आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
बांदा, इस समय वर्षा ऋतु गई शीतकालीन सत्र चालू यानि कि अक्टूबर का महीना जिसमें खनन की सुगबुगाहट मिलते ही बिलो में दुबके कुछ सिस्टमबाज शिकारी बाहर निकल कर भूख के मारे चिल्लाने लगे तो अभी भी कुछ शिकारी अपनी भूख को दबाए बैठे है कि हमेशा की भांति देर सबेर हमे तो भोजन मिलेगा ही वह भी सबके हिस्से काट, सो क्यों दाता से अपने संम्बन्ध खराब करें।
वहीं दूसरी ओर जिनको भोजन नहीं मिला बल्कि उनके नाम का भोजन भी जिस महाशय ने खाया उसे इस बार वह बख्शने को तैयार नहीं है यानी एक दूसरे को बे पर्दा करने की तैयारी इसबार जोरों पर है वहभी इस तर्ज पर की हम नहीं तो तुम नहीं उधर खनन माफियाओं ने भी सरकारी कर्मचारियों जनप्रतिनिधियों को अपने पाले में कर बेधड़क हमेशा की तरह कार्य को अंजाम देने की रणनीति बनाई है की जो भी उनके आडे़ आएगा वह जेल की हवा खाएगा।
वहीं इस तिकड़ी में जिले के वह अधिकारी कर्मचारी पिस रहे हैं जो अपने फर्ज को ईमानदारी से निभाते हैं और निभाने का प्रयास करते हैं किंतु वह बेबस हैं ऐसी स्थिति में अलग अलग जगहों पर अपने नाम का डंका बजाने वाली दुर्गा की तरह तेजतर्रार, न्यायप्रिय जिले की जिलाधिकारी श्रीमती दुर्गा शक्ति नागपाल इस अबैध खनन के कारोबार पर रोक लगा सकने में कितनी सक्षम होती हैं शायद वक्त बतायेगा किन्तु वर्तमान में कुछ सिस्टम बाजों ने खनन के प्रति अपने अपने हथकंडे अपनाने का कार्य शुरू कर दिया है जबकि कुछ लोगों को बरसाती मेढक की तरह वक्त का इन्तजार है!!
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."