राकेश तिवारी की रिपोर्ट
देवरिया। जिला के सलेमपुर तहसील क्षेत्र के मंगराइच में हो रहे शिव परिवार प्राण प्रतिष्ठा महायज्ञ में बुधवार को श्रद्धालुओं को कथा का रसपान कराते हुए आचार्य अजय शुक्ल ने भगवान श्रीकृष्ण के रासलीला के महत्त्व का वर्णन करते हुए कहा कि कामदेव ने भगवान शिव का ध्यान भंग कर दिया तो उसे खुद पर अभिमान होने लगा। इसी मद में मदान्ध होकर भगवान श्रीकृष्ण के पास गया और बोला कि हम आपसे भी मुकाबला करना चाहते हैं। श्रीकृष्ण ने उसको स्वीकृति प्रदान कर दी। लेकिन उसने एक शर्त रखी कि आपको आश्विन मास के पूर्णिमा को वृंदावन के रमणीय जंगलों में स्वर्ग की अप्सराओं जैसी सुंदर गोपियों के साथ आना होगा। उन्होंने उसकी शर्त मान ली। पूर्णिमा के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने बासुरी की तान छेड़ी तो गोपियां अपना सुध बुध खो बैठी। श्रीकृष्ण ने उनका मन मोह लिया। उनके मन मे काम भाव जागा, लेकिन यह कामवासना नहीं थी। रास शब्द का मूल रस है और रस स्वयं भगवान श्रीकृष्ण हैं। जो मनुष्य इस को पूरे मनोयोग से समझ लेता है, वह इस भव सागर से मुक्त हो जाता है।
कथा में आचार्य देवानंद दुबे, यजमान रवींद्र तिवारी, मदन तिवारी, मयंक भूषण तिवारी, शशिभूषण तिवारी, भरत तिवारी, आदित्य तिवारी, रोहित तिवारी, नमन तिवारी, प्रमोद तिवारी, रमेश, पवन , संजय तिवारी, बैभव तिवारी, आचार्य सुशील मिश्र, प्रहलाद आदि शामिल थे।
Author: samachar
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