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November 2, 2024 6:02 am

…पतंजलि का नाम बेचकर ‘ढोंगी’ अरबपति बन गया… बाबा रामदेव पर फिर बरसे बृजभूषण सिंह

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

गोण्डाः ‘बनकर मूक धरा-सा कब तक बोलो ब्रजघात सहूं मैं। किससे मन की बात कहूं मैं।’

गोंडा में कारोबारियों के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए बीजेपी सांसद बृजभूषण सिंह संभवतः अपनी ही सरकार पर निशाना साध रहे थे। पहले को उन्होंने बाबा रामदेव बाबा को एक बार फिर ढोंगी बता दिया। 

उन्होंने एक तरफ अयोध्या में ‘नो एंट्री’ को लेकर अपनी ही पार्टी की योगी सरकार पर निशाना साधा। वहीं दूसरी तरफ गोंडा भूमि की महिमा बताते हुए कहा कि यह उन महर्षि पतंजलि की तपोभूमि है, जिसका नाम लेकर एक ‘ढोंगी’ अरबपति बन गया।

कविताओं के साथ अपनी बात रखते हुए यौन उत्पीड़न का आरोप झेल रहे बृजभूषण सिंह ने कहा कि आप मत पूछिए दर्द की हालत मुझसे। एक जगह हो तो बता दूं कि यहां होता है। यहां तो पूरे शरीर में दर्द है। 

व्यापारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि नो एंट्री के कारण हमारे व्यापारियों को बहुत कष्ट होता है। जब अपने ऊपर कोई संकट पड़ जाए और संकट बर्दाश्त न हो तो अगल-बगल में देखना चाहिए कि कोई भाई ऐसा हो जहां ज्यादा संकट हो तो उसके संकट को देखकर अपनी तकलीफ कम हो जाती है। भाइयों जब आपको नो एंट्री की याद आए तो अयोध्या चले जाया करिए। अयोध्या के लोगों का ध्यान कर लीजिए कि वहां क्या बीत रहा है।

बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि मैं लखनऊ से आ रहा था। मैंने देखा कि बाराबंकी से गाड़ियां रुकी हुई हैं। हमने कहा क्या दिक्कत है? कहे- यहां पर बैरियर लगा हुआ है। कहते हैं अगर आपको आगे जाना है तो इधर से घूम कर जाओ। बाराबंकी, सुल्तानपुर, नवाबगंज, खलीलाबाद से आगे बढ़ने में हो रही दिक्कत पर मेरे मित्रों क्या गुजर रही होगी, मैं जानता हूं। उन्होंने कहा कि बाराबंकी से गाड़ियां बन्द थीं। मैं आया तो देखा पूरी अयोध्या खाली थी। कोई भीड़ नहीं। फिर आयोध्या आया तो वहां पर बैरियर कटरा लक्कड़मंडी, नदी के इस पार, दर्शननगर में बैरियर, तो भैया नो एंट्री के तकलीफ वालों आपको बहुत तकलीफ हो तो हमारे अयोध्या-फैजाबाद के व्यापारियों से थोड़ा सीख लिया करो, आपका कष्ट कम हो जाएगा।

बृजभूषण ने कहा कि एक मरीज को लेकर अगर हम लोग अयोध्या जाते हैं, फैजाबाद दिखाना है तो ट्रैफिक सिपाही रोक देता है और उससे जब बात की जाती है तो कहता है कि कप्तान साहब से बात कर लो। एक मरीज की हैसियत है कप्तान साहब से बात करने की। इसीलिए किससे मन की बात कहूं मैं, सुनने को तैयार कौन है? फुर्सत किसको कितनी है, लगे हुए सब अपने-अपने में।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."