Explore

Search
Close this search box.

Search

12 January 2025 12:30 am

लेटेस्ट न्यूज़

ये क्या हो रहा है… . महीनों की थी तैयारी फिर भी पल पल बदल रहे उम्मीदवारी… 

48 पाठकों ने अब तक पढा

आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट

केंद्र की सत्ता में हैटट्रिक लगाने के दावे के साथ भाजपा के शीर्ष चेहरे प्रचार में उतरकर जमीन नाप पर रहे हैं। दूसरी ओर यूपी में पूरी 80 सीटें जीतने का दावा कर रहे मुख्य विपक्षी दल सपा का नेतृत्व टिकटों की अदला-बदली से ही जूझ रहा है। पार्टी ने इस बार महीनों पहले उम्मीदवारी को लेकर जमीनी मंथन के दावे किए थे, लोकसभा क्षेत्रवार बैठकें हो रही थीं, फिर भी रोज नाम बदले जा रहे हैं। इसके चलते क्षेत्र में जनता के बीच पहुंचने की जगह उम्मीदवार और दावेदार दोनों ही टिकट पाने व बचाने में ही अपनी पूरी ताकत झोंके हुए हैं।

सपा मुखिया अखिलेश यादव ने पिछले साल नवंबर से ही जिले व लोकसभा क्षेत्रवार संगठन के पदाधिकारियों के साथ बैठक का सिलसिला शुरू कर दिया था। जमीनी मुद्दों के अलावा संभावित चेहरों पर भी चर्चा की गई थी। नीचे से नाम भी मांगे गए। 30 जनवरी को जब सपा ने 16 प्रत्याशियों की पहली सूची घोषित की तो लगा कि पार्टी का इस बार जमीनी तैयारी व उम्मीदवारी दोनों को लेकर होमवर्क बेहतर है। लेकिन, चुनाव करीब आते-आते टिकट काटने की पुरानी बीमारी उभर आई है।

समाजवादी पार्टी की घोषित होने वाली कमोबेश हर सूची में किसी न किसी सीट से उम्मीदवार बदल जा रहा है। पार्टी अब तक 6 सीटों पर चेहरे बदल चुकी है। मिश्रिख और नोएडा में तो तीन-तीन बार टिकट बदले जा चुके हैं। मुरादाबाद में तीन दिन में दो उम्मीदवार घोषित हुए, जिसे लेकर अंतर्विरोध संभालना पार्टी के लिए मुश्किल हो रहा है। 

22 में भारी पड़ी थी टिकटों का उठापटक

यूपी में हुए 2022 के विधानसभा चुनाव में भी टिकटों को लेकर सपा में अनिर्णय की स्थिति देखने को मिली थी। अवध, पूर्वांचल से लेकर पश्चिम तक उम्मीदवार घोषित होते रहे, टिकट कटते रहे और फिर नए नाम जुड़ते रहे। इलाहाबाद, आगरा, लखनऊ, अमरोहा, मथुरा, गोंडा, अमेठी, उरई, कालपी, संत कबीरनगर, देवरिया, भदोही आदि जिलों की सीटों पर नामों की उठापटक खूब चली। इसमें, अधिकतर सीटों पर सपा को हार का सामना करना पड़ा। स्थिति यह रही कि बाद में सपा ने प्रत्याशियों की आधिकारिक सूची जारी करना ही बंद कर दी। सीधे उम्मीदवार को फार्म ए व बी जारी किए जाने लगे।

कुछ और सीटों पर भी बदलाव के कयास

सपा अब तक बदायूं, मिश्रिख, नोएडा, मुरादाबाद, बिजनौर और संभल के टिकट बदल चुकी हैं। मेरठ के कई नेता लखनऊ में डेरा डाले हुए हैं। यहां से भानु प्रताप सिंह का टिकट कटना तय माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार पूर्वांचल और बुंदलेखंड की भी एक-एक सीट पर प्रत्याशी बदले जाने की चर्चा है। यहां उम्मीदवार घोषित होने के बाद टिकट की आस लगाए हुए दूसरे दावेदार नेतृत्व के सामने कई बार अपनी अर्जी लगा चुके हैं, जिस पर विचार करने का आश्वासन भी दिया गया है।

यूं बदल रहे टिकट

30 जनवरी को बदायूं से धर्मेंद्र यादव उम्मीदवार बने, 20 फरवरी को उनकी जगह शिवपाल को टिकट दे दिया गया।

19 फरवरी को मिश्रिख से रामपाल राजवंशी को टिकट मिला, 16 मार्च को उनके बेटे मनोज राजवंशी उम्मीदवार बने। अब मनोज की पत्नी संगीता उम्मीदवार हैं।

15 मार्च को बिजनौर से यशवीर सिंह को टिकट, 24 मार्च को बदलकर दीपक सैनी को दे दिया गया।

16 मार्च को महेंद्र नागर नोएडा से प्रत्याशी बने, 20 मार्च को राहुल अवाना ने जगह ले ली। 28 को फिर नागर प्रत्याशी हो गए।

24 मार्च को मुरादाबाद से एसटी हसन को टिकट मिला। 26 को उन्होंने पर्चा भरा। 27 को रूचि वीरा को सिंबल देकर नामांकन करवा दिया गया।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

लेटेस्ट न्यूज़