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विचार

परीक्षा के डर को उत्साह में बदलने की आवश्यकता

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डॉ. निधि माहेश्वरी

प्यारे बच्चों सबसे पहले आप सबको अपनी अपनी कक्षाओं में अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण होने के लिए हार्दिक बधाई एवं अगली परीक्षाओं के लिए शुभकामनाएं। परीक्षाओं को लेकर अक्सर कहा जाता है कि परीक्षा न तो आसान होती है, न कठिन होती है। जो विद्यार्थी ईमानदारी और मेहनत से पढ़ाई करते हैं, उनके लिए परीक्षा आसान होती है और जो विद्यार्थी नहीं पढ़ते हैं उनके लिए परीक्षा कठिन होती है। लेकिन, हमारी वर्तमान शिक्षा व्यवस्था ने परीक्षाओं को हमारे जीवन के एक ऐसे भयावह दौर में बदल दिया है, जो सभी को डर से भरे रखता है।

बच्चों सभी बोर्ड्स के परीक्षा परिणाम आ चुके हैं। हाल ही में  केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के दसवीं के नतीजे आए हैं,सभी बच्चे बहुत अच्छे अंकों से उत्तीर्ण भी हुए। और कुछ दिनों पहले बारहवीं के परिणाम भी आए थे l 

आजकल ज्यादातर बच्चे  90% अंक प्राप्त करते हैं जो कि बहुत खुशी की बात है एवं अभिभावकों के लिए गर्व की भी। हम तो अपने समय में कभी इतने नंबर सपने में भी नहीं सोच सकते थे ,पर आज बच्चों ने उसको सच कर दिखाया, वास्तव में सभी छात्र – छात्रा बधाई के पात्र है। परंतु इतने अच्छे अंक प्राप्त करने के बाद भी मैंने बहुत सारे बच्चों को कहते सुना कि मेरे नंबर कम रह गए मुझे ज्यादा की उम्मीद थी, टॉप करने में बस कुछ अंकों की कमी रह गई।

क्यों आप सब बच्चे केवल नंबर लाने की मशीन बनने में लगे हो? बच्चों जरूरत है हमें विषय की अवधारणाओं को स्पष्ट करने की ,92%या 92.4% में कुछ फर्क नहीं पड़ रहा, क्या होगा शायद कुछ नंबर कम आने पर बड़े कॉलेज में एडमिशन नहीं मिलेगा ,परंतु कहीं और    तो मिलेगा। 

रिजल्ट आने के बाद से कुछ बच्चे खुश हैं तो वहीं कुछ तनाव में है। आजकल हम बस नंबरों की दौड़ में लगे हैं कि बस किसी तरह सबसे ज्यादा नंबर आ जाएं।

इस बार जो नंबर आ गए उनसे संतुष्ट होकर आप आगे के लिए अपना दृढ़ निश्चय करो कि आपको और अधिक मेहनत करनी है,अगर आपने मेहनत में कोई कमी नहीं छोड़ी तो परिणाम अच्छा ही होगा। परिणाम आपकी मेहनत के साथ साथ परीक्षा के समय की स्थिति एवम् परीक्षक के निरीक्षण व्यवहार पर भी निर्भर करता है।आप खुद देखते होंगे कि आपको बहुत बार कुछ प्रश्न अच्छे से आने पर भी आप परीक्षा में नहीं कर पाते ,परंतु वो आपको आता तो है ना,उसका ज्ञान आपसे कोई नहीं छीन सकता इसीलिए बच्चों अंकों को प्राप्त करने के तनाव से ज्यादा अच्छा है कि अवधारणाओं पर ध्यान दो और पढ़ाई करते समय एकाग्र एवम् शांतचित्त होकर पढ़ो। कम पढ़ो पर जितना भी पढ़ो मन लगाकर पढ़ो ,जरूरी नहीं कि सोलह घंटे की पढ़ाई करके ही कुछ कर पाओगे ,अगर एकाग्र होकर पढ़ोगे तो कम समय में भी उतना कर लोगे। विषय के बेसिक कॉन्सेप्ट्स पर अपनी कमांड बनाओ क्योंकि बहुत बार टॉपर बच्चे जब छोटी छोटी बातों का जवाब नहीं दे पाते तब सब यही कहते हैं कि इतने अच्छे अंक कैसे आ गए।

साथी बच्चों से नंबरों की प्रतियोगिता ना करके अपनी तैयारी ,अपने अभ्यास एवम् अपने प्रश्नों को हल करने की गति से प्रतियोगिता करो। किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्नों को हल करने की गति ज्यादा मायने रखती है। और किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने के लिए एक सीमित स्कोर की जरूरत होती है।

आत्मविश्वासी बनो लेकिन उसको अपने ऊपर हावी मत होने दो।

और सबसे जरूरी बात की अपने अभिभावकों का विश्वास बनाए रखो की वास्तव में आप पढ़ाई ही कर रहे हैं   ऐसा ना हो कि उनका समय इसी बात में लगा रहे कि आप पढ़ भी रहे हो या नहीं ,उसके लिए जरूरी है कि आप अपने साथ हमेशा ईमानदार रहें। अपनी क्षमताओं के अनुरूप मेहनत करो ,जितना अभ्यास करोगे उतनी ही कार्य करने की क्षमता बढ़ेगी । लेकिन नंबरों की दौड़ एक बार शायद जिता दे परंतु शायद वो ज्ञान जीवन पर्यन्त ना रहे।

इसी उम्मीद के साथ कि आप आगे से नंबरों का तनाव ना लेकर अपने लक्ष्य पर और अपनी क्षमताओं को बढ़ाने पर ध्यान दोगे।

(लेखिका बेसिक शिक्षा विभाग, जनपद – हापुड़ में सेवारत हैं।) 

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हटो व्योम के मेघ पंथ से स्वर्ग लूटने हम आते हैं

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