किरण कश्मीरी की रिपोर्ट
फाल्गुन की पूर्णिमा के चांद बेहद खूबसूरत होता है, लेकिन कई लोग इस खूबसूरत चांद पर भी दाग लगा लगाने की कोशिश करते हैं। दाग अंधविश्वास का। 21वीं सदी में आने की बाद भी लोग तंत्र-मंत्र और साधना की बात करके लोगों को बरगलाते हैं। होली के त्योहार में बलि की ऐसी ही खौफनाक वारदात सामने आयी नोएडा (Noida) से जहां एक मासूम बच्ची को बलि के लिए चुना गया। होली पर बलि की इस खौफनाक कहानी को बताने के पीछे हमारा मकसद है लोगों को इस अंधविश्वास के खिलाफ जागरूक करना ताकि ऐसी घटनाएं सामने न आएं।
बलि जैसे अंधविश्वास से सावधान!
17 मार्च 2022: नोएडा
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के नोएडा का छिजारसी इलाका।छह साल की नन्ही सी बच्ची अपने दोस्तों के साथ बाहर खेल रही थी। तभी एक शख्स बच्ची के पास आता है। वो बच्ची से कुछ बात करता और उसे गोद में उठा लेता है। वो मासूम बच्ची को आईसक्रीम का लालच देता है और वो खुशी-खुशी उसके साथ गोद में बैठकर चली जाती है। इसके बाद ये शख्स इस बच्ची सरकारी बस में बिठाकर अपने गांव बागपत ले जाता है। उस रात बच्ची बागपत में इसके गांव में ही रहती है।
मासूम को अगवा कर बलि की तैयारी
अगले दिन बच्ची को तैयार किया जाता है। मासूम बच्ची रोने लगती है। वो कहती है मुझे मम्मी के पास जाना है, लेकिन ये शख्स उसे तैयार करके बागपत के पास ही खामपुर गांव में ले जाता है। खामपुर में इस शख्स की बहन रहती है और वही रहता है एक तांत्रिक। वो तांत्रिक जिसने बलि देने के लिए एक बच्ची की मांग की थी। नोएडा की इस बच्ची को सजा-धजाकर होली के दिन इस तांत्रिक के पास ले जाया गया।
तांत्रिक ने रचा नरबलि का खेल
इस तांत्रिक ने बताया था कि फाल्गुन की पूर्णिमा की रात यानी होली की सिद्धी की रात होती है और अगर इस दिन नरबलि दी जाए तो तमाम इच्छाएं पूरी होती हैं। इस शख्स को तांत्रिक ने अपने मायाजाल में ऐसा फंसाया कि ये मासूम की बलि देने को तैयार हो गया। वहीं दूसरी तरफ बच्ची के घर में हड़कंप मच चुका था। मां का रो-रोकर बुरा हाल था। थाने में रिपोर्ट लिखवाई गई।
पड़ोसी ने किया बच्ची को अगवा
नोएडा पुलिस ने आसपास के इलाके की सीसीटीवी फुटेज निकाली तो उस शाम की कहानी सामने आई। जिस लड़के ने बच्ची को अगवा किया था वो पड़ोस में रहने वाला रमेश वाल्मिकी था जिसे बच्ची का परिवार अच्छी तरह से जानता था। नन्ही बच्ची उसे अंकल कहकर बुलाती थी और इसलिए आईसक्रीम के नाम पर वो आसानी से आरोपी की गोद में चली गई। नोएडा पुलिस की टीम तुरंत इस केस में जुट गई। सीसीटीवी फुटेज और सर्विलांस की मदद से आरोपी रमेश वाल्मिकी की लोकेशन ट्रैक की गई।
पुलिस ने बचाई बच्ची की जान
बच्ची को बलि के लिए पूरी तरह से तैयार कर दिया गया था। बलि तांत्रिक के घर पर ही होनी थी, लेकिन उससे पहले पुलिस वहां पहुंच गई। तुरंत बच्ची को रेस्क्यू किया गया। आरोपी, उसकी दो बहनें और तांत्रिक वहां से भागने की कोशिश करने लगे। पुलिस दोनों को धर दबोचा। पुलिस बच्ची की जान बचाने में कामयाब हो गई। माता-पिता के आंसू थम नहीं रहे थे। उनकी लाडली एक बार फिर उनकी गोद में आ चुकी थी।
नरबलि की वजह जानकर हैरान रह जाएंगे
पूछताछ में बेहद हैरान करने वाला मामला सामने आया। दरअसल रमेश जिसकी उम्र 25 साल थी वो इस बात से परेशान था कि उसकी शादी नहीं हो रही है। उसकी बहन ने उसे अपने ही गांव के एक तांत्रिक के पास ले गई। तांत्रिक ने कहा कि अगर वो किसी बच्ची की बलि देंगे तो जल्द रमेश की शादी हो जाएगी। तांत्रिक ने नरबलि के लिए होली का दिन चुना।
अंधविश्वास की भेंट चढ़ने से बची बच्ची
इसके बाद रमेश बलि के लिए बच्ची की तलाश करने लगा और ये तलाश खत्म हुई पास में रहने वाली छह साल की बच्ची पर जाकर। होली के दो दिन पहले आरोपी ने बच्ची को अगवा कर लिया। अगर पुलिस सही वक्त पर तांत्रिक के अड्डे पर नहीं पहुंचती तो अंधविश्वास की भेंट चढ़ जाती एक मासूम बच्ची। पुलिस की तत्परता की वजह से इस बच्ची की जान तो बच गई, लेकिन इस तरह की खौफनाक वारदात ने लोगों में डर पैदा कर दिया।
तांत्रिक समेत तीन लोग गिरफ्तार
रमेश नोएडा में ही एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता था। पढ़ा-लिखा भी था, लेकिन तांत्रिक के जाल में इस कदर अंधा हो गया कि उसे कत्ल से भी परहेज न रहा। इस केस में नोएडा पुलिस की जमकर तारीफ हुई थी, उस टीम को 50 हजार रुपये ईनाम भी दिया गया जिसने बच्ची को बलि का शिकार होने से बचाया।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."