि इसका मकसद वर्तमान सरकार की विफलताओं से ध्यान हटाना है।
धार्मिक और राजनीतिक हलकों में यह मामला गंभीर रूप से चर्चा का विषय बन गया है। कई लोगों का मानना है कि धार्मिक स्थलों की पवित्रता और वहां इस्तेमाल किए जाने वाले प्रसाद की गुणवत्ता से किसी भी सूरत में समझौता नहीं किया जाना चाहिए।
Author: samachar
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