दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
“हमने थानेदार से पति को हिरासत में लेने की वजह पूछी, तो वह गुस्सा गए। कुर्सी छोड़कर खड़े हो गए, हमें गंदी-गंदी गाली देने लगे। वह यहीं नहीं रुके। उन्होंने थाने की महिला सिपाही और मुंशी को बुलाया। कहा- इन औरतों को अंदर कमरे में बंद कर दो। 10 मिनट बाद थानेदार फिर हमारे सामने आए…कहने लगे कि तुम लोगों के बहुत ज्यादा गर्मी चढ़ गई है। सारी उतारनी पड़ेगी। इतना कहते हुए उन्होंने मुंशी से एक मोटे बेल्ट वाला पट्टा मंगवाया। फिर बारी-बारी उसी बेल्ट से हमें खूब मारा।”
“महिला सिपाही हमें पकड़ी थी। थानेदार-मुंशी 1 घंटे तक लगातार हमें मारते रहे। दोनों ने मेरी पड़ोसी अन्नपूर्णा और राजकुमारी को इतना मारा कि वह बेहोश हो गईं। बेहोशी की हालत में उनके चेहरे पर पानी मारा गया। होश आने पर फिर बेल्ट से पिटाई हुई। शाम तक शरीर का कोई हिस्सा ऐसा नहीं बचा था जिस पर बेल्ट के निशान न हों।”
ये शब्द 28 साल की लक्ष्मी के हैं, जिसे 16 दिन पहले 4 अन्य महिलाओं के साथ थाने में पीटा गया। पिटाई के बाद परिवार वाले उन्हें किसी तरह घर ले गए, इलाज करवाया। 16 दिन बाद महिलाओं का दर्द तो कम हो गया, लेकिन बेल्ट की मार से बने घाव अब तक मिटे नहीं। महिलाओं की पिटाई के बाद DM और SP से शिकायत की गई तो कार्रवाई हुई। थानेदार सहित 3 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया। लेकिन अब पीड़ित परिवार को शिकायत वापस लेने की धमकियां मिल रही हैं।
एक नल से शुरू हुई लड़ाई में जान जाते-जाते बची
18 जून 2023…सुबह 8 बजे थे। सीतापुर के रामपुर मथुरा गांव के रहने वाले निरंकार और ओंकार शर्मा के बीच एक नल को लेकर विवाद हो गया। लड़ाई नल की जमीन को लेकर थी। देखते-देखते भाइयों के बीच की नोंक-झोंक मारपीट में बदल गई। विवाद बढ़ा, तो दोनों भाई पास के थाने चले गए।
निरंकार-ओंकार ने थानेदार राम अवध चौहान को पूरी बात बताई। दोनों वहीं पर लड़ने लगे तो सिपाहियों ने डांटकर उन्हें थाने में बैठा लिया। सुबह 9 बजे थाने गए दोनों भाई जब दोपहर 1 बजे तक घर नहीं लौटे तो परिवार परेशान होने लगा। निरंकार की पत्नी लक्ष्मी और ओंकार की पत्नी रेखा ने पड़ोसी गायत्री, अन्नपूर्णा और राजकुमारी देवी को बुलाया और सब थाने पहुंच गए।
राजकुमारी सभी महिलाओं में बड़ी थीं। उन्होंने थानेदार से बात की, पूछा कि दोनों को क्यों थाने में बैठाया है? थानेदार के जवाब से असंतुष्ट हुई और थोड़ी देर में ही बातचीत बहस में बदल गई। इसके बाद रामपुर मथुरा थाने के प्रभारी राम अवध भड़क गए। उन्होंने चिल्लाते हुए महिला सिपाही रचना चौधरी और मुंशी कमलेश यादव को बुलाया। कहा- इन सभी औरतों को अंदर बंद कर दो।
महिला सिपाही पांचों महिलाओं को अंदर लेकर गई। एक कमरे में सब को बैठा दिया। पुलिसवालों के इस व्यवहार से महिलाएं घबराईं थीं। कुछ देर बाद SHO, मुंशी और महिला सिपाही उस कमरे में पहुंचे। तीनों गुस्से से भरे हुए थे।
थानेदार के हाथ में बेल्ट के आकार वाला लंबा सा पट्टा था। वह महिलाओं के पास पहुंचकर बोला- ‘आज तुम लोगों की सारी गर्मी उतार दूंगा।’ इतना कहते-कहते उसने राम कुमारी पर जोर से बेल्ट मारा। वह जमीर पर गिर गईं। उन्हें बचाने के लिए बेटी अन्नपूर्णा आई। वह राजकुमारी को ऊपर से कवर करने लगी तो उस पर भी बेल्ट पड़े। एक-एक कर गायत्री, रेखा और लक्ष्मी सबको मारा गया।
राजकुमारी कहती हैं, “थानेदार इतने गुस्से में था कि वह किसी की सुन नहीं रहा था। उसने 1 घंटे तक तीन-तीन बार हमें मारा। जब कोई बेहोश हो जाता, तो उसे पानी पिलाया जाता। होश आने पर फिर पिटाई होती। हम सभी ने उसके आगे हाथ जोड़े, लेकिन थानेदार का दिल नहीं पसीजा।”
इतना मारा कि 2 दिन तक दर्द कम नहीं हुआ
दोपहर 1 बजे थाने गईं 5 महिलाएं शाम तक घर नहीं लौटी थी। घरवालों की चिंता अब और बढ़ गई थी। परिवार गांव वालों के साथ थाने पहुंचा। लोगों ने महिलाओं की हालत देखी, तो उनसे रहा नहीं गया। थाने पर हंगामा शुरू हो गया। अंधेरा हो रहा था, इसलिए सब ने पहले यह सोचा कि किसी तरह महिलाओं को सुरक्षित घर ले जाया जाए।
2 दिन तक महिलाओं की घर पर देखभाल की गई। फिर सबको पास के सरकारी अस्पताल में दिखाया गया। किसी का पूरा पैर काला पड़ा गया था। किसी के हाथ पर तो किसी की छाती पर गहरी चोट के निशान थे। दर्द से तड़पती महिलाओं को देख घरवाले भी परेशान हो गए।
बहुओं की हालत पर सास खुद को दोष देने लगी
82 साल की पुष्पा देवी दोनों बहुओं (लक्ष्मी और रेखा) की देखभाल कर रही हैं। दोनों के शरीर पर चोट के निशान देख उनकी आंखों में आंसू आ जाते हैं। बहुओं की इस हालत पर पुष्पा खुद को दोष देने लगीं। रोते हुए वह कहती हैं, “जब निरंकार और ओंकार घर नहीं लौटे तो बहुओं ने खुद थाने जाने का मन बना लिया।
दोनों पुलिस स्टेशन जाने लगीं तो मैंने भी साथ चलने के लिए कहा। इस पर उन्होंने मुझे ये कहकर मना कर दिया कि…अम्मा थाना बहुत दूर है। तुम वहां तक नहीं चल पाओगी।” इतना कहते हुए पुष्पा देवी रोने लगती हैं। फिर खुद को संभालते हुए कहती हैं – “अगर हम उस दिन बहुओं के साथ थाने गए होते तो शायद उन्हें यह चोट न लगती।”
20 जून को पीड़ित महिलाओं के साथ परिवार शिकायत लेकर CO महमूदाबाद रविशंकर के कार्यालय पहुंचा। मगर CO महमूदाबाद ने पूरे प्रकरण में जांच के बाद पुलिसकर्मियों को क्लीन चिट दे दी। इससे परिवार निराश होकर गांव लौट आया।
DM-SP तक बात पहुंची तो पुलिस एक्टिव हुई
लक्ष्मी के पति निरंकार शर्मा ने बताया, “जब CO ने शिकायत नहीं सुनी, तो हम DM अनुज सिंह और SP घुले सुशील चंद्रभान के पास पहुंचे। उन्हें शुरू से पूरी बात बताई। महिलाओं के घावों की तस्वीरें दिखाई। हमारी शिकायत पर SP साहब ने मामले का संज्ञान लेते हुए तत्काल जांच के आदेश दे दिए। जांच के बाद सब कुछ साफ हो गया।”
जांच करने रामपुर मथुरा गांव पहुंची पुलिस की टीम ने पीड़ित महिलाओं के बयान दर्ज करवाए। बयानों के आधार पर थानेदार राम अवध, महिला सिपाही रचना और मुंशी कमलेश यादव से पूछताछ की गई। तीनों से बारी-बारी थाने में मारपीट की वजह पूछी गई। अगले 11 दिन तक (1 जुलाई तक) जांच चलती रही।
जांच में महिलाओं की बात सच निकली, तीनों पुलिसकर्मी सस्पेंड
महिलाओं से मारपीट के बाद पुलिस की कार्रवाई कहां तक पहुंची? इसे जानने के लिए हम सीतापुर के ASP नरेंद्र प्रताप सिंह के पास पहुंचे। उन्होंने बताया, “SP साहब को कुछ दिनों पहले रामपुर मथुरा गांव की महिलाओं ने एप्लिकेशन दिया था। इसमें आरोप लगाया गया कि 18 जून को थाने पर उनकी पिटाई की गई। साथ ही पुलिसवालों ने उन पर धारा 151 (शांति भंग) में मुकदमा भी दर्ज किया है। इस घटना का एक वीडियो भी वायरल हो रहा था, जिसका संज्ञान लिया गया।”
“शुरुआती जांच में महिलाओं के साथ हुई बर्बरता सत्य निकली। आरोप के आधार पर थाने के SHO और वहां पर तैनात 2 कॉन्स्टेबल सस्पेंड किए गए हैं। तीनों पर मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है। रामपुर मथुरा थाने में SHO राम अवध की जगह DCRB (जिला क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो) के प्रभारी रहे महेश चंद्र पांडेय को तैनात किया गया है।”
फिलहाल…
सीतापुर पुलिस तीनों पुलिसकर्मियों को निलंबित कर मामले की जांच कर रही है। पीड़ित परिवार का कहना है कि भले ही पुलिस वालों पर कार्रवाई हुई है। लेकिन, उन पर शिकायत वापस लेने का लगातार दबाव बनाया जा रहा है।
मामले में पीड़िता लक्ष्मी शर्मा के पति निरंजन शर्मा कहते हैं, “SP साहब ने हमारी शिकायत का संज्ञान लिया, जिसके बाद थानेदार को सजा मिली है। लेकिन जब से उन्हें थाने से हटाया गया, हमें लगातार केस वापस लेने की धमकियां मिल रही हैं। प्रशासन से हमारी विनती है कि हमें जान-माल की सुरक्षा दी जाए।”
जिन महिलाओं को चोट लगी उनका इलाज रामपुर मथुरा के सरकारी अस्पताल में चल रहा है। लक्ष्मी और रेखा की कमर पर, राजकुमारी और अन्नपूर्णा के पैर में और गायत्री के सीने पर चोट के निशान अभी भी हैं। सभी महिलाओं की हालत ठीक है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."