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November 22, 2024 2:36 pm

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आ देखें जरा किसमें कितना है दम ; कुछ इसी अंदाज में भिड़े BJP नेता

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प्रशांत झा की रिपोर्ट 

पटना: भोजपुरी में एक कहावत है‌ – करनी ना धरनी..धियवा ओठ बिदोरनी। मतलब ये है कि कुछ काम भी न करना और नखरे भी दिखाना। बिहार बीजेपी में इन दिनों यही चल रहा है। केंद्रीय नेतृत्व से अमित शाह बिहार आकर राज्य की सत्ता पर पार्टी को काबिज कराने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर बिहार बीजेपी नेता कैमरे के फ्रेम में आने के लिए धक्का-मुक्की कर रहे हैं। जरा नीचे दिये गये वीडियो को गौर से देखिए। अरुण सिन्हा नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा के साथ विधानसभा परिसर में बने मीडिया के पोडियम के सामने खड़े हैं। उनके बगल में एक और विधायक संजय सिंह हैं। संजय सिंह तनकर खड़े हैं। अरुण सिन्हा कह रहे हैं कि ऐसा क्यों कर रहे हैं। हम तो आपको जगह दे रहे थे। उसके बाद अरुण सिन्हा पीछे हो जाते हैं। विधायक से कहते हैं कि आप ही आइए सामने। उसके बाद संजय सिंह कुछ बोलते हैं। अरुण सिन्हा कहते हैं ऐसा क्यों बोल रहे हैं भाई?

ये तो हद हो गई!

विधानसभा परिसर में दोनों विधायकों की धक्का-मुक्की पोडियम के सामने लगे कैमरे में कैद हो जाती है। थोड़ी देर बाद वही वीडियो सोशल मीडिया पर भी आ जाता है। जिसमें दोनों विधायकों की नोंक-झोंक दिखती है। राजद के ट्वीटर हैंडल पर तत्काल ये वीडियो आ जाता है। उसमें लिखा गया है कि बिहार विधानसभा में फोटो खिंचाने के लिए बीजेपी के दो वरिष्ठ विधायक आपस में ख़ूब लड़े। अगर कैमरा और गोदी मीडिया नहीं हो तो बीजेपी इस देश में दो सर्वाइव नहीं कर पाएगी, यह बात भाजपाई समझते है इसलिए फोटो के लिए झगड़ते है। यहां भोजपुरी कहावत बिल्कुल सटीक बैठती है। मुद्दे की बात और सरोकार से दूर पार्टी के दो विधायकों का इस तरह खुलेआम भिड़ जाना क्या दर्शाता है? सियासी जानकार मानते हैं कि बीजेपी के अंदरखाने गुटबाजी चरम पर है। दोनों विधायकों का आपस में भिड़ना इसी ओर इशारा कर रहा है।

विपक्ष की कुर्सी भी नहीं बचेगी!

वीडियो को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर करते हुए वरिष्ठ पत्रकार रूपेश कुमार ने लिखा है- यही हाल रहा न…अभी तो सत्ता से बेदखल हुए हैं, विपक्ष की कुर्सी भी नहीं बचेगी। हुआ यूं कि मंगलवार को बजट को लेकर अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा मीडिया के पोडियम के सामने खड़े हुए। उनके साथ अरुण सिन्हा और विधायक संजय सिंह भी खड़े थे। अरुण सिन्हा बीच में खड़े थे। उनके बगल में विधायक संजय सिंह। शायद अरुण सिन्हा और संजय सिंह को जगह कम पड़ रही थी। दोनों आपस में भिड़ गये। अंत में विजय सिन्हा दोनों की ओर ध्यान से देखते हुए बीच में आकर खड़े हो गये। अरुण सिन्हा वरिष्ठ विधायक हैं और उन्होंने संजय सिंह को भाषा की मर्यादा बनाए रखने की नसीहत दी।

आपस में नोंकझोंक

जब ये पूरा मामला कैमरे में कैद हो गया। उसके बाद मीडियाकर्मियों के अलावा राजनीतिक दलों ने इसे सोशल मीडिया पर डाल दिया। सोशल मीडिया पर वीडियो को लेकर तरह-तरह के कमेंट आ रहे हैं। लोग इस वीडियो की आलोचना करते हुए बीजेपी नेताओं को धिक्कार रहे हैं। अब ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है। लोग चटखारे लेकर इसे देख रहे हैं और शेयर कर रहे हैं। ये पूरा वाकया बता रहा है कि बीजेपी नेताओं के पास करने को कुछ नहीं लड़ने को बहुत कुछ है। इसलिए सियासी जानकार भी भोजपुरी की कहावत को इस वाकये पर सटीक बताते हैं।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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