दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
लखनऊ: अगले साल 2024 में होने वाला लोकसभा चुनाव (Loksabha Chunav) जैसे जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे राजनीतिक पार्टियां अपनी तैयारियों को धार देने में जुट गई हैं। उधर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) एक ओर जहां आगामी लोकसभा चुनाव के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। वहीं सपा के ही एक लीडर स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने हिन्दू देवी देवताओं के मंदिरों, यहां तक कि चारों धाम में शामिल बद्रीनाथ धाम को लेकर बयानबाजी करके अखिलेश यादव के 2024 मिशन में रोड़ा पैदा कर रहे हैं। सपा महासचिव मौर्य की तरफ से बद्रीनाथ धाम समेत सभी हिंदू मंदिरों को लेकर किए गए दावे ने सियासत गरमा दी है। उनके इस बयान के बाद से तमाम नेताओं ने साथ ही सपा के भीतर से स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ आवाज उठने लगी है। उधर राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो 2024 में अखिलेश यादव को स्वामी प्रसाद की बयानबाजी भारी पड़ सकती है।
‘भगवान विष्णु को समर्पित है बद्रीनाथ मंदिर’
दरअसल बद्रीनाथ धाम और बद्रीनारायण मंदिर उत्तराखंड के चमोली जनपद में अलकनंदा नदी के तट पर स्थित एक हिन्दू मन्दिर है। यह हिंदू देवता विष्णु को समर्पित मंदिर है और यह स्थान इस धर्म में वर्णित सर्वाधिक पवित्र स्थानों, चार धामों, में से एक यह एक प्राचीन मंदिर है। इतना ही नहीं भगवान कृष्ण के विष्णु जी के आठवें अवतार माने गए हैं इसी वजह से सपा मुखिया अखिलेश यादव भगवान विष्णु को अपना आराध्य मानते हैं। अखिलेश यादव ने अपने एक बयान में कहा था कि मैं भगवान विष्णु को मानता हूं। इसके साथ ही अखिलेश यादव ने इटावा में भगवान विष्णु का भव्य मंदिर बनाने का ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि इटावा में विष्णु भगवान का मंदिर बनेगा और यह मंदिर कंबोडिया के अंगकोरवाट मंदिर की तरह ही भव्य होगा।
‘अखिलेश ने विष्णु भगवान का मंदिर बनवाने की बात कही’
ऐसे में जब सपा मुखिया अखिलेश यादव भगवान विष्णु का मंदिर बनवाने की बात कर रहे हैं। तब उनकी ही पार्टी के कद्दावर नेता और एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य भगवान विष्णु के नाम से प्रसिद्ध बद्रीनाथ धाम को लेकर बड़ा दावा कर रहे हैं। सपा महासचिव और एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य का दावा है कि आखिरी शताब्दी तक वह बौद्ध मठ था उसके बाद शंकराचार्य ने उसको बद्रीनाथ धाम बनाया था।’ यही नहीं, स्वामी प्रसाद मौर्य का कहना है कि जितने भी हिन्दू तीर्थ स्थल है यहां पहले कभी बौद्ध मठ था। अब उनके इस बयान पर जहां उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से लेकर मायावती समेत तमाम बीजेपी नेताओं ने हमला बोला है वहीं अब सपा के भीतर भी स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा की जा रही बयानबाजी के खिलाफ आवाज उठती नजर आ रही है।
‘स्वामी के बयान के बाद समाजवादी पार्टी में विरोध’
समाजवादी पार्टी के नेता और प्रवक्ता आईपी सिंह ने अपने ही सीनियर लीडर स्वामी प्रसाद मौर्य को नसीहत दे दी है। सपा प्रवक्ता आईपी सिंह ने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्या को पार्टी के आधिकारिक बयान का इंतजार करना चाहिए या फिर शीर्ष नेतृत्व से विचार विमर्श के बाद अपना बयान देना चाहिए। आईपी सिंह ने कहा कि इतनी जल्दीबाजी ठीक नहीं है। उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाया है उसकी गरिमा का सदैव ध्यान रखना चाहिए। आईपी सिंह के इस बयान को स्वामी प्रसाद मौर्य के द्वारा दिये गए मंदिरों को लेकर बयान से जोड़कर देखा जा रहा है।
‘धामी और मायावती ने बोला सपा के स्वामी पर हमला’
वहीं स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी पलटवार किया था। पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्या ने भावनाओं को आहत करने का काम किया है। उन्होने कहा कि उत्तराखंड में स्थित चार धाम दुनियाभर के लोगों की आस्था और श्रद्धा का केंद्र हैं और स्वामी प्रसाद मौर्य की तरफ से दिया गया बयान बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है वो जिस गठबंधन का हिस्सा हैं, उनके लिए ऐसे बयान देना स्वाभाविक है।
वहीं मायावती ने कहा कि स्वामी प्रसाद का बयान विशुद्ध राजनीतिक बयान है। वो लंबे समय तक बीजेपी में रहे, तब क्यों नहीं पार्टी और सरकार पर इस तरह का दबाव बनाया। अब चुनाव नज़दीक है तो बयान जारी कर घिनौनी राजनीति कर रहे हैं। मुस्लिम और बौद्ध स्वामी प्रसाद के बहकावे में आने वाले नहीं हैं।
‘स्वामी के बयान से 2024 में हो सकता है नुकसान’
उधर यूपी के पत्रकार स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान को 2024 लोकसभा चुनाव के नजरिये से भी देख रहे हैं। पत्रकारों का मानना है कि स्वामी प्रसाद मौर्य का यह बयान कही ना कही सपा के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है। वरिष्ठ पत्रकार योगेश मिश्रा का कहना है कि स्वामी प्रसाद मौर्य जो लाइन ले रहे हैं वो वोट बढाने वाली नहीं बल्कि ऐसी बयानबाजी करके सपा का वोट घटा देंगे। उन्होंने कहा कि सपा मुखिया अखिलेश यादव वोट बढ़ाने वाली राजनीति कर रहे है ऐसे में स्वामी प्रसाद मौर्य को वोट घटाने वाली राजनीति नहीं करना चाहिए।
योगेश मिश्र ने कहा कि मीडिया में बने रहने के लिए स्वामी प्रसाद मौर्य इस तरह के बयान देते हैं। अब उनके बयान से सपा की भद्द हो रही है तो जाहिर सी बात है कि पार्टी के लोग नाराज होंगे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जैसे पहले दौर में मस्जिद की पॉलिटिक्स बहुत जोरो पर थी वैसे ही अब मंदिरों की पॉलिटिक्स को पीएम मोदी ने ऐक्टिवेट कर दिया है।
‘राजनीति में वोटों की राजनीति अहम‘
वहीं वरिष्ठ पत्रकार नवल कांत सिन्हा की मानें तो स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान अखिलेश यादव के लिए नुकसानदेह साबित होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि वहां पर बौद्ध मठ था कि नहीं था, ये अलग विषय है। लेकिन राजनीति में वोटों का नुकसान और फायदा देखा जाता है। ऐसे में हिन्दू पॉपुलेशन बहुत बड़ी संख्या में हैं तो अगर इस तरह की बयानबाजी स्वामी प्रसाद मौर्य करेंगे तो इसका नुकसान समाजवादी पार्टी को निश्चित रूप से होना है। उनका यह भी कहना है कि जिस तरह की राजनीति स्वामी प्रसाद मौर्य बसपा के समय से करते आए हैं, इससे स्वामी प्रसाद मौर्य का भले ही फायदा हो जाए लेकिन कुल मिलाकर समाजवादी पार्टी को इससे नुकसान हो जाएगा।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."