नौशाद अली की रिपोर्ट
हमीरपुर, उत्तर प्रदेश : उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के एक गांव में पानी में सजीव रामलीला कराए जाने की तैयारी यहां शुरू कर दी गई है। शरद पूर्णिमा के अगले दिन कई एकड़ में फैले तालाब में यह अनोखी लीला का मंचन होगा। सैकड़ों साल पुरानी अनोखी लीला पूरी रात होती है, जिसे देखने के लिए आसपास के तमाम इलाकों से बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ भी जुटती है।
भारत में वैसे तो पंडाल में रामलीला का आयोजन होता है लेकिन उत्तर प्रदेश के हमीरपुर का पवई ऐसा गांव है, जहां पानी में ही रामलीला का सजीव मंचन होता है। जिले के सरीला क्षेत्र के पवई गांव के पूर्व सरपंच रामगोपाल ने बताया कि गांव में चार सौ से ज्यादा साल पुरानी परम्परा की पानी में रामलीला और श्रीकृष्ण लीला का सजीव मंचन होता है। गांव की महिलाएं और पुरुष ही रामलीला और श्रीकृष्ण लीला का मंचन करती है।
बताया कि इस बार 29 अक्टूबर को यह एतिहासिक रामलीला का सजीव मंचन पानी में कराए जाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। गांव में बड़े क्षेत्रफल में बने तालाब में पानी में ही सजीव राम और श्रीकृष्ण लीला कराए जाने के लिए बड़ी-बड़ी कई नावों की व्यवस्था की गई है। पानी में सजीव लीला से पहले गांव में देवी देवताओं और अन्य दैत्यों की झांकियों की शोभायात्रा निकाली जाएगी। शोभायात्रा का समापन भी ऐतिहासिक तालाब के पास होगा।
बीच तालाब पानी में ही कंस, बकासुर समेत अन्य कई दैत्यों का होगा वध
गांव के पूर्व सरपंच और आयोजक कमेटी के सदस्य रामगोपाल ने बताया कि बुन्देलखंड के हमीरपुर के पवई गांव में सैकड़ों साल पुरानी परम्परा में तालाब में बीच पानी में ही अनोखी लीला का मंचन होगा। रामलीला, श्रीकृष्ण लीला का सजीव मंचन पूरी रात भर चलेगा। जिसे देखने के लिए आसपास के तमाम गांवों से भारी संख्या में लोगों की भीड़ जुटेगी।
अनोखी लीला में कंस वध, पूतना वध और बकासुर जैसे राक्षसों का वध करने की लीला में गांव की महिलाएं और पुरुष ही अभिनव करेगी। इसके लिए अभिनव करने वालों के नाम जल्द ही फाइनल होंगे।
Author: samachar
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