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November 22, 2024 10:45 am

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60 साल तक क्रूडता भरी जिंदगी जीते हुए मर जानेवाली वृद्ध हथिनी “नीना” की कहानी रुला देगी आपको 

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ठाकुर धर्म सिंह ब्रजवासी की रिपोर्ट 

आगरा: वृद्ध हथनी ‘नीना’ जिसे भीख मांगने जैसे अपमानजनक जीवन से बचाया गया था। उसके क्रूर मालिक ने 60 साल तक नीना को तकलीफ भरा जीवन दिया था। इस वजह से उसके पैरों में तकलीफ हो गई थी। करीब 2 साल तक वाइल्डलाइफ के एसओएस सेंटर में रहने के बाद शुक्रवार को उसका निधन हो गया। नीना नेत्रहीन थी। मथुरा के हाथी अस्पताल में उसका इलाज कराया जा रहा था।

62 वर्षीय हथिनी नीना दो साल से अधिक समय तक वाइल्डलाइफ एसओएस की देखरेख में थी। पैरों में गंभीर चोटों के कारण अपना भार उठाने में असमर्थ हो गई थी। वर्ष 2021 में नीना को उसके क्रूर मालिक के चंगुल से मुक्त कराया था। उस समय नीना के पैर काफी जख्मी हालात में थे। कटीले तार उसके पैरों में बांधे हुए थे। तभी से वह बीमार थी।

नीना का उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित वाइल्डलाइफ एसओएस द्वारा संचालित हाथी अस्पताल में समर्पित पशु चिकित्सकों और कर्मचारियों की उपस्थिति में इलाज चल रहा था। शुक्रवार को उसने अस्पताल में अंतिम सांस ली।

क्रूरता से भरा था नीना का जीवन

हथनी नीना का जीवन क्रूरता से भरा था। वह लगभग छह दशकों तक इसका शिकार रही। उसे अंकुश (एक नुकीला औज़ार) के आदेश पर चलने के लिए मजबूर किया जाता था। पैसों के लालच में उसका कू्रर मालिक नीना का शोषण करके धन अर्जित करता था।

वाइल्डलाइफ के अधिकारियों ने बताया कि नीना को पर्याप्त मात्रा में भोजन नहीं दिया जाता था और ना ही उसे आराम करने दिया जाता था। उसका मालिक नीना को सडक़ों पर भीख मांगने के लिए ही इस्तेमाल करता रहा। नीना की भयानक बनाने के लिए अंकुश के लगातार प्रहार से उसे अंधा कर दिया गया था। ताकि लोग सहानुभूति जताकर उसके मालिक को पैसा दे सकें।

पैरों में थी ऑस्टियोआर्थराइटिस की समस्या

वाइल्डलाइफ एसओएस के उप निदेशक डॉ. इलियाजा ने बताया कि नीना को जून 2021 में रेस्क्यू ऑपरेशन के तहत बचाया गया। उसे मथुरा के हाथी अस्पताल परिसर स्थित सुरक्षित आवास में लाया गया था। जब उसे लेकर आए थे वह बहुत दुर्बल और कुपोशित थी। उसके पैरों में ऑस्टियोआर्थराइटिस जैसी गंभीर बीमारी हो गई थी। इसका अस्पताल में इलाज किया जा रहा था।

नीना अपने पैरों पर वजन लेने में असमर्थ थी और काफी दिनों से लेटी हुई थी। समय के साथ उसने अपना खाना कम कर दिया। वाइल्डलाइफ के सीईओ कार्तिक सत्यनारायण का कहना है कि नीना के लिए वाइल्डलाइन की टीम ने सामूहिक तौर पर मेहनत की थी, उसके निधन की व्याख्या करना बेहद मुश्किल है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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