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19 January 2025 8:12 am

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पैसे पेड़ पर तो नहीं लगते, लेकिन घर में छप जरूर जाते हैं, जी हां, अपराध की इस खबर को पढ़कर आप सन्न रह जाएंगे

31 पाठकों ने अब तक पढा

दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

कानपुर। पैसे की कमी को दूर करने के लिए कानपुर में पढ़े-लिखे कुछ लड़कों ने चुना क्राइम का रास्ता। ज्यादा से ज्यादा पैसों के लालच में इन लोगों ने अपने घर में ही नोट छापना शुरू कर दिया। बिल्कुल वैसे नोट जैसे आपके और हमारे पास होते हैं। 100, 200, 500 हर तरह के नोट अपनी जरूरत के हिसाब से ये छाप लेते। जब भी कुछ खरीदना हो, कोई भी जरूरत हो घर में रखी मशीन से छाप लिए नोट।

घर में नोट छापने की मशीन

सुनने में ये बातें थोड़ा अजीब लगती है, लेकिन कानपुर काफी समय से तीन दोस्त नोट छापने के इस काले कारोबार में लगे हुए थे। तीनों पढ़े लिखे लड़के, किसी के पास पीएचडी की डिग्री थी तो किसी ने बीटेक किया हुआ था। सौरभ सिंह, विमल सिंह और इनका एक और दोस्त। ये तीनों अपनी पढ़ाई पूरी कर चुके थे। अब इन्हें कमाने थे ढेर सारे पैसे, लेकिन कैसे। चाहते तो ये अच्छा जॉब कर सकते थे, लेकिन इन तीनों ने चुना कमाई का काला रास्ता।

पढ़े लिखे लड़के छाप रहे थे नकली नोट

इन तीनों ने एक ऐसी मशीन तैयार की जो बिल्कुल वैसे ही नोट छाप सकती थी जैसे आरबीआई में प्रिंट होते हैं। पेपर डाला और नोट छपकर बाहर। इन्हें लगा कि इस तरह न तो इन्हें कुछ काम करने की जरूरत पड़ेगी और साथ ही जितना चाहेंगे उतना पैसा छाप लेंगे। बस फिर क्या था इस मशीन पर इन्होंने नोटों का छापना शुरू किया। जब जितनी जरूरत होती उतने नोट छाप लेते। ये नोट इतने ज्यादा असली लगते कि आम आदमी के लिए इन्हें पहचानना नामुमिकन था।

4 लाख 67 हजार की फेक करंसी बरामद

नकली नोटों के कारोबार की जानकारी पुलिस को लग चुकी थी। पुलिस तलाश कर रही थी कि फेक करंसी कहां छप रही है। बस फिर क्राइम ब्रांच की टीम और गोविंद पुरी थाने की पुलिस ने इनके घर पर छापा मारा तो, सामने आई इनकी पूरी कहानी। पुलिस को इन तीनों के पास से 4 लाख 67 हजार रुपये बरामद हुए हैं। पुलिस ने इन तीनों को गिरफ्तार कर लिया है। इनसे पूछा जा रहा कि कब से ये फर्जी नोट छापने के इस कारोबार में ये लगे हुए थे और अब तक कितनी करंसी मार्केट में सर्कुलेट कर चुके हैं।

ये लोग 2000 के नोट नहीं छापते थे

ये लोग 100, 200, 500 के नोट तो छापते थे, लेकिन 2000 के नोट अब तक इन्होंने एक बार भी नहीं छापे। ऐसा नहीं था कि इनकी मशीन 2000 का नोट नहीं छाप सकती थी। दरअसल ये लोग बड़े नोट को छापने से बच रहे थे। ये लोग इतने शातिर थे कि इन्हें पता था कि 2000 के नोट में पकड़े जाने की सबसे ज्यादा संभावनाएं रहती हैं इसलिए इन्होंने उसे छापा ही नहीं।

यूट्यूब से सीखा था करंसी छापने का काम

आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि इन्होंने नोट छापने का ये काम सीखा कहा से। ये तीनों दोस्तों के दिमाग में यूट्यूब से ये प्लान आया। उसके बाद यूट्यूब से ही इन्होंने नोट प्रिंटिंग का काम भी सीखा। इन्होंने बताया कि इन्हें ये काम बेहद आसान और सही लगा इसलिए इतने पढ़े-लिखे होने के बावजूद इन्होंने अपराध के रास्ते को चुन लिया।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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