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15 January 2025 3:44 pm

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भूख से बिलबिलाते बच्चों को देख भूखी माँ का दिल कितना दुखता होगा… इन बच्चों के हालात और माँ का संघर्ष रुला देता है… 

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अदनान अल बुर्श की रिपोर्ट, (दोहा से) 

उत्तरी ग़ज़ा के अल अहली अस्पताल में पांच महीने के अब्दुल अज़ीज़ अल हुरैनी बिस्तर पर लेटे हुए हैं। अब्दुलअज़ीज़ पूरी तरह से कुपोषण की चपेट में हैं, और उनका वज़न केवल तीन किलो है। हाल ही में उन्हें इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) से बाहर निकाला गया है, जहां उनका कुपोषण का इलाज चल रहा था।

अब्दुलअज़ीज़ की मां कहती हैं कि वे ग़ज़ा में अपने बेटे की भूख मिटाने लायक खाना जुटा पाने में असमर्थ हैं। वह कहती हैं, “यह मेरा अकेला बच्चा है, इसका वज़न पांच किलो होना चाहिए था। मैं इसकी सेहत को लेकर बहुत चिंतित हूँ। मैं उसे यहाँ से बाहर भी नहीं ले जा सकती हूं क्योंकि बॉर्डर बंद हैं।”

अब्दुलअज़ीज़ की कहानी अकेली नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के मुताबिक, युद्ध शुरू होने के बाद से ग़ज़ा में पांच साल से कम उम्र के 8,000 से अधिक बच्चे कुपोषित पाए गए हैं, जिनमें से 1,600 मामले अति गंभीर कुपोषण के हैं। 

यह स्थिति ग़ज़ा के निवासियों के लिए अत्यंत चिंताजनक है, खासकर उन माता-पिताओं के लिए जो अपने बच्चों की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। बंद बॉर्डर और युद्ध की स्थिति ने उनकी समस्याओं को और बढ़ा दिया है, जिससे बच्चों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ा है।

पिछले सप्ताह, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के प्रमुख ने कहा था, “अब तक कुपोषण से 32 मौतें दर्ज की जा चुकी हैं, जिनमें से 28 मौतें पांच साल से कम उम्र के बच्चों की हैं।”

जून की शुरुआत में, बच्चों के लिए काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनिसेफ़ ने कहा था कि ग़ज़ा में हर दस में से नौ बच्चे खाद्य कुपोषण का सामना कर रहे हैं। ये बच्चे एक दिन में दो या उससे कम खाद्य पदार्थों पर ही जीवित हैं। 

यूनिसेफ़ ने यह भी बताया था कि महीनों से जारी संघर्ष और मानवीय मदद पर प्रतिबंधों के कारण ग़ज़ा की खाद्य व्यवस्था और स्वास्थ्य व्यवस्था ढह चुकी है, जिसके विनाशकारी परिणाम हुए हैं। इसकी वजह से बच्चों के सामने जानलेवा कुपोषण का ख़तरा है।

मैं ग़ज़ा में पैदा हुआ हूं और वहीं अपने परिवार के साथ रहा हूं। फ़रवरी तक मैं ग़ज़ा के भीतर से ही रिपोर्ट कर रहा था। उत्तरी ग़ज़ा के अल-तुफाह इलाक़े को मैं एक व्यस्त बाज़ार के रूप में जानता हूँ, जहाँ रोज़ाना हज़ारों ख़रीददार आते थे। लेकिन अब जब मैं वहां रह रहे लोगों से ताज़ा हालात के बारे में पूछता हूं, तो वे ख़ाली और सूनसान पड़े बाज़ार की तस्वीरें भेजते हैं।

बाज़ार में आए एक बुज़ुर्ग, सलीम शाबाका, कहते हैं, “ना टमाटर है, ना खीरा है और ना ही कोई फल या रोटी है।” वे बताते हैं कि इस समय बाज़ार में सिर्फ़ कुछ पुराने कपड़े और पैक्ड खाद्य पदार्थ ही बिक्री के लिए उपलब्ध हैं।

सड़क पर दुकान लगाने वाले एक और व्यक्ति ने कहा, “हमने ज़िंदगी को कभी ऐसे नहीं देखा है- ना कुछ बेचने के लिए है और ना ही ख़रीदने के लिए।” ये दुकानदार कहते हैं, “मेरे सात बच्चे हैं और मुझे किसी तरह की मदद या राहत सामग्री नहीं मिली है।”

हर दिन, मुफ़्त खाना बाँटने वाली छोटी दुकानों के आगे लोगों की कतारें लगती हैं। खाने के इन स्टॉल को टिकेया कहा जाता है। उत्तरी ग़ज़ा के कुछ अमीर लोग इन टिकेया के लिए फंड उपलब्ध करवा रहे हैं, लेकिन सामग्री की कमी की वजह से इनका भविष्य भी संकट में है।

फ़िलहाल, कुछ बच्चे गर्म खाना मिलने की उम्मीद में यहाँ लाइन में लगते हैं जबकि अन्य को पीने का पानी लाने के लिए लंबी दूरी तक जाना पड़ता है।

भूख और बीमारी

लगभग हर दिन, मैं ग़ज़ा में रहने वाले दोस्तों और रिश्तेदारों से बात करता हूँ। उनकी भेजी गई तस्वीरों से स्पष्ट होता है कि उनका वज़न घट गया है और उनके चेहरों में भी बदलाव आ गया है। यह स्थिति बताती है कि वहाँ के लोगों को पर्याप्त मात्रा में भोजन नहीं मिल रहा है और वे गंभीर कुपोषण के शिकार हो रहे हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसुस ने भी इस गंभीर स्थिति के बारे में चेताया है। उन्होंने कहा कि, “खाने की आपूर्ति बढ़ने की रिपोर्टों के बावजूद, अभी तक ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे यह पता चलता हो कि जो लोग सबसे ज़रूरतमंद हैं, उनके पास तक पर्याप्त मात्रा में खाना पहुँच रहा हो।” 

उन्होंने आगे बताया कि असुरक्षा और सीमित पहुँच के कारण, गंभीर रूप से कुपोषित लोगों के लिए केवल दो स्थिरीकरण केंद्र ही संचालित हो पा रहे हैं। स्वास्थ्य सेवाओं, साफ़ पानी और साफ़-सफ़ाई की कमी के कारण बच्चों में गंभीर कुपोषण का ख़तरा काफी बढ़ गया है। 

इस स्थिति का एक और दुखद परिणाम यह है कि हेपेटाइटिस जैसे संक्रामक रोगों के फैलने का ख़तरा भी अधिक हो गया है। ग़ज़ा में अधिकांश अस्पताल और क्लिनिक बंद हैं, और जो चल रहे हैं वे या तो क्षतिग्रस्त हैं या अपनी क्षमता से अधिक रोगियों को संभाल रहे हैं। 

यह स्थिति बेहद चिंताजनक है और तुरंत अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान और सहायता की आवश्यकता है ताकि ग़ज़ा के लोगों को उनके बुनियादी अधिकार, जैसे कि स्वास्थ्य सेवाएं, स्वच्छ पानी और पर्याप्त भोजन, मिल सकें।

उत्तरी ग़ज़ा के जबालिया की रहने वाली बुज़ुर्ग महिला उम्म फ़वाद जाबिर कहती हैं, “हम सूख चुके हैं और निशक्त हो चुके हैं। हमें कई बार आशियाना छोड़ना पड़ा है और यहां हर रोज़ लोग मारे जा रहे हैं।”

“हमने जानवरों का खाना खाया है, कुपोषण की वजह से बच्चों और महिलाओं की जान जा रही है। बीमारी हमारे शरीर को खा गई है।”

हमास संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय की आपात समिति से जुड़े फ़लस्तीनी डॉक्टर मोआतासेम सईद सलाह रोज़ाना कुपोषण के दर्जनों मामलों की पुष्टि करते हैं। ख़ासतौर से बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बच्चों को दूध पिलाने वाली माओं में कुपोषण के अधिक मामले आ रहे हैं।

वो कहते हैं कि बहुत से लोग, जो पहले से ही गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे, अब अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का भी सामना कर रहे हैं। 

इस स्थिति से स्पष्ट होता है कि ग़ज़ा में हालात बेहद गंभीर हैं और वहाँ के लोगों को अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। खाने की कमी, बीमारी और लगातार असुरक्षा ने लोगों की ज़िंदगी को दुश्वार कर दिया है। विशेष रूप से बच्चों और महिलाओं की हालत अत्यंत दयनीय है, जो कुपोषण और बीमारी से जूझ रहे हैं। ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और राहत संगठनों की मदद की तुरंत आवश्यकता है ताकि ग़ज़ा के लोगों को इस संकट से उबारा जा सके।

सात अक्टूबर 2023 को हमास ने अचानक उत्तरी इसराइल पर हमला किया, जिसमें 1200 से अधिक लोग मारे गए और 251 व्यक्तियों को बंधक बनाकर ग़ज़ा ले जाया गया। इस घटना के बाद इसराइल और हमास के बीच युद्ध छिड़ गया। हमास संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, युद्ध शुरू होने के बाद से अब तक 37 हजार से अधिक फ़लस्तीनी मारे जा चुके हैं और लाखों लोग घायल और विस्थापित हुए हैं।

ग़ज़ा के लोगों को जीवित रहने के लिए मानवीय मदद की आवश्यकता है, लेकिन पर्याप्त मात्रा में मदद ग़ज़ा तक नहीं पहुँच पा रही है। एक समय में, दक्षिणी ग़ज़ा में मिस्र के साथ लगी सीमा पर रफ़ाह नाका ग़ज़ा में मदद पहुँचाने का मुख्य रास्ता था, लेकिन अब इस नाके पर इसराइल का नियंत्रण है और यह बंद है। इसके अलावा, दक्षिणी ग़ज़ा में इसराइल सीमा पर केरेम शेलोम नाका खुला है, लेकिन लड़ाई की तीव्रता के कारण यहां से भी सीमित मदद ही ग़ज़ा के भीतर पहुँच पा रही है।

कुछ नए नाकों के माध्यम से उत्तरी ग़ज़ा में कुछ खाद्य सामग्री पहुँचाई जा रही है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, सात मई के बाद से पहुँचने वाली मदद की मात्रा में दो-तिहाई तक की गिरावट आई है। विश्व खाद्य कार्यक्रम के अनुसार, दक्षिणी ग़ज़ा में भी आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हो रही है।

अमेरिका ने ग़ज़ा के तट पर एक तैरते पियर का निर्माण किया था ताकि समुद्र के रास्ते राहत सामग्री पहुँचाई जा सके, लेकिन खराब मौसम के कारण इसे भी नुकसान पहुँचा है और यह कई दिनों से काम नहीं कर पा रहा है। अब इसे अस्थायी रूप से हटा लिया गया है।

20 अंतरराष्ट्रीय राहत एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि ग़ज़ा में अप्रत्याशित रूप से आई मदद से यह भ्रम पैदा हुआ है कि स्थिति बेहतर हुई है, लेकिन मानवीय मदद ढहने की कगार पर है।

बीते सप्ताह ग़ज़ा में हमास संचालित सरकार ने कहा था कि ग़ज़ा में हर दिन 35 से ज़्यादा ट्रक नहीं आ रहे हैं। हमास का कहना था कि उत्तरी ग़ज़ा में यही केवल खाने और दवाइयों के इकलौते स्रोत हैं। 

हालांकि, 13 जून को सोशल मीडिया वेबसाइट एक्स पर इसराइल की मानवीय समन्वय के लिए ज़िम्मेदार कोगेट संस्था ने कहा था कि ‘युद्ध की शुरुआत के बाद से एक अरब पाउंड से अधिक की खाद्य सामग्री ग़ज़ा में भेजी जा चुकी है।’ कोगेट ने कहा, “मानवीय सहायता को लेकर कोई सीमा तय नहीं है, जिनमें सभी तरह की दवाएं भी ग़ज़ा में दाख़िल हो सकती हैं।”

इसी दिन इस संस्था ने एक दूसरी पोस्ट में बताया था कि उस दिन ग़ज़ा में 220 मानवीय सहायता से लदे ट्रक दाख़िल हुए थे। कोगेट ने मानवीय संस्थाओं पर खाद्य और दूसरी सामग्रियां न बांट पाने को लेकर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि अभी भी तक़रीबन 1,400 ट्रकों को ले जाने का इंतज़ार किया जा रहा है।

संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि सामग्री बांटने का काम लड़ाई, क़ानून-व्यवस्था के न होने और इसराइल की दूसरी पाबंदियों के कारण बुरी तरह प्रभावित है।

रविवार को इसराइली सेना ने घोषणा की थी कि उसने दक्षिणी ग़ज़ा की एक सड़क पर रोज़ाना की ‘सैन्य गतिविधि पर विराम लगाया है’ ताकि मानवीय सहायता के दाख़िल होने में अनुमति मिले। लेकिन सेना ने ज़ोर दिया है कि रफ़ाह में लड़ाई जारी रहेगी और संघर्ष विराम नहीं रहेगा। 

इसराइल का कहना है कि रफ़ाह में उसका अभियान हमास को बाहर निकालने के लिए बेहद ज़रूरी है। इसराइल का मानना है कि ‘रफ़ाह हमास का आख़िरी मज़बूत गढ़ है।’

जंग को कुछ समय के लिए रोका जाना शनिवार को शुरू होगा, जिसका समय सुबह 8 बजे से शाम सात बजे तक रहेगा। ये केवल केरेम शलोम क्रॉसिंग से उत्तर की ओर जाने वाले रूट पर ही लागू होगा। 

संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता ने इस घोषणा का स्वागत किया है लेकिन रविवार को उन्होंने माना है कि ज़मीन पर मदद को अब तक नहीं बढ़ाया गया है। 

संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियां पहले ही चेता चुकी हैं कि अगर जंग की स्थिति जारी रहती है तो तक़रीबन 10 लाख फ़लस्तीनी ग़ज़ा में जुलाई के मध्य तक गंभीर भुखमरी झेल सकते हैं।(इनपुट बीबीसी हिंदी) 

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हटो व्योम के मेघ पंथ से स्वर्ग लूटने हम आते हैं

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