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November 2, 2024 8:01 am

इंडिया गठबंधन की चुनौतियाँ और अखिलेश की रणनीति ; राह 2027 की आसान होगी या…

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) ने लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया, जिसमें 80 में से 37 सीटों पर जीत हासिल की। इस सफलता ने सपा के प्रमुख अखिलेश यादव के आत्मविश्वास को बढ़ा दिया है। 

इसके साथ ही, इंडिया गठबंधन के एक अन्य घटक, कांग्रेस ने भी उत्तर प्रदेश में 6 सीटों पर जीत दर्ज की। इस प्रकार, 80 में से 43 सीटें इंडिया गठबंधन के खाते में आईं। इस सफलता के बाद अखिलेश यादव को भरोसा है कि उनकी पार्टी 2027 के विधानसभा चुनाव में भी इसी तरह का प्रदर्शन करेगी।

हालांकि, वरिष्ठ पत्रकार राहुल श्रीवास्तव का मानना है कि यूपी में अखिलेश यादव की राह आसान नहीं होगी। उन्होंने सपा के सामने आने वाली एक बड़ी चुनौती को भी रेखांकित किया। 

एक राष्ट्रीय चैनल से बात करते हुए राहुल ने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद अखिलेश को आत्मविश्वास मिला है, लेकिन उन्होंने कांग्रेस और सपा के पुराने रिश्तों की भी याद दिलाई। 2012 में जब अखिलेश यादव की सरकार यूपी में थी, तब कांग्रेस के साथ उनके रिश्ते अच्छे नहीं थे और सीबीआई के केस चलते रहते थे।

राहुल श्रीवास्तव ने बताया कि 2012 में कांग्रेस सपा की दोस्त और दुश्मन दोनों थी। जब कांग्रेस को समर्थन की जरूरत होती थी, तो सीबीआई के जरिए अखिलेश यादव को बेकसूर बताया जाता था। लेकिन जैसे ही समर्थन की जरूरत खत्म होती थी, उनके खिलाफ केस फिर से शुरू हो जाते थे। भले ही उस समय यूपी में अखिलेश यादव की सरकार थी, लेकिन कांग्रेस के साथ उनके रिश्ते तनावपूर्ण थे।

राहुल श्रीवास्तव ने यह भी कहा कि लोकसभा चुनाव में सपा ने अच्छा प्रदर्शन किया है, खासकर पूर्वी यूपी में उनकी पकड़ मजबूत हुई है। लंबे समय बाद अखिलेश यादव का कोई दांव सही साबित हुआ है। इसी कारण वह अब चाहते हैं कि इंडिया गठबंधन सुचारू रूप से चले और वह कांग्रेस के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं। पहली बार बीएसपी के वोटरों का समर्थन भी अखिलेश को मिला है, इसलिए वह कांग्रेस के साथ बने रहने का प्रयास करेंगे यदि इससे उन्हें फायदा होता है।

लेकिन अखिलेश यादव के सामने चुनौतियां भी कम नहीं हैं। राहुल श्रीवास्तव के अनुसार, लोकसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस को बीजेपी-एनडीए के खिलाफ नाराजगी का वोट मिला था। अगर बीजेपी इस नाराजगी को दूर कर लेती है, तो अखिलेश यादव को भी इससे निपटना होगा। उन्हें अपने वोट बैंक को बनाए रखना होगा। इसलिए, अभी उनके पास हनीमून पीरियड जैसा कुछ नहीं है। उन्हें जमीन पर कड़ी मेहनत करनी होगी।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."