कमलेश कुमार चौधरी और अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
प्रयागराज। चकिया, राजरूपपुर, खुल्दाबाद, बेनीगंज, करबला, हिम्मतगंज, रोशनबाग…इतना मोहल्ला घूम लीजिए। बोलेगा कोई कुछ नहीं। सबके मन में कुछ ना कुछ है। लेकिन सब खामोश हैं। पता है सबको कि कुछ अंट-शंट बोला तो पुलिस वीडियो देखते ही उठा लेगी।
प्रयागराज के चकिया मोहल्ले में लुकरगंज की ओर जाने वाली सड़क पर एक मुस्लिम शख्स की यही कहते हैं। इस इलाके से कुछ 2 किलोमीटर दूर एक सड़क कसारी मसारी के कब्रिस्तान जाती है। दूसरी ओर धूमनगंज थाना है। रात को 7 बजे के बाद यहां खड़े एक बुजुर्ग कहते हैं- आप मीडिया वाले हैं क्या? कहां से आए हैं। दिल्ली वाले हैं और फलां चैनल से हैं तो उधर तरफ मत जाइएगा। आईडी कार्ड है ना…तब घूम आइए..। लेकिन दिन में जाएंगे तो ज्यादा ठीक है। लोग गुस्साए हैं मीडिया से, रात को बहस करेंगे हो सकता है, गुस्सा भी दिखाएं। मारपीट भी हो जाए तो बड़ी बात नहीं।
यही रुझान सब जगह है। अटाला, करैली, चकिया, कसारी मसारी सब जगह जाने से पहले किसी स्थानीय आदमी को फोन करने पर लोग यही कहते हैं, कि बोलेगा कोई कुछ नहीं। प्रयागराज में एक अखबार के पत्रकार और इसी मोहल्ले के रहने वाले एक शख्स कहते हैं- देखिए, जिन लोगों ने भी अतीक-अशरफ की घटना के बाद कुछ गलत-सलत बोलने की कोशिश की, उनको वीडियो वायरल होते ही एसटीएफ और पुलिस टांग ले गई। ये पटना नहीं है, जहां आप अलविदा के नमाज के बाद नारा लगा देंगे और वीडियो चलने के बाद आनंद से घर में पड़े रहेंगे। अतीक का जनसमर्थन एक तरफ है, लेकिन सरकार हाइपर ऐक्टिव है। जरा सा कुछ इधर-उधर होने की संभावना लग रही है तो पुलिस टांग ले जा रही है।
गद्दी के मुसलमानों में मीडिया को लेकर गुस्सा
प्रयागराज के रहने वाले स्थानीय पत्रकार शिवपूजन सिंह कहते हैं- देखिए सर, मीडिया को लेकर गुस्सा है। ऑफ रिकॉर्ड लोग यहां तक कह दे रहे हैं कि मीडिया वाले मरवाए दिहिन अतीक भाई का। लेकिन फिर पूछ रहे- रिकॉर्ड त नै कर रहे हो। एक अन्य शख्स अपना नाम ना लिखने की शर्त पर कहते हैं, ‘प्रयागराज के वो इलाके जहां अतीक को लेकर लोगों में सहानूभूति रही है, उसमें से कुछ को गद्दी मुस्लिमों का इलाका कहा जाता है। अतीक इन्हीं की बिरादरी से था। ये लोग कहते हैं- इस बार गद्दी तो एक है ही है….अतीक के जौन खिलाफत भी करत रहे, ओनहू एक होए गए हैं। फोर्स और सरकार का डर है। अटाला में नुपुर शर्मा के बयान के बाद प्रदर्शन होए पर जैसे जेसीबी चली है, लोग उ सब देख के डरे भए हैं। लेकिन इ जरूर है कि अतीक के जाए के बाद मुसलमान कौम एक जरूर हुई है। असर चाहे जौन हो। फिलहाल सब शांत हैं बस।’
पुलिस अधिकारी भी मीडिया से बचते दिखे
प्रयागराज के तमाम हालातों पर एनबीटी की टीम ने पुलिस अधिकारियों से बात करने की कोशिश की। रविवार को पुलिस कमिश्नर से लेकर निचले स्तर तक के कई पुलिस अधिकारियों से इस संबंध में उनके सीयूजी नंबर्स पर बात करने का प्रयास हुआ। हालांकि तमाम पुलिस अधिकारी मीडिया से बातचीत करने से बचते दिखे। कुछ नंबर्स पर पीआरओ ने फोन उठाकर कहा कि फलां अफसर से बात कर लें। वहीं कुछ अधिकारियों के जनसंपर्क अधिकारियों ने यह कहा कि मेसेज पहुंचा देते हैं। अगर जरूरत हुई तो सर आपसे बात कर लेंगे।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."