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November 22, 2024 3:41 am

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टमाटर मंहगा है तो योगी जी के कृषि मंत्री को परवाह नहीं…लेकिन क्यों ? पढ़िए पूरी खबर को

12 पाठकों ने अब तक पढा

दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

कानपुरः यूपी में बरसात के मौसम में टमाटर गुस्से से और भी लाल हो गया है। कानपुर की बात की जाए तो टमाटर 200 किलो के पार बिक रहा है। शहर वासियों की पहुंच से बाहर हो गया है। ऐसे में यूपी सरकार में कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही का हैरान करने वाला बयान सामने आया है। उनका कहना है कि टमाटर बहुत मंहगा हो रहा है, यह बहुत चिंता की बात नहीं है। मीडिया को इसपर इतना फोकस नहीं करना चाहिए। उनके इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में टमाटर को लेकर बहस छिड़ गई है।

बरसात के दिनों में बेंगलुरू से टमाटर का आयात होता था। लेकिन बेंगलुरू में टमाटर की फसल कमजोर पड़ गई। इसके साथ ही नासिक और शिवपुरी में टमाटर की फसल बारिश की वजह से खराब हो गई है। इससे टमाटर के दाम आसमान छू रहे हैं। लोगों ने अपनी थाली से टमाटर को हटा दिया है।

दो महीने सस्ता नहीं होगा टमाटर

कृषिमंत्री सूर्यप्रताप शाही का कहना है कि बरसात के बाद टमाटर सस्ता हो जाएगा। लेकिन जानकारों का मानना है कि टमाटर अभी डेढ़ से दो महीने तक सस्ता होने वाला नहीं है। यदि बारिश कुछ कम भी हुई तो, इसकी कीमत 140 से 160 रुपए प्रतिकिलो रहने वाली है।

टमाटर मंहगा है चिंता की बात नहीं है

सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि टमाटर का यह ऑफ सीजन है। आप को यह समझना चाहिए कि हमारे यहां मौसम के आधार पर फसलें उगा करती हैं। इस लिए यह बहुत चिंता की बात नहीं है कि टमाटर मंहगा हो रहा है। टमाटर का सीजन नहीं है, बल्कि यह ऑफ सीजन है। इस लिए हम किसानों को प्रोत्साहित कर रहे हैं कि वो प्रोटेक्टिव फार्मिंग की ओर चलें। उसके लिए राज्य सरकार और भारत सरकार संरक्षित खेती के लिए अनुदान भी दे रही है।

‘टमाटर पर फोकस नहीं करना चाहिए’

यह काम किसान भाईयों को करना होगा। उनको हम प्रोत्साहित भी करते हैं। लेकिन यह बरसात के मौसम में टमाटर जैसी फसलें खराब हो जाती हैं। इस लिए टमाटर के ऊपर मीडिया को इतना फोकस नहीं करना चाहिए। इस बात का अनुभव करना चाहिए हमारे देश के भीतर तीन प्रकार के मौसम होते हैं। गर्मी, बरसात और सर्दी के मौसम होते हैं। जिसमें तीन प्रकार की अलग-अलग फसले उगाईं जाती हैं।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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