चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High court) ने यूपी में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल (UP Power Strike) की निंदा करते हुए कर्मचारी नेताओं और सरकार के रुख पर भी कड़ी नाराजगी जताई। कोर्ट ने कर्मचारी नेताओं से कहा कि उन्हें इसका आभास नहीं है कि उनके इस आचरण से प्रदेश की जनता व सरकार को कितना नुकसान हुआ है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति एसडी सिंह की खंडपीठ ने हड़ताल से निपटने के प्रयासों पर भी नाराजगी जताई और कहा कि सरकारी इंतजाम नाकाफी रहे।
सरकार की ओर से कोर्ट को बताया कि हड़ताल के कारण तीन दिनों में 20 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। अदालत ने कर्मचारी नेताओं से पूछा कि क्यों न नुकसान की भरपाई उनके वेतन या सरकारी भत्तों से की जाए। अदालत ने तीन चरणों में मामले की सुनवाई पूरी करते हुए कहा कि वह इस मामले में आदेश पारित करेगी।
पहला चरण : कोर्ट ने अधिवक्ता विभु राय द्वारा दाखिल अर्जी पर सुबह 10 बजे सुनवाई शुरू की। शुक्रवार को दाखिल अर्जी पर कोर्ट ने वॉरंट जारी कर कर्मचारी नेताओं को तलब किया था। अदालत ने कर्मचारी नेताओं के अधिवक्ता से कहा कि वह 11:30 बजे तक बताएं कि नुकसान की भरपाई क्यों न कर्मचारी नेताओं के वेतन या उन्हें मिल रहे सरकारी भत्तों से की जाए।
दूसरा चरण : सुबह 11:30 बजे दोबारा सुनवाई शुरू हुई। कोर्ट ने यूपी सरकार से भी पूछा कि हड़ताल के कारण कितना नुकसान हुआ और सरकार ने लोगों को परेशानी से बचाने के क्या वैकल्पिक इंतजाम किए थे? सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने बताया कि तीन दिनों की हड़ताल के दौरान 20 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि हड़ताल को लेकर सरकार ने पूरी व्यवस्था कर रखी थी।
तीसरा चरण: इसके बाद मामले की सुनवाई दोपहर 12:30 बजे फिर शुरू हुई। कोर्ट ने पूछा कि इस मामले में अब तक क्या कार्रवाई की है। जवाब में सरकार की ओर से बताया गया कि अब तक 600 कर्मचारियों के खिलाफ FIR दर्ज करवाई गई हैं। इस पर कोर्ट ने पूछा कि इन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया। इस पर सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया। कोर्ट ने कहा कि कर्मचारी हड़ताल पर जाते हैं तो सरकार को ठोस वैकल्पिक इंतजाम करना चाहिए। कोर्ट ने अपने पिछले आदेश में भी यूपी सरकार को यही आदेश दिया था। इसके बावजूद सरकार के इंतजाम नाकाफी रहे।
नहीं दिया हड़ताल न करने का आश्वासन
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कर्मचारी नेताओं के अधिवक्ता से कहा कि वे इस बात का आश्वासन दें कि भविष्य में इस तरह का ऐसा कोई आह्वान नहीं करेंगे, जिससे आम जनमानस को परेशानी हो। इस पर अधिवक्ताओं ने कर्मचारी नेताओं से बात की और कहा कि आगे की रणनीति को लेकर कोई भी बयान सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर निर्भर करता है। कर्मचारी नेताओं की तरफ से भविष्य में हड़ताल पर न जाने का कोई आश्वासन नहीं दिया गया।
पटरी पर आई बिजली सप्लाई, पर फॉल्ट ने किया परेशान
हड़ताल के कारण चरमराई बिजली व्यवस्था पटरी पर आने लगी है। सोमवार को जहां सभी इकाइयों से बिजली उत्पादन शुरू हो गया, वहीं प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में बिजली आपूर्ति भी सामान्य रही। हालांकि, कुछ जगहों पर लोकल फॉल्ट और मौसम के कारण बिजली व्यवस्था बाधित रही। ऊर्जा मंत्री एक शर्मा ने कर्मचारियों के निर्देश दिया कि बिजली सप्लाई बाधित होने की शिकायत का तुरंत निस्तारण किया जाए। वहीं, लखनऊ में हड़ताल के बाद बारिश ने बिजली संकट बढ़ा दिया। गोमती नगर जैसे पॉश इलाकों से लेकर दुबग्गा, कैंट, ठाकुरगंज, चिनहट, बीकेटी आदि इलाकों में दिनभर फॉल्ट आते रहे। ऐसे में लोगों को पानी के संकट से जूझना पड़ा।
सरकार से भी सवाल
कोर्ट: हड़ताल से कितना नुकसान हुआ
सरकार: 20 हजार करोड़ की चपत लगी
कोर्ट:मामले में अब तक क्या कार्रवाई की
सरकार: 600 कर्मचारियों पर केस दर्ज करवाए
कोर्ट: गिरफ्तार क्यों नहीं किया
इसका सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया
कोर्ट: मामले में आदेश पारित करेंगे
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."