कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
उमेश पाल मर्डर केस की हत्या की साजिश बड़े स्तर पर रची गई। विधायक राजू पाल मर्डर केस के गवाह उमेश पाल को मारने के लिए एक ऑपरेशन लॉन्च किया गया, जिसे ऑपरेशन जानू नाम दिया गया था। दरअसल, उमेश पाल माफिया डॉन अतीक अहमद के लिए मुसीबत बन गए थे। ऐसे में अतीक की उन पर टेढ़ी नजर थी। मायावती सरकार होने के बाद उमेश पाल ने राजू पाल मर्डर केस में गवाही बदले जाने के मामले पर एफआईआर दर्ज कराई थी। इसमें अतीक अहमद और अशरफ समेत अन्य आरोपी बनाए गए थे। अतीक ने उमेश पाल से केस वापस लेने का दबाव बनाया, लेकिन वह नहीं झुके।
आखिरकार, 24 फरवरी को अतीक गैंग ने सुलेमसराय में जीटी रोड पर घर के पास उमेश पाल की हत्या कर दी। हत्याकांड के बाद से अतीक गैंग की मुश्किलें बढ़ीं। अतीक का बेटा असद एनकाउंटर में मारा गया। वहीं, अतीक अहमद और अशरफ की प्रयागराज के कॉल्विन हॉस्पिटल परिसर में तीन शूटरों ने हत्या कर दी। हालांकि, उमेश पाल मर्डर के दो माह बाद इस मामले में बड़ा खुलासा सामने आया है।
उमेश पाल से परेशान था माफिया
माफिया अतीक अहमद वकील उमेश पाल के केस से खासा परेशान था। उसे डर था कि यह केस उसे सजा दिला सकता है। अतीक और अशरफ पर उमेश पाल ने अपहरण कर राजू पाल मर्डर केस में गवाही बदलने के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया था। इस मामले में अगस्त 2012 में अतीक अहमद ने गृह सचिव को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि उमेश पाल का केस फर्जी है। इससे हमारी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंच रहा है। इसको निजी तौर पर समाप्त करवाने की मांग माफिया ने की थी। केस ने अतीक की समस्याएं योगी कार्यकाल में बढ़ी थी। इसको लेकर बार-बार अतीक ने उमेश पाल से पैचअप करने की कोशिश की। उमेश पाल ने अपने कदम पीछे नहीं हटाए।
योगी सरकार आने के बाद अतीक अहमद पर शिकंजा कसने लगा था। उमेश पाल केस में भी कार्रवाई तेज हुई। इसने अतीक अहमद और पूरे गैंग को तनाव में ला दिया था। माफिया डॉन अतीक अहमद ने उमेश पाल की हत्या से एक बड़ा संदेश देने का फैसला लिया। साबरमती जेल में बंद अतीक अहमद ने पूरे मामले को अंजाम तक पहुंचाने की जिम्मेदारी अपनी पत्नी शाइस्ता परवीन को दे दिया। शाइस्ता परवीन ने बेटे असद अहमद के सहयोग से उमेश पाल मर्डर की पूरी साजिश रची। उसके गुर्गों ने इस मामले को ऑपरेशन जानू का नाम दे दिया।
उमर-असद की मुलाकात और पार्टी
उमेश पाल की हत्या से पहले असद अहमद ने लखनऊ जेल में बंद बड़े भाई मोहम्मद उमर से मुलाकात की थी। अब उमेश पाल केस की प्लानिंग में उमर का नाम भी सामने आ रहा है। दावा यह भी किया जा रहा है कि उमेश पाल की हत्या की पूरी प्लानिंग की जानकारी उमर के पास थी। वहीं, यह भी खुलासा हुआ है कि उमेश पाल की हत्या के पहले शूटरों की एक पार्टी हुई थी। इस पार्टी में शाइस्ता परवीन भी पहुंची थी। वहां पर उन्होंने शूटरों के बीच 1.20 करोड़ रुपए बांटे थे।
उमर पर दर्ज हुआ नया केस
अतीक के बड़े बेटे पर एक नया केस दर्ज किया गया है। बिल्डर से रंगदारी मांगने के आरोप में जेल में बंद उमर के खिलाफ बिल्डर मोहम्मद मुस्लिम ने केस दर्ज कराया है। रंगदारी मामले के आरोप में उमर और उसके छोटे भाई अली समेत 6 आरोपी बनाए गए हैं। बिल्डर मोहम्मद मुस्लिम ने आरोप लगाया है कि उमर, अली, असाद कालिया, अजय एहतेशाम और नुसरत ने उसे गाड़ी में खींचकर अगवा किया। चकिया दफ्तर पर ले जाकर उसके साथ मारपीट की। जमीन अपने नाम करने का दबाव डाला गया। जमीन न देने पर जान से मारने की धमकी दी।
बिल्डर का आरोप है कि प्रयागराज के देवाघाट में उसकी करीब 15 करोड़ से अधिक कीमत की उसकी पैत्रिक जमीन को उमर, अली और अतीक गैंग हड़पना चाहता था। अतीक की मांग पर जब मुस्लिम राजी नहीं हुआ तो उसे धमकाया गया। प्रताड़ित किया गया।
हिस्ट्रीशीटर है मोहम्मद मुस्लिम
मोहम्मद मुस्लिम पर धूमनगंज, कर्नलगंज, खुल्दाबाद, करेली में 16 केस दर्ज हैं। वह हिस्ट्रीशीटर है। लखनऊ के वजीरगंज थाने में भी मुस्लिम पर केस दर्ज हैं। उस पर गैंगस्टर के तहत भी कार्रवाई हो चुकी है। पिछले साल उमेश पाल ने भी उस पर एक करोड़ की रंगदारी मांगने के मामले में केस दर्ज कराया था। उमेश पाल मर्डर केस में अब तक चार आरोपियों को पुलिस एनकाउंटर में मारा गया है।
घटना के दो माह बाद भी शाइस्ता परवीन, गुड्डू मुस्लिम, अरमान, साबिर आदि लापता हैं। शाइस्ता पर 50 हजार का इनाम है। अन्य शूटरों पर प्रयागराज पुलिस ने 5 लाख का इनाम घोषित किया हुआ है।
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Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."