ठाकुर धर्म सिंह ब्रजवासी की रिपोर्ट
आगरा: फिल्म बागवान की कहानी देखकर आपकी आंखों में आंसू छलक आते हैं, वो रील की कहानी थी, लेकिन 87 साल की बुजुर्ग विद्या देवी की कहानी भी ऐसी है जो कि बागवान से कम नहीं है। कभी करोड़ों के कारोबार और शानदार जिंदगी जीने वाली विद्या देवी को अब अपने जिदंगी के आखिरी दिन परेशानी और बेचैनी में बिताने पड़ रहे हैं। कहने को उनके चार बेटे करोड़पति हैं और शहर की सबसे पॉश कालोनी में आलीशान कोठियों में रहते हैं, लेकिन अपनी बुजुर्ग मां को अपने साथ रखने से उन्हें बदबू आती है।
करोड़पति बेटों की मां 87 साल की विद्या देवी पिछले 3-4 महीने से वृद्धा आश्रम में रह रही हैं। विद्या देवी ने बताया कि उसके पति गोपी चरन का लोहे का बड़ा कारोबार था। उनका कारोबार बहुत अच्छा चलता था। सब कुछ ठीक था। पति ने अपना कारोबार बड़े बेटे अरविंद कुमार को सपुर्द कर दिया। 13 पहले जब उनके पति गोपी चरन की मौत हुई तो कहानी बदल गई।
बारी-बारी से सबने दुत्कारा
अपने बेटों की बात करते-करते विद्या देवी की आंखों में आंसू छलक आते हैं। बूढ़ी मां कहती है, जब वह दूसरे बेटे के घर पर गई। तो उसने कुछ दिनों तक साथ रखा। मगर नाती को परेशानी होने लगी। उसने कहा कि कहीं और अपना ठिकाना देख ले, जब मैंने कहा कि इस हाल में कहां जाऊंगी, तो उसने कहा कि कहीं भी जाओ। यमुना में कूद जाओ या कहीं चली जाओ। इसके बाद परेशान होकर तीसरे बेटे के घर गई तो उसने एक घंटे भी अपने घर रखने से इनकार कर दिया। चौथे बेटे को भी मां पर दया नहीं आयी। उसने भी उसे अपने घर में जगह नहीं दी।
‘बहू कहती है आतंकवादी हो’
विद्या देवी पिछले 10 साल से इधर-उधर भटक रही हैं। वो जयपुर में अपनी बेटी के पास भी रहीं। फिर वो वृंदावन आश्रम चली गईं। वहां से उनकी बहन शशि गोयल रामलाल आश्रम में छोड़ गई है। विद्या देवी बताती हैं कि बहू और नाती भी उन्हें प्यार नहीं करते हैं। परिवार में करीब 35 लोग हैं, लेकिन उन्हें कोई भी आसरा नहीं दे रहा है। एक बहू को उनसे बदबू आती है तो दूसरी उन्हें आतंकवादी बताती है।
Author: samachar
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