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November 23, 2024 2:43 am

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पेशी पर सगाई, जमानत के बाद शादी, फिर एनकांउटर…डराती है खौफ के पर्याय की ये हकीकत

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आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट 

16 फरवरी 2019 को ग्रेटर नोएडा की सूरजपुर कोर्ट में काफी गहमागहमी थी। आम दिनों की अपेक्षा ज्यादा भीड़ होने के साथ ही काफी महिलाएं भी थीं। कोर्ट के बाहर महिलाओं के बीच एक युवती दुल्हन की तरह तैयार खड़ी थी। दोपहर के करीब एक बजे पुलिसकर्मियों की सुरक्षा में शातिर गैंगस्टर अनिल दुजाना को पेशी पर लाया गया। पेशी की कार्यवाही के बाद पुलिस ने अनिल को कोर्ट में ही पीछे पड़ी बेंच पर बैठा दिया। इसी दौरान दुल्हन की तरह सजी युवती कोर्ट रूम में पहुंचकर अनिल को अंगूठी पहनाई। कुछ लोगों ने अनिल को एक अंगूठी दी, जो उसने युवती को पहनाई। इस तरह पेशी पर आए गैंगस्टर अनिल दुजाना की कोर्ट में ही पूजा से सगाई हो गई।

कौन था गैंगस्टर अनिल दुजाना

पश्चिमी यूपी के माफिया सुंदर भाटी से अदावत रखने वाला अनिल दुजाना मूलरूप से गौतमबुद्ध नगर के दुजाना गांव का रहने वाला था। पूरा नाम था अनिल नागर। 2002 में गाजियाबाद के कविनगर में हरबीर पहलवान की हत्या में अनिल पहली बार आरोपित बना और जेल भेजा गया। जेल में रहने के दौरान ही नाम से नागर हटाकर गांव का नाम जोड़ा और अनिल नागर से अनिल दुजाना बन गया। जमानत पर छूटने के बाद अनिल दुजाना पश्चिमी यूपी में चल रही भाटी गिरोहों के बीच की गैंगवार का हिस्सा बन गया। बाइस सालों में उसके खिलाफ पुलिस रेकॉर्ड में हत्या, लूट, वसूली, जमीन कब्जे जैसे संगीन अपराधों के 65 मुकदमे दर्ज हुए। राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका), आर्म्स और गैंगस्टर ऐक्ट भी लगे थे। अनिल दुजाना का खौफ पश्चिमी यूपी से लेकर दिल्ली-एनसीआर तक था।

सुंदर डाकू का गांव था ‘दुजाना’

गौतमबुद्धनगर जिले के बादलपुर थाना क्षेत्र का दुजाना गांव वर्तमान में भले ही अनिल दुजाना के नाम से पहचाना जाता है। लेकिन, 1970-80 के दशक में यह गांव कुख्यात डकैत सुंदर नागर उर्फ सुंदर डाकू के नाम से चर्चित था। यह वही सुंदर डाकू था, जिसने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तक की हत्या की धमकी दी थी। अस्सी के दशक के आखिरी में यूपी पुलिस के साथ मुठभेड़ में सुंदर डाकू मारा गया था।

शादी या समझौता

कोर्ट में सगाई के बाद अनिल दुजाना फरवरी 2021 में जमानत पर जेल से बाहर आया और पूजा से शादी की। कोर्ट में सगाई होने से लोग प्रेम विवाह मान रहे थे। हालांकि यह रिश्ता दोनों परिवारों की रजामंदी से हुआ था। शादी का किस्सा भी काफी दिलचस्प है। रिटायर्ड आईपीएस राजेश पाण्डेय बताते हैं कि यह विवाह एक पिता के अहम का परिणाम था। बताते हैं कि बागपत की रहने वाली पूजा के पिता लीलू की गांव के राज कुमार से 40 बीघा जमीन को लेकर विवाद चलता था। अपना पलड़ा भारी करने के लिए राज कुमार ने दो बेटियों की शादी बागपत के शातिर अपराधी हरेंद्र खड़खड़ी और उसके भाई नरेंद्र खड़खड़ी से कर दी थी। कमजोर पड़ने पर लीलू ने अपनी बेटी पूजा की शादी हरेंद्र से बड़े अपराधी से करवाने की ठानी। इसी बीच पश्चिमी यूपी के माफिया सुनील राठी पर हमले से अनिल दुजाना अपराध जगत में तेजी से उभर रहा था। ऐसे में लीलू ने अनिल के परिवार से संपर्क किया और रजामंदी के बाद शादी हुई थी।

सुंदर भाटी से रंजिश

पश्चिमी यूपी में गैंगवार की शुरुआत महेंद्र फौजी और सतबीर गुर्जर की दुश्मनी से हुई थी। दोनों 1990 के दशक में पुलिस एनकाउंटर में मारे गए। सतबीर गुर्जर के मारे जाने के बाद उसके दो साथियों नरेश भाटी और सुंदर भाटी के बीच गैंगवार शुरू हो गई। उस समय तक अनिल दुजाना का नाम ज्यादा चर्चित नहीं था। साल 2000 में अनिल ने सुंदर भाटी से जुड़ कर अवैध सरिये का कारोबार शुरू किया। कमाई का एक हिस्सा सुंदर भाटी को जाता था। इस बीच अनिल का भी काफी नाम हो गया। कुछ समय बाद ही कारोबार को लेकर हुई अनबन से दोनों अलग हो गए। सुंदर से अलग होने के बाद अनिल ने नरेश भाटी का साथ पकड़ लिया। 2004 में सुंदर भाटी गैंग ने नरेश भाटी की हत्या कर दी थी। इसका बदला लेने के लिए 2005 में उसके छोटे भाई रणपाल भाटी ने सुंदर भाटी के भतीजे लाला फौजी की हत्या कर दी। 2006 में रणपाल भाटी यूपी पुलिस की मुठभेड़ में मारा गया।

जेल से लड़ा जिला पंचायत का चुनाव

रिटायर आईपीएस राजेश पाण्डेय बताते हैं कि रणपाल की मौत के बाद गैंग की कमान नरेश भाटी के सबसे छोटे भाई रणदीप भाटी और भांजे अमित कसाना ने संभाली। दोनों ने नए सिरे से गैंग बनाकर फिर से काम शुरू किया। अनिल भी अपने गैंग के साथ उनके साथ हो गया। 2011 में सुंदर भाटी को मारने के लिए उनके भांजे की शादी में ही रणदीप भाटी और अमित कसाना ने अनिल दुजाना के साथ मिल कर एक-47 से ताबड़तोड़ फायरिंग की। हमले में सुंदर तो बच गया, लेकिन तीन अन्य लोग मारे गए। इस मामले में पुलिस ने 2012 में अनिल दुजाना को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। इसी बीच सुंदर भाटी गैंग ने अनिल दुजाना के भाई की हत्या की थी। तब तक अनिल दुजाना के गैंग का पूरे पश्चिमी यूपी में आतंक फैल चुका था। जेल में रहते हुए ही अनिल ने 2015 में जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा और जीता। हालांकि बाद में गौतमबुद्ध नगर के चुनाव को निरस्त कर दिया गया था।

मुठभेड़ में मारा गया

वरिष्ठ पत्रकार मनीष मिश्र बताते हैं कि 2021 में जमानत पर बाहर आने के बाद अनिल फरार हो गया। उस पर लगातार गवाहों को धमकाने के आरोप लग रहे थे। साथ ही आपराधिक गतिविधियां भी लगातार जारी थी। यूपी के मोस्ट वॉन्टेड बदमाशों की सूची शामिल अनिल दुजाना की तलाश में एसटीएफ को लगाया गया था। पांच मई 2023 को एसटीएफ को मेरठ के एक गांव में अनिल की मौजूदगी का पता चला। इसके बाद एसटीएफ की टीम ने घेराबंदी कर आत्मसमर्पण के लिए कहा। हालांकि अनिल ने फायरिंग शुरू कर दी। एसटीएफ की जवाबी कार्रवाई में पश्चिमी यूपी का आतंक अनिल दुजाना खत्म हो गया।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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