इरफान अली लारी की रिपोर्ट
देवरिया। नवमी की रात को इमाम हुसैन की याद में “कर्बला हम जाएंगे, कर्बला हम जाएंगे” के नारे के साथ मोहर्रम की जुलूस निकाली गई। दसवीं को दिन में भी “या हुसैन या हुसैन” के नारे लगाते हुए जुलूस निकाला गया।
जुलूस में गंगा और जमुना की तहजीब देखी गई। हिंदू और मुस्लिम साथ में मिलकर मोहर्रम का जुलूस निकाले। चिकटोली के ताजिया दार ताजिया ले कर धीरे-धीरे अपने खिलाड़ियों के साथ प्रदर्शन करते हुए धीरे-धीरे आर्य चौक होते हुए दुर्गा मंदिर के रास्ते स्टेशन रोड होते हुए नारों के साथ कर्बला हम जाएंगे कर्बला हम जाएंगे या हुसैन या हुसैन या अली या अली के नारों के साथ धीरे धीरे कर्बला तक तमाम गांव के ताजीये के साथ मिलते हुए जैसे स्टेशन रोड ,सोहन पार, दुबौली ,मेहरौना ,जसुई, के ताजिया के साथ मिलते हुए अपनी खेलों का प्रदर्शन करते हुए खिलाड़ी नारों के साथ कर्बला तक पहुंचे।
कर्बला में जाने के बाद हर खिलाड़ी अपनी अपनी जगह लेकर अपने खेलों का प्रदर्शन करने लगे। इसी के साथ कर्बला में फातिहा होने के बाद सारे लोग इमाम हुसैन की याद को ताजा किया और फिर अपने घर वापस आ गए।
मोहर्रम इमाम हुसैन की याद के लिए सारे लोग मनाते हैं। इमाम हुसैन ने अपनी कुर्बानी देकर इस्लाम को जिंदा रखा। इस्लाम को बचा लिया। इसी को देखते हुए हर कौम के लोग इमाम हुसैन की याद बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं । इस जुलूस के साथ पुलिस प्रशासन रहे मौजूद।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."