Explore

Search
Close this search box.

Search

November 22, 2024 10:06 pm

लेटेस्ट न्यूज़

अजीब दास्तां है ये….जिस डाक्टर को रिपोर्ट बदलने के लिए कभी देता था नोटों के बंडल, उसी ने किया इसका भी पोस्टमार्टम 

12 पाठकों ने अब तक पढा

दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

अक्सर सुनने को मिलता है कि कोई कितना भी ताकतवर क्यों न बन जाए, लेकिन जब बुरा वक्त सामने आता है तो सारी ताकतें धरी की धरी रह जाती हैं और वह समय के हाथों मजबूर होकर टूटकर बिखर जाता है।

कुछ ऐसा ही माफिया अतीक अहमद के साथ हुआ, जिसने अपनी गुंडागर्दी के बल पर आतंक का किला खड़ा किया, लेकिन अतीक अहमद के मुंह पर समय का ऐसा तमाचा पड़ा, जिससे न केवल अतीक ने अपनी जान गंवाई, बल्कि उसका परिवार भी बिखर चुका है।

माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की सरेआम पुलिस कस्टडी में हुई हत्या की घटना अंतरराष्ट्रीय अखबारों की भी सुर्खी बनी। वहीं, अतीक से जुड़े तमाम किस्से भी सामने आने लगे हैं। अतीक और अशरफ की डेड बॉडी का जब पोस्टमार्टम किया गया तो यहां से भी एक कहानी सामने आई कि अतीक का पोस्टमार्टम उन्हीं कर्मचारियों के हाथों हुआ, जिन्हें वह पैसे बांटा करता था।

रिपोर्ट बदलवाने के लिए बांटता था रुपये

शनिवार रात तकरीबन साढ़े दस बजे अतीक और अशरफ को गोली मारी गई। उन दाेनों को तुरंत प्रयागराज के स्वरूपरानी अस्पताल ले जाया गया, जहां दोनों को मृत घोषित कर दिया गया। अस्पताल से जब दोनों के शव पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे तो यहां तैनात दो कर्मचारियों को अतीक की कारगुजारियां याद आ गई।

बताया कि दो दशक पहले अतीक जब किसी की हत्या करवाता था तो उसके पोस्टमार्टम की रिपोर्ट बदलवाने के लिए वह शव से पहले ही मोर्चरी हाउस पहुंच जाता और वहां तैनात डॉक्टरों को कतार में खड़ा कर नोटों के बंडल बांट देता था।

हालांकि, रविवार को अतीक और अशरफ के पोस्टमार्टम के दौरान वहां के कर्मचारियों को ये याद नहीं रहा। बाद में जब कर्मचारियों को आभास हुआ कि यह वही अतीक है, जो कभी यहां पैसे बांटने आता था और आज स्ट्रेचर पर पड़ा है तो वे भी सोच में पड़ गए।

“आओ में कितने लोग हो”

पहचान छिपाने की शर्त पर मोर्चरी हाउस के एक कर्मचारी ने बताया कि अतीक अहमद का जब भी किसी मामले में पोस्टमार्टम हाउस पहुंचना होता था, वह कर्मचारियों को बुलाता था। उसका यह संबोधन होता था “आओ में कितने लोग हो”। कभी सौ-सौ रुपये का नोट या इससे भी अधिक देता था। 

कर्मचारी के मुताबिक, विधायक राजू पाल की हत्या के बाद से अतीक मोर्चरी हाउस नहीं आया था। कर्मचारी ने बताया कि उसने कभी ऐसा सोचा नहीं था कि अतीक का पोस्टमार्टम उसके ही हाथों होगा।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

लेटेस्ट न्यूज़