आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
लखनऊ। जनपद बांदा से एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यह आश्चर्यजनक घटना है एक विधवा महिला पत्रकार की, जिसके परिवार के साथ वर्ष 2018 में पूंजीपति दबंग माफियाओं ने कुछ इस कदर जुल्म ढाया कि उसका परिवार ही बिखर गया।
जी हाँ चौंकिये मत! यह मामला है महिला पत्रकार रुपा गोयल जी का, जिन्होंने अपने पति के इंतकाल के बाद अपना एवं अपने परिवार का पेट भरने के लिये पत्रकारिता के साथ साथ अपना संघर्षमय जीवन परिवार के लिए छोटी सी नौकरी में लगा दिया किन्तु शायद उनका यह संघर्ष ही उन्हें समाज में कमजोर साबित कर रहा था, जिसकी वजह से पास में ही रह रहे दबंग पूंजीपति गुटखा माफिया प्रेमचंद्र आहूजा पुत्र अज्ञात, शंकर आहूजा पुत्र प्रेमचंद्र, गोलू आहूजा पुत्र प्रेमचंद्र की निगाहें उनकी जमीन जायदाद हड़पने के उद्देश्य से उनको परेशान करने कराने में लग गयीं । इसके चलते पहले तो उन्होंने इनके बेटे उमंग को बेटे की तरह प्यार दुलार करते हुये अपने घरेलू कार्य कराने में मदद लेना शुरू किया और जब उसको इनकी कारगुजारियों के बारे में पता चला तो राज खुल जाने के डर से एक रात बिजली ना होने पर उमंग के अपने घर की छत में सोने और दोनों मकान आपस में जुड़े होने पर उमंग पर फर्जी डकैती का इल्जाम लगाते हुये अपने दो अज्ञात रिस्तेदारों सहित अपने घर ले जाकर बेरहमी से मारते हुये उसे अपने तीन मंजिला मकान से नीचे फेंक दिया। जिससे उमंग की रीढ़ की हड्डी टूटने के साथ साथ शरीर में गम्भीर चोटे आने के कारण वह मरणासन्न अवस्था में पहुँच गया। लेकिन इतने पर भी उनका मन नहीं भरा सभी लोग नीचे आकर उसकी मौत का तमाशा बनाते हुये उसकी पुनः लाठी डण्डों से जमकर पिटाई की ताकि उसकी मौत हो जाये और वह हमारे खिलाफ कोई भी बयानबाजी ना कर सके । किन्तु शायद किसी ने सच कहा है कि जाको राखे साइयां के चलते पत्रकार द्वारा अर्धरात्रि में मुहल्ले वासियों से सहयोग की गुहार लगाने पर उसको उनके सहयोग से घायल उमंग को जिला अस्पताल पहुंचाया गया जहाँ पर गम्भीर हालत देखकर उसे जिला अस्पताल से मेडिकल कालेज बांदा तथा हालत ज्यादा गम्भीर होने पर वहाँ से कानपुर रिफर कर दिया गया।
लेकिन ताज्जुब तो तब हो रहा है कि इस दर्दनाक घटना की शिकायत भी महिला पत्रकार द्वारा स्थानीय पुलिस स्टेशन में बकायदा दर्ज करायी गयी किन्तु चंद सिक्कों की चमक से पुलिस को भी खरीदने वाले दबंगोँ ने पुलिस और डाक्टरों से मिलकर सारी घटना का रुख ही बदलते हुये उल्टे उमंग पर ही डकैती कायम कराने का पूरा काम किया और रुपा गोयल जी द्वारा पुलिस को दी गयी तहरीर को नकारते हुये सारा मामला ही उलट दिया गया। इससे आहत होकर भुक्तभोगी पत्रकार ने सारा मामला कोर्ट में दायर करा दिया जिसमें उक्त मामले का संज्ञान लेते हुये विवेचना हेतु आदेशजारी किया जिसकी भनक उक्त पूंजीपतियों को लग जाने पर विवेचक से मिलकर सारे मामले को ही हल्का कराते हुये धारायें ही बदलवा दी और कुछ महीनों बाद सुलह समझौते का दबाव बनाते हुये पत्रकार द्वारा राजी नहीं होने पर पुनः लगभग 10 लोगों सहित घर में घुसकर गाली गलौज के साथ साथ महिला पत्रकार एवं उसकी नाबालिग बेटियों से छेड़छाड़ करते हुये समूचे परिवार के साथ बेरहमी से मारपीट की तथा पत्रकार की छोटी बेटी को घर से बाहर फेंक दिया। महिला पत्रकार सिर्फ रहम की भीख मांगती रह गयी !
इसके बाद समूची घटना की सुनवाई स्थानीय पुलिस के ना सुनने एवं इस संगीन वारदात में स्थानीय पुलिस के नकारापन के चलते तथा इस समूची घटना की जानकारी देने एवं न्याय पाने की आस में महिला पत्रकार द्वारा जब पुलिस अधीक्षक बांदा से मिलने की कोशिश की गयी तो घंटो इन्तजार के बाद भी उनसे मुलाकात नहीं हो सकी जिससे हताश असहाय, विधवा महिला पत्रकार आज न्याय एवं सुरक्षा पाने की आस में दर दर की ठोकरें खाने पर मजबूर है!
कहने को तो सत्ताधारी भाजपा सरकार के न्याय प्रिय, कुशल प्रशासक मुख्यमंत्री योगी जी का बुल्डोजर माफियाओं के लिये किसी यमराज से कम नहीं फिर भी ऐसे दबंग, पूंजीपति, माफियाओं एवं नकारापन में लिप्त जिम्मेदारों पर उनके ही शासनकाल में आखिर इतना बड़ा रहम क्यों? खैर न्याय कुछ भी हो किन्तु आज एक महिला पत्रकार को दबंगों द्वारा सरेआम धमकियाँ मिल रही हैं जिससे उसका समूचा परिवार दहशतगर्दी में जी रहा है। जबकि उक्त प्रकरण की सम्पूर्ण जानकारी पत्रकार समूहों को होने के चलते प्रशासनिक जिम्मेदारों की कार्यशैली के प्रति उनमें भारी आक्रोश व्याप्त है!
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."