हरीश चंद्र गुप्ता की रिपोर्ट
आजतक आपने इंसान को अपने साथ हुए बुरे बर्ताव का बदला लेते हुए देखा होगा। कई बार जानवर भी अपने साथ हुए जुल्म का बदला लेते हैं। लेकिन मौत के बाद शायद ही कोई अपना बदला ले पाता है। लेकिन छत्तीसगढ़ से सामने आए एक मामले ने इस बात को गलत साबित कर दिया।
यहां बलि चढ़ाए गए एक बकरे ने अपनी मौत के बाद अपना इंतकाम लिया। बकरे की बलि के बाद सभी लोग उसके मांस का मीट पका कर खा रहे थे। लेकिन इसका मांस खाने से एक शख्स की मौत हो गई।
खबर के मुताबिक, ये पूरा मामला छत्तीसगढ़ का है। यहां एक परिवार ने भगवान से मन्नत मांगी थी। मन्नत पूरी होने पर बकरे की बलि चढ़ाने का संकल्प लिया गया था। जिस चीज की मन्नत मांगी गई, जब वो पूरी हो गई, तो परिवार बकरे के साथ मंदिर गया। वहां पूजा-पाठ के बाद बकरे की बलि चढ़ाई गई। कटे हुए बकरे का मांस फिर पकाया गया। सारे परिवार ने मिलकर मांस का लुत्फ़ उठाया। लेकिन तभी इसके आंख को खाने वाले शख्स के गले में आंख अटक गई और उसकी मौत हो गई।
प्रसिद्द धाम की घटना
घटना छत्तीसगढ़ के सूरजपुर के ग्राम पर्री का है। यहां के मदनपुर गांव में रहने वाले 50 साल के बागर साय अपने साथियों के साथ 2 जुलाई को खोपा धाम दर्शन के लिए गया था। उसने एक मन्नत मांगी थी। शख्स की मुराद पूरी होने पर उसने मंदिर में बकरे की बलि चढ़ाई। इसके बाद मांस को अपने दोस्तों के साथ पकाकर खाया। लेकिन बागर को ये नहीं पता था कि बलि के बकरे के मांस की ये पार्टी उसकी जिंदगी की आखिरी पार्टी होगी।
गले में अटकी आंख
बागर ने अपनी प्लेट में बकरे की आंख ले ली। जब वो इसे खाने लगा तो आंख उसके गले में अटक गई। उसे सांस लेने में दिक्कत आने लगी। बागर को तत्काल अस्पताल ले जाया गया। लेकिन उसकी जान नहीं बची। बकरे की आंख ने बागर की जान ले ली। इस घटना के बाद पूरे गांव में मातम छा गया। सोशल मीडिया पर ये न्यूज तेजी से फ़ैल गई। बकरे की आंख से मौत की इस खबर ने लोगों को हैरान कर दिया।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."