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November 22, 2024 5:57 pm

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शिक्षा जगत सहित सामाजिक गतिविधियों में अमूल्य योगदान दिया है इन महापुरुषों ने

19 पाठकों ने अब तक पढा

आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट

बांदा, आज हम बात करते हैं उस “शख्सियत” की जो स्वयं ही नहीं बल्कि उनके “पूर्वजों” का “बांदा”एवं “चित्रकूट” की पावनभूमि पर “शिक्षा” जगत सहित अन्य कार्यों में क्या और कितना “योगदान” रहा।

तो चलिये हम सबसे पहले चलते है श्री मतोला सिंह जिन्होंने अपने जनपद को “अशिक्षा केअभिशाप” से मुक्त करने के लिए शिक्षा के प्रसार हेतु 1940 में अतर्रा नगर में नगर वासियों को साथ लेकर सर्वप्रथम “हिंदू इंटर कॉलेज” की स्थापना कराई, पर उनके मन को इससे शांति नहीं मिली और 1964में बांदा में “पडिंत जे० एन० कालेज” की स्थापना कराई। इसके बाद 1959 मेंअतर्रा में “पोस्ट ग्रेजुएट” डिग्री कालेज की स्थापना आगे बढ़कर “जनसहयोग” लेते हुए करवायी एंव 1955 मे आर्युवेद चिकित्सा कालेज की अतर्रा में इसके बाद वह “जनसंघ” की तरफ से चुनाव मैदानमें उतरे जिसमें उन्होने वर्ष 1952/1957 के चुनाव के बाद 1962 मे अपनी “जीत हासिल” की। 

इसके बाद श्री जगन्नाथ सिंह “जनसेवा” में आगे आए और अपने आप को जनसेवा में “समर्पित कर” राजनीति में उतर1977 मे जनता पार्टी से चुनाव लडे़ और जीते भी जिसमें उसी समय उन्होंने “मूर्ति” “संरक्षण” पर बिशेष जोर दिया तथा उन्होंने यह प्रयास उस समय किया। जब “मूर्ति तस्करी” अपने चरम पर चल रही थी “प्राचीन मूर्तियों” को तस्करों द्वारा “चोरी” कर बाहर भेजने का कार्य अनवरत जारी था तब अपनी “पुरातन पुरातत्व” “सभ्यता” को बचाने के लिए आगे आए और “मूर्तिसंरक्षण” के तहत “अभेद्य दुर्ग कालिंजर” सहित अन्य प्राचीन जगहों की मूर्तियो को “संरक्षित” करवाने का कार्य किया। तो राजापुर में”तुलसीदास” महाराज की जन्म स्थली में घाट का निर्माण करवाया था।

अपने इसी परंंम्परा को आगे बढाते हुए संजय सिंह जो “पत्रकारिता” के क्षेत्र में रहते हुए अतर्रा नगरपालिका से 1995 से 2000तक तीन बार “सभासद”रहे और 2012 मे “वाइसचेयरमैन” रहे।

ज्ञात हो 1988 से वह राजनीति में सक्रिय हुए और भाजपा ने उनके ऐसे सराहनीय कार्यों को देखते हुए “हाईकमान” द्वारा बांदा जनपद की कमान उनके हाथ में सौंप दी जिसका उन्होंने बडी “कुशलता” के साथ निर्वाहन करते हुए जिला संयोजक पद पर रहते हुए जनपद से “तीन विधायक” दो एमएलसी 45 सहकारी समितियों के अध्यक्ष 14 सहकर संघ 4 क्रय विक्रय समिति, एक डीसी एफ, दो नगरपालिका दो नगर पंचायत में अपने भाजपा प्रत्याशियों को “विजय श्री” दिलाने में कामयाबी हासिल की और “सत्ता संगठन” के मध्य संतुलन बनाते हुए पार्टी को बूथ स्तर तक “मजबूती के साथ” खड़ा करने का कार्य कर पार्टी में अपनी मजबूत पकड़ बनाने में “कामयाब” रहे। इनके पूर्वजों तथा इनके इन्ही जनहित के कार्यो की वजह से शायद कुछ लोगों को “अन्दरुनी” ईर्ष्या भाव पैदा हो रहा है जिसके चलते कुछ लोगों द्वारा इनकी “स्वच्छ छवि” पर “बद्नुमा दाग” लगाने की नाकाम कोशिश की जा रही है जबकि इनके पूर्वजों से लेकर आज तक का इनका सम्पूर्ण इतिहास हम सभी के सामने “आइने की तरह” साफ झलक रहा है जिसकी शायद गिनाने की जरूरत नहीं जोकि अपने आप में एक “मिशाल” है बस इसी के चलते आजभी इनका परिवार कार्यकर्ताओं के लिये “जनप्रिय” है जिसका परिणाम आज हम सभी के सामने है!

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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