सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट
शायर मैराज फैजाबादी की ये पंक्तियां गजरौला में मासूम बेटी को पेट से बांधकर ई-रिक्शा चलाने को मजबूर पूजा पर सटीक बैठती हैं।
पहले पति ने साथ छोड़ा फिर मायके वालों ने मुंह मोड़ा। विपरीत परिस्थितयों में भी पूजा ने हार नहीं मानी और जिंदगी की पथरीली राहों पर ई-रिक्शा लेकर उतर पड़ी। दो साल की बेटी को पेट से बांधकर ई-रिक्शा चलाती पूजा की तस्वीरें सोशल मीडिया के हर एक प्लेटफार्म पर अब वायरल हो रही हैं। हर कोई उसकी खुद्दारी और जिंदादिली को सलाम कर रहा है।
गजरौला की बेटी पूजा ने अपने हौंसले से उन लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है जो बुरे वक्त में किस्मत का रोना रोकर दूसरों की मदद मिलने की राह ताकते रहते हैं। बेटी का भविष्य संवारने के लिए पूजा ने जो कदम उठाया वो बड़ी मिसाल बन गया। मुरादाबाद जिले के भोजपुर थाना क्षेत्र के गांव श्यामपुर निवासी पूजा की शादी साल 2016 में हुई थी। बताते हैं कि शादी के कुछ महीने बाद ही पूजा ने ससुराल वालों की प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा। बेटी ख्वाहिश ने जन्म लिया तो ससुराल वाले और नाराज हो गए। आलम यह हो गया कि पति ने भी उसका साथ छोड़ दिया। पूजा अपनी मासूम बेटी को लेकर मायके चली गई। बताते हैं कि वहां कुछ दिन रहने के बाद मायके वाले भी ताना देने लगे। तानों से परेशान होकर पूजा अपनी बेटी को लेकर अकेली गजरौला आ गई। बस्ती स्थित एक मकान में किराए पर रहना शुरू कर दिया।
ब्याज पर तीस हजार रुपये लेकर एक पुरानी ई-रिक्शा खरीदी। शहर की सड़कों पर उस ई-रिक्शा को चलाकर वह अपनी बेटी का पालन-पोषण कर रही है। सड़कों पर दो दिन पूर्व ई-रिक्शा चलाते हुए उसका वीडियो सोशल मीडिया वायरल हुआ तो हर कोई दंग रह गया।
सामने आई बदहाली तो मदद को बढ़े हाथ
पूजा की बदहाली की तस्वीरें सोशल मीडिया पर उजागर हुईं तो मदद के लिए हाथ भी आगे बढ़ने लगे। अब हर कोई उसकी हिम्मत को अपना साथ देता नजर आ रहा। घर का राशन, पति का इलाज, मासूम बच्चे की परवरिश संग उसकी हर एक जिम्मेदारी में हर कोई अपनी मदद करने के लिए तैयार दिख रहा है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."